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Thursday, December 4, 2025
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बिहार में वोटर लिस्ट विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने EC को लगाई फटकार, मांगा 65 लाख नामों का हिसाब

Bihar SIR: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख लोगों के नाम और उनके हटाए जाने के कारणों को सार्वजनिक करने का निर्देश चुनाव आयोग को दिया है।

Bihar SIR: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नाम और उनके हटाए जाने के कारणों को सार्वजनिक करने का निर्देश भारत निर्वाचन आयोग (EC) को दिया है। कोर्ट ने मंगलवार (19 अगस्त 2025) तक जिला स्तर पर आयोग की वेबसाइट पर यह जानकारी अपलोड करने का आदेश दिया, जिसमें मृत्यु, प्रवास, या दोहरे रजिस्ट्रेशन जैसे कारणों का स्पष्ट उल्लेख हो। जस्टिस जॉयमाल्या बागची की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि बिहार, लोकतंत्र की जन्मभूमि है, और मतदाता सूची में पारदर्शिता सुनिश्चित करना अनिवार्य है।

Bihar SIR: पारदर्शिता के लिए व्यापक प्रचार

कोर्ट ने बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) को हटाए गए मतदाताओं की सूची अपने कार्यालयों में प्रदर्शित करने और जिला निर्वाचन अधिकारियों को इसे सोशल मीडिया, टीवी, रेडियो, और अखबारों के जरिए प्रचारित करने का निर्देश दिया। प्रभावित लोग आधार कार्ड के साथ दावा दायर कर अपने नाम शामिल कर सकते हैं। कोर्ट ने पूछा कि ऐसी सूची सीधे वेबसाइट पर क्यों नहीं डाली जा रही, ताकि आम नागरिकों को सुविधा हो और नकारात्मक धारणाएं खत्म हों। पंचायत कार्यालयों और बीएलओ दफ्तरों में भी यह सूची उपलब्ध होगी।

Bihar SIR: चुनाव आयोग का जवाब

चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि 1 अप्रैल 2025 तक बिहार में 7.89 करोड़ मतदाता थे, जिनमें से 7.24 करोड़ ने फॉर्म भरे। 65 लाख नाम ड्राफ्ट सूची से हटाए गए, जिनमें 22 लाख मृत घोषित किए गए। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी नाम को बिना कारण नहीं हटाया गया। 1 अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट सूची पर दावे और आपत्तियां 1 सितंबर तक दर्ज की जा सकती हैं। आयोग ने कहा कि बिना सूचना और सुनवाई के कोई नाम नहीं हटाया जाएगा, और सभी पात्र मतदाताओं को शामिल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

Bihar SIR: पवन खेड़ा का स्वागत, बीजेपी पर हमला

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए इसे लोकतंत्र की जीत बताया। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने आधार की वैधता को मान्यता दी और 65 लाख हटाए गए वोटरों की सूची को कारणों सहित सार्वजनिक करने का निर्देश दिया। खेड़ा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, यह फैसला बीजेपी की साजिशों को नाकाम करेगा। उन्होंने योगी आदित्यनाथ के देश के विभाजन पर दिए बयान पर भी पलटवार किया, जिसमें उन्होंने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था। खेड़ा ने कहा कि 1938 में हिंदू महासभा ने ‘टू नेशन थ्योरी’ का समर्थन किया था, और बीजेपी को इतिहास तोड़-मरोड़ने से बचना चाहिए।

चुनाव आयोग की सहमति

चुनाव आयोग ने कोर्ट के सुझावों से सहमति जताई और कहा कि ड्राफ्ट सूची में हटाए गए मतदाताओं की जानकारी बूथवार ईपिक नंबर के साथ वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। प्रभावित लोग फॉर्म 6 के जरिए दावा दायर कर सकते हैं, जिसमें आधार कार्ड अनिवार्य है। आयोग ने 20 जुलाई से शुरू हुए एसआईआर के तहत मृत, दोहरे रजिस्ट्रेशन, और प्रवासित मतदाताओं की पहचान की थी।

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की विश्वसनीयता और पारदर्शिता को मजबूत करेगा। 65 लाख वोटरों के नाम हटाए जाने पर उठे सवालों के बीच यह फैसला प्रभावित लोगों को अपने अधिकारों का दावा करने का मौका देगा। बीजेपी और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर राजनीतिक तनातनी तेज होने की संभावना है, लेकिन कोर्ट का निर्देश लोकतंत्र में विश्वास को और गहरा करेगा।

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