Ballistic Missiles: भारत ने रक्षा क्षेत्र में गुरुवार को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए पृथ्वी-II और अग्नि-I शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से किया गया। इससे देश की स्ट्रैटेजिक ताकत और न्यूनतम प्रतिरोधक नीति (Minimum Deterrence Policy) के तहत सुरक्षा ढांचे को और सुदृढ़ किया गया है।
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Ballistic Missiles: दोनों मिसाइलें सफल, रणनीतिक क्षमता में इजाफा
रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि दोनों मिसाइलों का परीक्षण स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (SFC) के तत्वावधान में किया गया। परीक्षण के दौरान मिसाइलों ने सभी ऑपरेशनल और तकनीकी मानकों को सफलतापूर्वक प्रमाणित किया। इन परीक्षणों का उद्देश्य भारत की सामरिक क्षमता का आकलन और उसे मजबूत करना था, जिसमें पृथ्वी-II और अग्नि-I ने सभी मानकों पर खरा उतर कर यह साबित कर दिया कि भारतीय मिसाइल सिस्टम पूरी तरह सक्षम और विश्वसनीय है।
Ballistic Missiles: न्यूनतम प्रतिरोधक नीति का हिस्सा
पृथ्वी-II और अग्नि-I मिसाइलें भारत की न्यूनतम प्रतिरोधक नीति का हिस्सा हैं। इनका उद्देश्य देश की सीमाओं की रक्षा करना और आपातकालीन परिस्थितियों में प्रभावी जवाब देने की तैयारी बनाए रखना है। पृथ्वी-II मिसाइल की रेंज करीब 350 किलोमीटर है, जबकि अग्नि-I मिसाइल 700 से 900 किलोमीटर तक मार कर सकती है। दोनों मिसाइलें परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं, जो भारत की रणनीतिक ताकत को कई गुना बढ़ाती हैं।
Ballistic Missiles: 24 घंटे में दूसरी बड़ी सफलता
यह परीक्षण 24 घंटे में भारत की दूसरी महत्वपूर्ण रक्षा उपलब्धि है। इससे पहले, बुधवार को भारत ने अपने स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम ‘आकाश प्राइम’ का लद्दाख सेक्टर में सफल परीक्षण किया था। यह परीक्षण करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर किया गया, जहां वायुमंडल विरल होता है और संचालन चुनौतीपूर्ण होता है।
आकाश प्राइम ने तेज गति से उड़ते लक्ष्यों को साधा
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित इस एयर डिफेंस सिस्टम ने परीक्षण के दौरान तेज गति से उड़ते दो लक्ष्यों पर सटीक निशाना साधा। थल सेना की एयर डिफेंस विंग और DRDO के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हुए परीक्षण ने साबित कर दिया कि यह सिस्टम ऊंचाई वाले इलाकों में भी दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने में पूरी तरह सक्षम है।
भारतीय सेना में शामिल होगा आकाश प्राइम
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, आकाश प्राइम सिस्टम को भारतीय सेना की तीसरी और चौथी ‘आकाश रेजिमेंट’ में शामिल किया जाएगा। इसकी तैनाती से भारत की एयर डिफेंस क्षमता को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मजबूती मिलेगी। इससे पहले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय एयर डिफेंस ने पाकिस्तानी सेना के चीनी लड़ाकू विमानों और तुर्की ड्रोन के हमलों को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत कदम
दोनों परीक्षण रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत कदम हैं। यह न केवल भारतीय सेना की क्षमता को सुदृढ़ कर रहे हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की रक्षा ताकत को भी प्रदर्शित कर रहे हैं। स्वदेशी तकनीक से विकसित मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम भारत को रणनीतिक और सामरिक मोर्चों पर आत्मनिर्भर बना रहे हैं।
भारत का लगातार मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम परीक्षण करना इस बात का प्रमाण है कि देश की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। पृथ्वी-II और अग्नि-I जैसे मिसाइल परीक्षण भारतीय रक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाते हैं, वहीं आकाश प्राइम जैसे एयर डिफेंस सिस्टम भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिए नई ताकत बनकर उभर रहे हैं। ये परीक्षण भारत को वैश्विक मंच पर रक्षा शक्ति के रूप में और अधिक सशक्त करने की दिशा में अहम कदम हैं।
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