Malegaon Blast Case: 17 साल तक ‘भगवा आतंकवाद’ की बहस के केंद्र में रहीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर आखिरकार बरी हो गईं। 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने गुरुवार को अपने फैसले में कहा कि आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं, इसलिए सभी सातों आरोपियों को रिहा किया जाता है। फैसले के साथ ही अदालत कक्ष में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा, खासकर साध्वी प्रज्ञा के चेहरे से।
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Malegaon Blast Case: 17 साल तक मुझे आतंकवादी कहा गया
भावुक होकर साध्वी ने अदालत में कहा, मुझे 13 दिनों तक प्रताड़ित किया गया। 17 साल तक मुझे आतंकवादी कहा गया। मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी गई। लेकिन आज भगवा जीत गया है। हिंदुत्व को आतंक बताने वालों को इतिहास माफ नहीं करेगा। उनकी बातें सुनते समय कोर्ट में सन्नाटा पसरा था। फैसले के वक्त सभी सात आरोपी अदालत में मौजूद थे। फैसले के बाद साध्वी अदालत में ही फूट-फूट कर रो पड़ीं।
Malegaon Blast Case: लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने ली राहत की सांस ली
दूसरे प्रमुख आरोपी, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने भी राहत की सांस ली और कहा, मैं भारतीय सेना का सिपाही हूं। मैंने देश की सेवा की है और करता रहूंगा। जांच एजेंसियां गलत नहीं होतीं, लेकिन उनमें बैठे लोग गलत हो सकते हैं। हमें 17 साल तक भुगतना पड़ा। उम्मीद करता हूं, कोई आम नागरिक ऐसा न सहे।
Malegaon Blast Case: क्या था मामला?
29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में भिक्कू चौक मस्जिद के पास बम धमाका हुआ था। बम एक मोटरसाइकिल में छुपा था। धमाके में 6 लोगों की जान गई और 100 से अधिक घायल हुए। धमाका रमज़ान के महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले हुआ था, जिससे सांप्रदायिक तनाव भी फैला। शुरुआत में जांच एटीएस ने की, बाद में एनआईए को सौंपी गई। साध्वी प्रज्ञा, पुरोहित सहित कई हिंदू संगठनों से जुड़े लोग आरोपी बनाए गए। इसी केस से “भगवा आतंक” जैसी राजनीतिक बहस को भी हवा मिली।
Malegaon Blast Case: कोर्ट का फैसला क्या कहता है?
अदालत ने कहा कि यूएपीए, आईपीसी और आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। लिहाजा सभी को बरी किया जाता है। कोर्ट ने सरकार को 6 मृतकों के परिवारों को दो-दो लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपए मुआवजा देने का निर्देश भी दिया।
Malegaon Blast Case: राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, आतंकवाद भगवा कभी नहीं था, न है, न रहेगा। वहीं डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, 17 साल बाद सच की जीत हुई है। सत्य को देर से ही सही, लेकिन न्याय मिला है।
क्या अब खत्म होगी ‘भगवा आतंकवाद’ की बहस?
मालेगांव केस की शुरुआत से ही यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक बहस का विषय रहा। ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल देश की राजनीति में चर्चा और विवाद दोनों का कारण बना। अब, कोर्ट के फैसले के बाद कई सवाल शांत हो सकते हैं, लेकिन बहस शायद खत्म न हो।
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