Maoists arrested: छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षा बलों ने शुक्रवार को एक साहसिक अभियान चलाकर छह संदिग्ध माओवादियों को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही, मंगनार रोड के पास लगाए गए एक खतरनाक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) को सुरक्षित रूप से निष्क्रिय कर दिया गया। यह कार्रवाई नक्सली उन्मूलन अभियान के तहत की गई, जो क्षेत्र में माओवादियों के प्रभाव को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस सफलता से न केवल पुलिस गश्ती दलों को निशाना बनाने की साजिश विफल हुई, बल्कि एक बड़ा विस्फोटक हादसा भी टल गया।
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Maoists arrested: अभियान का विवरण और संदिग्धों की गिरफ्तारी
पुलिस अधीक्षक गौरव राय ने बताया कि मंगनार रोड के पास संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिलते ही बरसूर पुलिस स्टेशन, जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की संयुक्त टीम ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। टीम का नेतृत्व उप पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुम्भकार और इंस्पेक्टर संजय उर्सा ने किया। संदिग्धों—पांच पुरुषों और एक महिला—ने भागने की कोशिश की, लेकिन उन्हें घेराबंदी कर पकड़ लिया गया। पूछताछ के दौरान उन्होंने माओवादी संगठन से जुड़े होने और पुलिस गश्ती दलों को निशाना बनाने के लिए आईईडी लगाने की साजिश रचने की बात कबूल ली।
Maoists arrested: मर्डर सहित कई घटनाओं को दिया अंजाम
गिरफ्तार संदिग्धों में सबसे कुख्यात अनिल उर्फ कचनु सलाम (30) है, जो कोंडागांव के नेंदु वाया का निवासी है। वह कई गंभीर अपराधों में लिप्त रहा है, जिनमें आईईडी लगाना, हत्याएं, आगजनी और 2019 के एक पुलिस-माओवादी मुठभेड़ में भागीदारी शामिल है। विशेष रूप से, वह 2024 में समंथ कश्यप की हत्या, 2025 में तोडमा जंगल में बामन कश्यप और अनिशराम की हत्याओं, 2023 में तेंदू पत्तों को जलाना, 2024 में एक टावर को आग लगाना और 2023 में मंगनार रोड पर आईईडी विस्फोट में शामिल था। अन्य गिरफ्तार सदस्य हैं: बीजापुर की जमुना उर्फ जयमती मंडावी (26), जो पदनार की निवासी हैं; तथा बस्तर के मालेवाही पुलिस स्टेशन अंतर्गत कहचनार के सन्नू राम कश्यप (20), मनीष कश्यप (19), हरि राम कश्यप (18) और सुलाराम कश्यप (22)। ये सभी स्थानीय निवासी हैं और माओवादी गतिविधियों में सक्रिय थे।
Maoists arrested: बरामद सामग्री और आईईडी निष्क्रिय
ऑपरेशन के दौरान टीम ने 0.5 किलोग्राम का जिंदा प्रेशर आईईडी, फावड़ा, तलवार और अन्य माओवादी सामग्री बरामद की। आईईडी को विशेषज्ञों द्वारा सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत निष्क्रिय कर दिया गया, जिससे संभावित विस्फोट से होने वाली जनहानि और संपत्ति क्षति टल गई। एसपी गौरव राय ने कहा, यह अभियान माओवादियों की रिमोट वायलेंस रणनीति को विफल करने का प्रमाण है। संदिग्धों ने कबूल किया कि आईईडी विशेष रूप से पुलिस वाहनों को उड़ाने के लिए लगाया गया था। राय ने जोर दिया कि दंतेवाड़ा में गहन गश्त और खोज अभियान जारी हैं, जो नक्सली प्रभाव को कम करने में सफल साबित हो रहे हैं।
कानूनी कार्रवाई और नक्सल उन्मूलन अभियान
गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ बरसूर पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 61(2)(ए), 190, 191(2) तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4 और 5 के तहत मामला दर्ज किया गया है। सभी को शनिवार को कोर्ट में पेश कर रिमांड की मांग की गई। पूछताछ से और अपराधों का खुलासा होने की संभावना है।
यह कार्रवाई 2025 में दंतेवाड़ा में नक्सली उन्मूलन अभियान की एक कड़ी है। इस वर्ष सितंबर में 71 कैडरों के आत्मसमर्पण के बाद यह गिरफ्तारी क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों पर लगातार दबाव का संकेत देती है। ‘लोन वर्राटु’ जैसी पुनर्वास योजनाओं के अलावा, संयुक्त अभियान आईईडी जैसे खतरों को न्यूनतम करने में प्रभावी साबित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बस्तर क्षेत्र में माओवादियों की रणनीति अब आईईडी और छिपी हुई गतिविधियों पर केंद्रित है, लेकिन सुरक्षा बलों की सतर्कता से यह कमजोर पड़ रही है।
क्षेत्रीय सुरक्षा में नया आयाम
दंतेवाड़ा और आसपास के जिले लंबे समय से नक्सली हिंसा का केंद्र रहे हैं। 2025 में अब तक कई मुठभेड़ें और आईईडी विस्फोट हुए हैं, जिनमें सुरक्षा बलों और नागरिकों को नुकसान पहुंचा। जनवरी में नारायणपुर-दंतेवाड़ा सीमा पर हुई मुठभेड़ में पांच माओवादी मारे गए थे, जबकि बिजापुर में आईईडी धमाके से आठ डीआरजी जवान शहीद हुए। अक्टूबर में अबूझमाड़ में 38 माओवादियों की मौत के बाद यह गिरफ्तारी माओवादी संगठन को कमजोर करने वाली साबित हो सकती है।
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