Nishikant dubey SC Row: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ सांसद निशिकांत दुबे द्वारा सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को लेकर दिए गए विवादित बयान ने राजनीतिक और कानूनी हलकों में तूफान खड़ा कर दिया है। इस बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही की मांग की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के एक एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अनस तनवीर ने इस संबंध में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 के तहत कार्रवाई की अनुमति मांगी है।
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Nishikant dubey SC Row: क्या है पूरा मामला?
सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में एक बयान में सुप्रीम कोर्ट पर संसद के कामकाज में अतिक्रमण और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पक्षपाती बताया और कथित तौर पर यह दावा किया कि कोर्ट मंदिरों से कागजात मांगता है, लेकिन मस्जिदों को छूट देता है। इतना ही नहीं, उन्होंने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को देश में संभावित सिविल वॉर (गृह युद्ध) के लिए जिम्मेदार बताया।
अनस तनवीर ने अपने पत्र में लिखा है कि निशिकांत दुबे का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के प्रति सांप्रदायिक अविश्वास फैलाने वाला है और इससे न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है। उन्होंने कोर्ट से इस बयान को अवमानना अधिनियम की धारा 2(c)(i) के तहत विचार करने और कार्यवाही की अनुमति देने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की पूर्व अनुमति जरूरी होती है।
Nishikant dubey SC Row: बीजेपी ने झाड़ा पल्ला
विवाद के तूल पकड़ने के बाद भाजपा ने निशिकांत दुबे के बयान से स्पष्ट रूप से दूरी बना ली है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि यह बयान पार्टी की आधिकारिक राय नहीं है और इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी बयान को दुबे का व्यक्तिगत मत बताते हुए स्पष्ट किया कि भाजपा हमेशा न्यायपालिका का सम्मान करती आई है।
Nishikant dubey SC Row: विपक्षी नेताओं का भाजपा पर हमला
इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा पर जमकर हमला बोला है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, भाजपा सांसदों की ओर से सुप्रीम कोर्ट को धमकी देना संविधान पर हमला है। क्या आप जानते हैं कि अनुच्छेद 142 क्या है? जिसे बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान में जोड़ा था। प्रधानमंत्री मोदी ऐसे बयानों को क्यों नहीं रोकते? क्या वे इस देश को संविधान से चलाना चाहते हैं या किसी मनमानी से?
कांग्रेस भी हमलावर
कांग्रेस नेता बीवी श्रीनिवास ने कहा कि बिना शीर्ष नेतृत्व की सहमति के कोई भाजपा सांसद ऐसा बयान नहीं दे सकता। उन्होंने कहा, आप कब तक राम का नाम लेकर लोकतंत्र पर छुरा चलाते रहेंगे?” वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने दुबे के बयान को संविधान की मूल भावना पर हमला बताया। उन्होंने कहा, “हमारे देश की न्याय व्यवस्था में अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट का होता है, सरकार का नहीं।
जयराम रमेश ने तो इसे भाजपा की सुप्रीम कोर्ट को दबाव में लाने की साजिश बताया। उन्होंने कहा, भाजपा जानबूझकर कोर्ट को निशाना बना रही है क्योंकि कई मामलों, जैसे इलेक्टोरल बॉन्ड में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को असंवैधानिक ठहराया है।
आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया
आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि निशिकांत दुबे का बयान न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ है और सुप्रीम कोर्ट को इस पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा जब अपने पक्ष में फैसले पाती है तो न्यायाधीशों को राज्यसभा भेज देती है, और जब निष्पक्षता दिखाई जाती है तो जजों को बदनाम करती है।
पूर्व IPS भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
इस बीच, यूपी के पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर याचिका दाखिल की है और अटॉर्नी जनरल को पत्र भेजकर कार्रवाई की अनुमति मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ निशिकांत दुबे का बयान केवल राजनीतिक विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संवैधानिक व्यवस्था और न्यायपालिका की गरिमा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अटॉर्नी जनरल इस पर क्या रुख अपनाते हैं और सुप्रीम कोर्ट इसमें किस प्रकार संज्ञान लेता है।
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