Moong Dal: भारतीय रसोई में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं| हर रसोई में रोजाना कम से कम एक वक़्त के खाने में दाल का प्रयोग किया जाता है। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि दाल भारतीय भोजन थाली का प्रमुख हिस्सा है| भारतीय रसोई में कई तरह की दालों का इस्तेमाल किया जाता है| बता दें कि भारत के अलग-अलग राज्यों में यह दालें अलग-अलग स्वाद में बनाई जाती हैं| यह भी बता दें की दालें प्रोटीन का एक बहुत अच्छा सोर्स होती हैं।
वैसे तो सभी दालें सेहत से भरपूर होती हैं परन्तु इन सबमें मूंग की दाल का अपना एक महत्व होता है| हरी मूंग को दाल, स्वादिष्ट स्नैक्स, सलाद और कई और तरीकों से अपने खाने में शामिल किया जा सकता है। मूंग की दाल प्रोटीन के साथ -साथ फाइबर, पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और विटामिन बी 6 जैसे जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं| हालाँकि कई लोगों खासकर बच्चों को यह दाल कुछ खास पसंद नहीं आती है। परन्तु आज हम आपको इस मूंग दाल के कुछ ऐसे फायदे बताने जा रहे हैं जिन्हें जानने के बाद आप इस दाल से परेहज नहीं करेंगे |
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एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा:
हमारे शरीर को फ्री रैडिकल्स से लड़ने के लिए एंटीऑक्सीडेंट की आवश्यकता होती है। बता दें कि हमारे शरीर में अधिक मात्रा में फ्री रैडिकल्स के होने के कारण हार्ट डिजीज, शरीर में कैंसर, इनफ्लामेशन, आदि गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हरी मूंग में भी एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है|
हरी मूंग दाल में फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक कंपाउंड जैसे कई तरह के एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं| यह एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर के ऑक्सीडेटिव तनाव को काम करने में मदद करते हैं| जिससे शरीर की सूजन भी कम होने लगती है|
ब्लड शुगर को नियंत्रित करें:
मूंग की दाल फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होती हैं। हरी मूंग में मौजूद प्रोटीन भूख को कम करता है जिससे ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है| साथ ही इस दाल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है| डाइट चार्ट के हिसाब से मूंग दाल में केवल 38 ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। बता दें कि ग्लाइसेमिक इंडेक्स मापने की वह प्रक्रिया है, जिससे यह पता चलता है कि आपके शरीर में कार्बोहाइड्रेट से कितने समय में ग्लूकोज़ बनता है।
अर्थात शरीर में ब्लड सर्कुलेशन के समय किस गति से चीनी का अवशोषण होता है| जिससे ब्लड शुगर के स्तर को अचानक बढ़ने से रोका जा सकता है| इसलिए यह दाल डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए काफी फायदेमंद होती है। फाइबरयुक्त मूंग दाल आपके पेट को लंबे समय तक भरा रखती है और यह पचाने में भी आसान होती हैं |
वजन नियंत्रित करने में मददगार:
अगर आप एक वेट लॉस कर रहे हैं तो हरी मूंग की दाल आपको अपने वजन को निंयत्रित करने में काफी मदद कर सकती है| बता दें कि अगर शरीर में कोलीसिस्टोकाइनिन नामक हार्मोइस की मात्रा अधिक हो तो यह आपको खाने के बाद भी भरा हुआ महसूस कराता है| जिससे शरीर में मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और वजन को कम करने में आसानी होती है| इस दाल में फाइबर की मात्रा अधिक तथा कैलोरी कम होती है|
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार जब आपके भोजन में कैलोरी की मात्रा कम और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है तो यह आपकी अनचाही भूख को कंट्रोल करती है| जिससे आपको वजन घटाने और उसे नियंत्रित रखने में मदद मिलती है| इसलिए इस दाल को अपने रोजमर्रा के भोजन में जरूर शामिल करना चाहिए |
Moong Dal गठिया में कारगर:
शरीर में सूजन होने पर मूंग दाल खाना काफी फायदेमंद हो सकता है। मूंग दाल में पाए जाने वाले विटेक्सिन, गैलिक एसिड और आइसोविटेक्सिन के एंटीइंफ्लेमेटरी गुण सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं। यही कारण है कि गठिया वाले लोगों के लिए मूंग दाल का सेवन अच्छा होता है।
कोलेस्ट्रॉल कम करता है:
हरी मूंग की दाल शरीर के खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। बता दें कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने से सूजन, हार्ट डिजीज, शरीर में कैंसर, इनफ्लामेशन आदि बीमारियां हो सकती है। हरी मूंग का एंटीऑक्सीडेंट गुण इस बीमारी से निपटने में मदद कर सकता है।
Disclaimer: उपर्युक्त खबर में उल्लेखित जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और परसेप्शन पर आधारित है। आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ अथवा अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।