RBI MPC: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने शुक्रवार को अपनी बैठक के परिणाम घोषित किए, जिसमें लगातार 11वीं बार रेपो रेट को 6.50% पर स्थिर रखा गया है। हालाँकि, आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, RBI ने कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती करते हुए इसे 4% कर दिया है, जिससे बैंकिंग प्रणाली में लगभग 1.16 लाख करोड़ रुपये की तरलता आएगी।
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SDF 6.25 प्रतिशत, MSF 6.75 प्रतिशत बरकरार
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की घोषणाओं के अनुसार, स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) को 6.25 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है, जबकि बैंक रेट और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) को 6.75 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। यह कदम उस दिशा में उठाया गया है, जहां मुद्रास्फीति को नियंत्रित करते हुए स्थिर आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जा सके। आरबीआई की नीति समिति का मानना है कि सस्टेनेबल प्राइस स्टेबिलिटी (स्थिर मूल्य) को बनाए रखते हुए उच्च विकास की नींव को मजबूती से स्थापित किया जा सकता है। इस स्थिरता के माध्यम से अर्थव्यवस्था में लंबे समय तक संतुलित वृद्धि सुनिश्चित की जा सकती है।
सीआरआर में की कटौती
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह निर्णय आर्थिक विकास में आई मंदी के बीच लिया गया है, जबकि मुद्रास्फीति के उच्च जोखिमों का भी ध्यान रखा गया है। CRR में की गई इस कटौती से बाजार में ब्याज दरों में कमी आने और तरलता में सुधार की उम्मीद है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में ऋण प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा।
दिसंबर 2024 तक मुद्रास्फीति 5% से नीचे
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि दिसंबर 2024 तक मुद्रास्फीति 5% से नीचे आती है, तो फरवरी 2025 में रेपो रेट में कटौती की संभावना बढ़ सकती है। RBI के इस कदम से आवास और बुनियादी ढाँचा जैसे क्षेत्रों में ऋण वृद्धि को समर्थन मिलेगा और उपभोक्ताओं के लिए उधारी की लागत में कमी आ सकती है।
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। रेपो रेट बढ़ने से बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाता है, जिससे वे ग्राहकों के लिए ब्याज दरें बढ़ा देते हैं। रेपो रेट घटने से लोन सस्ता हो जाता है, जिससे मांग और निवेश बढ़ते हैं।
रेपो रेट स्थिर रहने का प्रभाव
रेपो रेट स्थिर रहने से मौजूदा ब्याज दरों पर असर नहीं पड़ेगा। होम, कार और पर्सनल लोन जैसी सुविधाओं की ब्याज दरें फिलहाल स्थिर रहेंगी।
उपभोक्ताओं पर प्रभाव: होम लोन, ऑटो लोन, और पर्सनल लोन की दरें स्थिर रहेंगी। मौजूदा ईएमआई में बदलाव नहीं होगा।
बैंकों पर प्रभाव: बैंकों की उधारी लागत में कोई बदलाव नहीं होगा। बैंक क्रेडिट ग्रोथ पर स्थिरता बनी रहेगी।
बचत पर प्रभाव: फिक्स्ड डिपॉजिट और अन्य बचत साधनों पर ब्याज दरों में भी बदलाव की संभावना कम है।
व्यापार और उद्योग: स्थिर ब्याज दरें व्यापारिक गतिविधियों और निवेश को प्रोत्साहन देती हैं।