Supreme Court: बिहार में मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को अहम सुनवाई हुई। कांग्रेस, टीएमसी, राजद, सीपीआई (एम) समेत कई विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की, जबकि चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया संविधान और कानून के तहत हो रही है, इसे रोका नहीं जा सकता।
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Supreme Court: ‘लोकतंत्र की जड़ों से जुड़ा मामला’
सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि यह मामला ‘लोकतंत्र की जड़ों’ से जुड़ा हुआ है, क्योंकि इसमें नागरिकों के वोट देने के अधिकार का सवाल शामिल है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता आयोग की शक्ति नहीं बल्कि प्रक्रिया और समय को चुनौती दे रहे हैं।
Supreme Court: आयोग ने दी प्रक्रिया जारी रखने की दलील
चुनाव आयोग की तरफ से पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया पूरी होने दी जाए, इसके बाद यदि कोई समस्या है तो उसे देखा जा सकता है। यदि इस स्तर पर प्रक्रिया रोकी गई तो नवंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर असर पड़ेगा।
Supreme Court: याचिकाकर्ताओं की दलील
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और गोपाल शंकर नारायण ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील देते हुए कहा कि एसआईआर का कोई कानूनी आधार नहीं है, और इसमें 11 दस्तावेज अनिवार्य कर देना भेदभावपूर्ण और मनमाना कदम है। नारायण ने कहा कि वोटर लिस्ट का नियमित रिवीजन पहले ही हो चुका है, ऐसे में दोबारा इसकी जरूरत नहीं है।
‘आयोग वही कर रहा जो संविधान में दिया गया’
सुनवाई के दौरान जस्टिस धूलिया ने कहा, चुनाव आयोग वही कर रहा है, जो संविधान में दिया गया है, ऐसे में यह कहना उचित नहीं कि आयोग जो कर रहा है, वह नहीं कर सकता। जस्टिस बागची ने स्पष्ट किया, हम चुनाव आयोग के काम में दखल देने के पक्ष में नहीं हैं। आयोग एक संवैधानिक संस्था है और हम उसे एसआईआर करने से नहीं रोक सकते।
आयोग ने 11 दस्तावेजों को लेकर दी सफाई
चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा कि 11 दस्तावेज अनिवार्य करने के पीछे उद्देश्य नागरिकता सत्यापन नहीं, बल्कि पहचान सुनिश्चित करना है। आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में लिया जा रहा है, न कि नागरिकता के प्रमाण के तौर पर। आयोग ने कहा कि अब तक 60% लोगों ने फॉर्म भर दिए हैं और कई अपलोड भी कर दिए गए हैं।
मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को की जाएगी ताकि विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले इस पर विचार किया जा सके। कोर्ट ने ड्राफ्ट प्रकाशन पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया, जिससे आयोग अपनी प्रक्रिया आगे बढ़ा सके।
बिहार में वोटर लिस्ट विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में है, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि वह चुनाव आयोग के संवैधानिक कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगा। हालांकि, याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनकर मूल कानूनी सवालों पर विचार किया जाएगा ताकि मतदाता सूची से जुड़े मुद्दों पर पारदर्शिता बनी रहे।
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