Gyanesh Kumar: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि राहुल को सात दिनों के भीतर हलफनामा देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी। रविवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में CEC ने राहुल के दावों को ‘संविधान का अपमान’ करार दिया और कहा कि बिना सबूत के मतदाताओं को अपराधी ठहराना गलत है। यह विवाद बिहार में विशेष गहन संशोधन (SIR) और मतदाता सूची में कथित हेराफेरी के आरोपों से जुड़ा है।
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Gyanesh Kumar का जवाब: ‘वोट चोरी का कोई सबूत नहीं’
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि भारत में विश्व की सबसे बड़ी मतदाता सूची और 1.3 करोड़ से अधिक चुनाव कर्मियों के साथ पारदर्शी प्रक्रिया होती है। उन्होंने राहुल के दोहरे मतदान के दावों को खारिज करते हुए कहा, कुछ मतदाताओं ने दोहरे मतदान का आरोप लगाया, लेकिन सबूत मांगे जाने पर कोई जवाब नहीं मिला। CEC ने जोर देकर कहा कि दो जगह वोट देना कानूनी अपराध है, और इसके लिए सबूत चाहिए। उन्होंने महाराष्ट्र में मतदाता सूची में वृद्धि पर सवाल उठाया, आठ महीने पहले हुए चुनाव में दावे और आपत्तियां क्यों नहीं दर्ज की गईं? सुप्रीम कोर्ट में 45 दिनों की समयसीमा में याचिका क्यों नहीं दायर की?
Gyanesh Kumar पर विपक्ष का हमला
बिहार में SIR के विरोध में राहुल गांधी ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू की, जिसमें कांग्रेस, RJD और अन्य विपक्षी दल शामिल हुए। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ECI पर निशाना साधते हुए कहा, “चोरी करना पाप नहीं, लेकिन चोर कहना पाप है? महादेवपुरा के एक लाख वोटों का हिसाब कौन देगा? अनुराग ठाकुर डिजिटल मतदाता सूची लेकर घूम रहे हैं, क्या यह निजता का उल्लंघन नहीं? खेड़ा ने ECI की चुप्पी पर सवाल उठाया, क्योंकि ठाकुर को कोई नोटिस नहीं भेजा गया, जबकि राहुल को तुरंत नोटिस जारी किया गया।
Gyanesh Kumar से राजद और कांग्रेस की मांग: सॉफ्ट कॉपी और पारदर्शिता
राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने SIR प्रक्रिया को ‘वोट की डकैती’ करार दिया और कहा कि जिंदा मतदाताओं को मृत दिखाया गया। उन्होंने बूथ-वार हिसाब की मांग की। पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने ECI पर BJP और RSS के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया, जबकि दिग्विजय सिंह ने मतदाता सूची की सॉफ्ट कॉपी की मांग दोहराई ताकि दोहरे नामों की जांच हो सके।
ECI की सफाई: निजता और कानूनी प्रक्रिया
CEC ने 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मशीन-पठनीय मतदाता सूची निजता का उल्लंघन है। उन्होंने CCTV फुटेज साझा करने से इनकार करते हुए कहा, क्या हम माताओं-बेटियों के फुटेज सार्वजनिक करें? ECI ने बिहार में SIR के तहत 65 लाख नाम हटाए, जिनमें 22 लाख मृत वोटर शामिल हैं और इसे पारदर्शी बताया।
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