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Friday, August 1, 2025
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Herald House Case: ईडी की बड़ी कार्रवाई, अटैच की गई संपत्तियों पर कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू

Herald House Case: हेराल्ड हाउस केस में प्रवर्तन निदेशालय की यह कार्रवाई कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए एक और कानूनी और राजनीतिक चुनौती बनकर सामने आई है।

Herald House Case: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बहुचर्चित हेराल्ड हाउस मनी लॉन्ड्रिंग केस में बड़ी कार्रवाई करते हुए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 661 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। शुक्रवार को ईडी ने एजेएल की दिल्ली, मुंबई और लखनऊ स्थित संपत्तियों पर कब्जा लेने के नोटिस चस्पा किए और इससे जुड़ी कानूनी कार्रवाई की पुष्टि की।

Herald House Case: किस संपत्ति पर की गई कार्रवाई?

ईडी द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, एजेएल की जिन संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई है, उनका कुल मूल्य 661 करोड़ रुपये है। इनमें विशेष रूप से मुंबई स्थित हेराल्ड हाउस की सातवीं, आठवीं और नौवीं मंजिलें शामिल हैं, जिन पर फिलहाल जिंदल साउथ वेस्ट प्रोजेक्ट्स लिमिटेड का कब्जा है। ईडी ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह मासिक किराया या लीज की राशि अब ईडी निदेशक के पास जमा कराए। ईडी के अधिकारियों ने संबंधित संपत्तियों पर नोटिस चस्पा कर दिए हैं, जिससे इस जब्ती की कार्रवाई औपचारिक रूप से शुरू हो गई है।

Herald House Case: क्या है पूरा मामला?

यह मामला नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ी कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) और यंग इंडिया के बीच हुए लेन-देन से जुड़ा है। आरोप है कि यंग इंडिया, जिसमें कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बड़ी हिस्सेदारी है, ने एजेएल की 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियां महज 50 लाख रुपये में अधिग्रहित कर ली थीं। इस अधिग्रहण के बाद, ईडी को शक हुआ कि यह सौदा एक पारदर्शी व्यावसायिक सौदे की जगह एक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला हो सकता है। ईडी ने 2021 में इस मामले की जांच शुरू की थी।

Herald House Case: जांच में क्या सामने आया?

जांच के दौरान ईडी ने पाया कि एजेएल की आपराधिक आय लगभग 988 करोड़ रुपए की है, जिसमें से 661 करोड़ की संपत्तियां अब जब्त की जा रही हैं। यह संपत्तियां पहले 20 नवंबर 2023 को अस्थायी रूप से कुर्क की गई थीं और बाद में 10 अप्रैल 2024 को उनकी कुर्की की पुष्टि की गई। अब इन्हें स्थायी रूप से जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

कौन-कौन हैं आरोपी?

इस मामले में मुख्य आरोपियों में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शामिल हैं। इनके अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, और दिवंगत नेता मोतीलाल वोहरा और ऑस्कर फर्नांडिस के नाम भी सामने आए हैं। यंग इंडिया कंपनी, जिसके जरिये यह सौदा हुआ, में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी बताई जाती है।

कांग्रेस का क्या है रुख?

कांग्रेस पार्टी ने पहले ही इस मामले को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है और बार-बार इसे केंद्र सरकार द्वारा विपक्ष को निशाना बनाने की रणनीति करार दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह संपत्तियां मूल रूप से अखबार के संचालन और स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए थीं, लेकिन राजनीतिक द्वेष के कारण उन्हें जब्त किया जा रहा है।

आगे क्या?

अब जब ईडी ने जब्ती की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है, तो इस मामले में कानूनी लड़ाई और तेज होने की संभावना है। एजेएल और यंग इंडिया की ओर से यह तर्क दिए जा सकते हैं कि सौदा पूरी तरह वैध था और ईडी की कार्रवाई संवैधानिक अधिकारों का हनन है। वहीं, ईडी का दावा है कि उसके पास पर्याप्त साक्ष्य हैं जो यह दर्शाते हैं कि यह पूरा मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है।

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