Gold Prices: भारत में सोने की कीमतें सोमवार को अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गईं। 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 87,210 रुपये हो गई, जबकि 1 ग्राम की कीमत 8,721 रुपये रही। इस उछाल ने निवेशकों का ध्यान एक बार फिर से सोने की ओर आकर्षित कर दिया है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अन्य आर्थिक कारकों के चलते सोने की कीमतों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
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लगातार बढ़ रही सोने की कीमतें
फरवरी की शुरुआत से ही सोने की कीमतों में तेज़ी देखने को मिल रही है। 1 फरवरी को 22 कैरेट सोने की कीमत 7,760 रुपये प्रति ग्राम थी, जबकि 24 कैरेट सोने की कीमत 8,464 रुपये प्रति ग्राम थी। मात्र 10 दिनों में, यानी 10 फरवरी तक, यह दरें क्रमशः 7,995 रुपये और 8,721 रुपये हो गईं। इस दौरान 22 कैरेट सोने में +3.03 प्रतिशत और 24 कैरेट सोने में +3.04 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
कीमतों में उछाल के पीछे प्रमुख कारण
सोने की कीमतों में इस हालिया उछाल के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं:
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता:
व्यापारिक तनाव, मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं और वैश्विक मंदी की आशंकाओं ने निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया है। जब भी आर्थिक अस्थिरता बढ़ती है, निवेशक सोने को एक सुरक्षित निवेश मानते हैं।
केंद्रीय बैंकों की बढ़ती खरीद:
चीन और भारत समेत कई देशों के केंद्रीय बैंक लगातार अपने स्वर्ण भंडार में इज़ाफा कर रहे हैं। विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, कई देशों के केंद्रीय बैंक सोने को अपनी मुद्रा भंडार नीति में शामिल कर रहे हैं।
कमजोर भारतीय रुपया:
हाल के महीनों में भारतीय रुपये में गिरावट आई है, जिससे आयात महंगा हो गया है। चूंकि भारत अपनी अधिकांश स्वर्ण मांग को आयात से पूरा करता है, इसलिए रुपये की कमजोरी घरेलू सोने की कीमतों को प्रभावित कर रही है।
मुद्रास्फीति और शेयर बाजार की अस्थिरता:
सोना सदियों से मुद्रास्फीति के खिलाफ एक सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है। हाल के महीनों में शेयर बाजार की अस्थिरता और वैश्विक मंदी की आशंकाओं ने निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया है।
केंद्रीय बैंकों की सोने में रुचि
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अन्य स्रोतों के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2023 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने 3 टन (t) सोने की शुद्ध बिक्री की थी। हालांकि, 2024 में केंद्रीय बैंकों की खरीदारी बढ़ी है। पोलैंड इस वर्ष का सबसे बड़ा शुद्ध खरीदार बनकर उभरा है, जिसने अपने भंडार में 90 टन सोना जोड़ा है। इसके बाद तुर्की (75 टन) और भारत (73 टन) का स्थान है। महीने के दौरान, कजाकिस्तान सबसे बड़ा विक्रेता रहा, जिसने 11 टन सोना बेचा, जबकि चीन ने 10 टन की खरीदारी की। अन्य उल्लेखनीय खरीदारों में चेक नेशनल बैंक और बैंक ऑफ घाना शामिल हैं, जिन्होंने अपने भंडार में 1 टन सोना जोड़ा।
आने वाले महीनों में क्या रहेगा रुझान?
विश्लेषकों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बनी रहने के कारण आने वाले महीनों में सोने की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। अगर महंगाई दर बढ़ती है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करता है, तो सोने की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं।
निवेशकों के लिए सलाह
निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे केंद्रीय बैंकों की गतिविधियों, मुद्रास्फीति की प्रवृत्तियों और वैश्विक आर्थिक स्थितियों पर बारीकी से नज़र रखें। वर्तमान रुझानों को देखते हुए, सोना एक मजबूत निवेश विकल्प बना हुआ है और इसकी मांग निकट भविष्य में बनी रहने की संभावना है।
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