Naxal News: बस्तर का अबूझमाड़ कभी नक्सलियों का सबसे सुरक्षित क्षेत्र माना जाता था, लेकिन पिछले छह महीने में सुरक्षा बलों ने 40 से ज्यादा ऑपरेशन चलाकर इनकी कमर तोड़ दी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कभी बस्तर के 15 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में फैले नक्सली अब 4 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में रह गए हैं। लगभग 11 हजार वर्ग किमी पर अब सीधा सुरक्षा बलों के नियंत्रण में है। इन इलाकों में सुरक्षा बलों के 150 से ज्यादा कैंप स्थापित हो चुके हैं।
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इस वर्ष मुठभेड़ में मारे गए 137 नक्सली
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार आने के बाद से नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज हुए। 32 नए कैंप खोले गए। इस वर्ष जनवरी से अब तक बस्तर के कोर इलाके में फोर्स की नक्सलियों से 72 मुठभेड़ हो चुकी हैं, जिसमें 137 नक्सली मारे गए हैं। अकेले अबूझमाड़ में ही 71 नक्सली मारे गए हैं, जो यह दर्शाता है कि फोर्स का पूरा फोकस इस वक्त अबूझमाड़ पर है। नक्सलियों की अघोषित राजधानी अबूझमाड़ में फोर्स नक्सलियों का प्रभाव कम करने में जुटी हुई है।
नक्सलियों के खात्मे का काउंटडाउन शुरू
बस्तर के नक्सल इतिहास में कभी इतनी बड़ी संख्या में नक्सली नहीं मारे गए थे, जितने पिछले छह महीने में मारे गए हैं। वहीं 400 से अधिक नक्सलियों ने सरेंडर किया है। आमतौर पर एक साल में औसतन 500 समर्पण हुआ करते थे, लेकिन इस साल 6 महीने में ही यह आंकड़ा 400 तक पहुंच चुका है।
अब इन पांच इलाकों में बचे हैं
सुरक्षा बलों की सक्रियता के चलते नक्सली अब पांच कोर इलाके तक ही सिमटकर रह गए हैं। इनमें अबूझमाड़, इंद्रावती नेशनल पार्क, बैलाडीला की पहाडिय़ों का तराई वाला इलाका और सुकमा जिले में बासागुड़ा-जगरगुंडा-भेज्जी ट्राएंगल व बीजापुर का पामेड़ इलाका शामिल है।
ना भर्ती, न ही ट्रेनिंग कैंप
सुरक्षा बलों की मौजूदगी के चलते अबूझमाड़ व नेशनल पार्क इलाके अब न तो नक्सलियों की भर्ती की जा रही, न ही ट्रेनिंग कैंप दिखाई देते। नक्सलियों के पीएलजीए के सशस्त्र लड़ाके अब बस्तर के गांवों में फैले मिलिशिया सदस्यों तक अपनी पहुंच नहीं बना पा रहे हैं। मिलिशिया सदस्यों की मीटिंग तक लड़ाके नहीं ले पा रहे हैं। अब मिलिशिया कैडर नक्सलियों के प्रभाव से बाहर निकलते दिख रहे हैं। बस्तर में नक्सलियों के लिए यह बड़ा नुकसान है।
अबूझमाड़ से शिफ्ट हो रहे नक्सलियों के टॉप लीडर
अबूझमाड़ की सीमा पांच जिलों कांकेर, नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और बस्तर में फैली है। सुरक्षा बलों की तैनाती बढऩे से नक्सलियों के टॉप लीडर इलाका छोड़ रहे हैं। इनमें नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के सचिव बसव राजू, एम. वेणुगोपाल उर्फ भूपति उर्फ सोनू, पक्का हनुमंतलु उर्फ गणेश उइके और दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव केआरसी रेड्डी उर्फ गुड़सा उसेंडी आदि शामिल हैं। अधिकांश नक्सली एमएमसी, एओबी व टीटीके जोन में शिफ्ट होने की जानकारी मिल रही है। दुर्दांत नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती में भी इसी साल कैंप स्थापित किया गया जो कि बस्तर में नक्सल मोर्चे पर मिली बड़ी कामयाबियों में से एक थी। हिड़मा अब अपना इलाका छोड़ बस्तर के अलग-अलग क्षेत्र में मूवमेंट कर रहा है।
नक्सल मुक्त बस्तर की ओर बढ़ रहे
स्तर रेंज आइजी सुंदरराज पी. ने कहा कि बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में हम तेजी से बढ़ रहे हैं। फोर्स को बीते छह महीने में कई बड़ी सफलताएं मिली हैं। नक्सलियों का प्रभाव क्षेत्र सिमटता जा रहा है। नक्सल प्रभाव वाले दो तिहाई क्षेत्र में अब नक्सलियों को जनता ने भी नकार दिया है। नक्सल मुक्त बस्तर का जो लक्ष्य है उसे पाने के लिए हम रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहे हैं।