Naxals Surrender: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में एक ऐतिहासिक मोड़ आया है। बुधवार को 71 नक्सलियों ने एक साथ आत्मसमर्पण कर दिया, जो हाल के वर्षों में इस अभियान की सबसे बड़ी सफलताओं में शुमार है। राज्य के प्रमुख ‘लोन वर्राटू’ अभियान के तहत यह घटना माओवादी संगठन को कमजोर करने का संकेत दे रही है। इनमें से 30 नक्सलियों पर कुल 64 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जो आत्मसमर्पण की महत्ता को रेखांकित करता है।
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Naxals Surrender: ‘लोन वर्राटू’ अभियान की कामयाबी
दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक गौरव राय ने आईएएनएस को दिए बयान में कहा, यह आत्मसमर्पण ‘लोन वर्राटू’ (घर लौटो) अभियान का परिणाम है, जो 2020 से चल रहा है। इन 71 नक्सलियों में 21 महिलाएं और कुछ नाबालिग भी शामिल हैं। वे माओवादी विचारधारा के खोखलेपन और संगठन की क्रूरताओं से तंग आ चुके थे। अभियान के तहत सुरक्षा बलों ने गहन ऑपरेशन चलाए, जिससे हाल की मुठभेड़ों में कई वरिष्ठ माओवादी नेता मारे गए।
नारायणपुर जिले में हाल ही में दो शीर्ष कमांडरों के मारे जाने ने संगठन की रीढ़ तोड़ दी है। एसपी राय ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों में बामन, शमीला, गंगा और देवे जैसे प्रमुख कैडर शामिल हैं, जो सुरक्षा बलों पर कई हमलों में संलिप्त थे। शेष नक्सली सड़कें खोदने, पेड़ काटने और प्रचार सामग्री फैलाने जैसे कार्यों में लिप्त थे।
Naxals Surrender: सरकार की नई नीतियों का प्रभाव
कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के बाद सत्ता संभालने वाली भाजपा की विष्णु देव साय सरकार ने लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज्म (एलडब्ल्यूई) उन्मूलन को प्राथमिकता दी है। गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा के बाद से सुरक्षा बलों ने अभियान तेज कर दिए हैं, जिसके फलस्वरूप 466 नक्सली मारे गए और 1,700 से अधिक ने आत्मसमर्पण किया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट कर इस सफलता का श्रेय राज्य की नई आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025 और ‘नियेड नेल्ला नार’ योजना को दिया। उन्होंने लिखा, नक्सलवाद का अंधेरा मिट रहा है, दंतेवाड़ा बदल रहा है। बस्तर में पूना मार्गम और दंतेवाड़ा में लोन वर्राटू अभियान से प्रभावित होकर 71 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए। माओवादी हिंसा के झूठे नारों से गुमराह लोग अब विकास और शांति का रास्ता चुन रहे हैं।
Naxals Surrender: पुनर्वास का प्रोत्साहन
आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक नक्सली को नई जिंदगी शुरू करने के लिए 50,000 रुपये का प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है। इसके अलावा, एलडब्ल्यूई उन्मूलन नीति के तहत उन्हें कौशल प्रशिक्षण, रोजगार और आवास जैसी सुविधाएं मिलेंगी। मुख्यमंत्री साय ने जोर देकर कहा कि दिसंबर 2023 से अब तक 1,770 से अधिक नक्सली मुख्यधारा में लौट चुके हैं, जो सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में जनता के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। ‘लोन वर्राटू’ अभियान के शुरू होने से दंतेवाड़ा में कुल 1,113 नक्सली, जिनमें 297 पर इनाम था, ने हथियार डाले हैं।
नक्सलवाद के खिलाफ रणनीति
राज्य सरकार 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से एलडब्ल्यूई को पूरी तरह समाप्त करने के लक्ष्य के साथ कटिबद्ध है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2025 तक 10,000 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, और प्रभावित जिले घटकर मात्र 12 रह गए हैं। बस्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का विकास और काउंटर-इंसर्जेंसी प्रयासों ने नक्सल प्रभाव को कम किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आत्मसमर्पण न केवल सुरक्षा बलों की रणनीति की सफलता है, बल्कि सामाजिक न्याय और विकास के प्रति नक्सलियों का झुकाव भी दर्शाता है।
क्षेत्रीय प्रभाव
यह घटना बस्तर के अन्य जिलों जैसे नारायणपुर, बीजापुर और सुकमा में भी सकारात्मक संदेश दे रही है। हाल ही में ओडिशा-झारखंड सीमा पर रेलवे ट्रैक उड़ाने और सुकमा में आईईडी विस्फोट जैसे नक्सली हमलों के बावजूद, आत्मसमर्पणों की संख्या बढ़ रही है। सरकार ने पूर्व नक्सलियों के सम्मानजनक पुनर्वास के लिए 25 नए आवासों को मंजूरी दी है। यह सोच अब बस्तर में तेजी से लोकप्रिय हो रही है, जहां विकास परियोजनाएं जैसे सड़कें, स्कूल और अस्पताल नक्सलियों को आकर्षित कर रही हैं।
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