GST Council Meeting: राजस्थान में 21 दिसंबर 2024 को हुई 55वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें सबसे प्रमुख बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी दरों में कटौती के प्रस्ताव पर फैसला लिया गया। हालांकि, इस पर निर्णय को आगे के अध्ययन और जांच के लिए टाल दिया गया है और जनवरी में जीओएम (Group of Ministers) की फिर से बैठक होगी। यह कदम बीमाकर्ताओं और पॉलिसीधारकों पर कर का बोझ कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण था, क्योंकि लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी में कटौती की मांग लंबे समय से उठ रही थी। इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श के बाद, काउंसिल ने इसे अगले चरण में देखने का निर्णय लिया है।
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इस बार भी हेल्थ इंश्योरेंस पर नहीं मिली GST छूट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 55वीं जीएसटी परिषद की बैठक के बाद कहा कि हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस पर लगने वाली जीएसटी दर में फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि इस पर और विचार किया जाएगा, लेकिन इस बार कोई फैसला नहीं लिया गया है। वर्तमान में हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18% की जीएसटी लगती है। यह निर्णय बीमा उद्योग की लंबे समय से उठ रही मांग के बावजूद आया है, जिसमें दरों में कमी करने की बात की जा रही थी ताकि बीमाकर्ताओं और पॉलिसीधारकों पर कर का बोझ कम किया जा सके।
शॉल जीएसटी का मामला नहीं उठाया गया : उमर अब्दुल्ला
जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पश्मीना शॉल उद्योग को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस बैठक में कुछ मुद्दों पर सहमति बनी, जबकि कुछ को टाल दिया गया। एक महत्वपूर्ण मुद्दा था, शॉल, खासकर पश्मीना शॉल पर जीएसटी बढ़ाने की अटकलें, जिनका उन्होंने विरोध किया था। उमर अब्दुल्ला ने खुशी जताई कि इस पर विचार नहीं किया गया और उन्होंने यह सुनिश्चित करने की बात की कि भविष्य में भी ऐसे कदम नहीं उठाए जाएं। उनका कहना था कि यदि पश्मीना शॉल पर जीएसटी बढ़ाया जाता, तो यह जम्मू-कश्मीर के इस उद्योग के लिए भारी नुकसान का कारण बन सकता था, जो पहले से ही संकट का सामना कर रहा है।
वित्त मंत्री ने बैठक के बाद किया ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 55वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों की जानकारी दी। यह सभी निर्णय विभिन्न उद्योगों और किसानों के लिए राहत देने वाले हैं, और जीएसटी की दरों में किए गए बदलावों से कुछ उत्पादों की कीमतों पर भी असर पड़ेगा।
फोर्टिफाइड राइस केरनल्स पर टैक्स: फोर्टिफाइड राइस केरनल्स पर पहले 18% जीएसटी था, जिसे अब घटाकर 5% कर दिया गया है।
पॉपकॉर्न पर जीएसटी: साधारण नमक और मसालों से तैयार पॉपकॉर्न (जो पैकेज्ड और लेबल्ड नहीं है) पर 5% जीएसटी लगेगा। पैकेज्ड और लेबल्ड पॉपकॉर्न पर 12% जीएसटी लगेगा। चीनी या कारमेल से तैयार पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी लगेगा।
जीन थेरेपी: जीन थेरेपी को पूरी तरह से जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया गया है।
किसानों के लिए राहत: काली मिर्च और किशमिश बेचने पर किसानों को जीएसटी से छूट दी जाएगी। इन पर कोई कर नहीं लगेगा।
पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए राहत: जिन पेमेंट एग्रीगेटर्स का सालाना लेन-देन 2000 रुपये से कम है, उन्हें जीएसटी से छूट दी जाएगी। पीनल चार्जेज पर भी जीएसटी नहीं लगेगा, जब पेमेंट एग्रीगेटर्स NBFC से लंबी अवधि के लिए लोन लेते हैं।
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