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Mokama Gang war: बाहुबली अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच 60 से 70 राउंड की गोलीबारी, इलाके में जबर्दस्त तनाव

Mokama Gang war: बिहार के मोकामा के नौरंगा जलालपुर गांव में पूर्व विधायक अनंत सिंह और कुख्यात सोनू-मोनू गैंग के बीच जबरदस्त गोलीबारी हुई।

Mokama Gang war: बिहार के मोकामा के नौरंगा जलालपुर गांव में बुधवार को एक खतरनाक गैंगवार का मामला सामने आया, जिसमें पूर्व विधायक अनंत सिंह और कुख्यात सोनू-मोनू गैंग के बीच जबरदस्त गोलीबारी हुई। यह घटना इलाके में एक बार फिर दहशत का माहौल बना गई, क्योंकि फायरिंग में करीब 60 से 70 राउंड गोली चली। इस घटनाक्रम के बाद पुलिस ने इलाके में भारी बल तैनात कर दिया है और आरोपियों की पहचान की जा रही है।

वर्चस्व की जंग: अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच संघर्ष

जानकारी के अनुसार, यह गोलीबारी दोनों गैंगों के बीच वर्चस्व को लेकर हुई। शुरू से ही अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच तनावपूर्ण रिश्ते रहे हैं। हालांकि, अनंत सिंह के जेल से रिहा होने के बाद कुछ समय के लिए दोनों के रिश्तों में सुधार हुआ था, लेकिन अब फिर से यह संघर्ष उभरकर सामने आ गया है। पुलिस अब इस घटना के कारणों की गहरी जांच कर रही है और फायरिंग करने वालों की पहचान की कोशिश की जा रही है।

यह घटना मोकामा विधानसभा क्षेत्र के नौरंगा जलालपुर गांव में हुई, जो राजनीतिक और आपराधिक दोनों दृष्टियों से सुर्खियों में रहा है। अनंत सिंह, जो पहले जदयू से विधायक रहे हैं, और सोनू-मोनू गैंग के बीच यह टकराव उस समय बढ़ गया, जब दोनों के बीच इलाके पर नियंत्रण और प्रभाव की लड़ाई तेज हो गई।

अनंत सिंह का विवादित राजनीतिक सफर

पूर्व विधायक अनंत सिंह का राजनीतिक सफर विवादों और आपराधिक मामलों से जुड़ा रहा है। उन्होंने 2005 में जदयू के टिकट पर मोकामा विधानसभा से पहली बार चुनाव जीतकर राजनीति में कदम रखा था। इसके बाद, 2010 में भी उन्होंने जदयू के टिकट पर फिर से मोकामा से जीत दर्ज की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनके अच्छे रिश्ते थे, लेकिन 2015 में अचानक दोनों के बीच दरार आ गई। इस दौरान अनंत सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मोकामा विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

2015 में उनकी पटना स्थित सरकारी मकान में छापेमारी के दौरान कई प्रतिबंधित सामग्रियां बरामद हुई थीं, जिसके बाद उनका नाम कई गंभीर आपराधिक मामलों में आया। इसके बावजूद, अनंत सिंह ने 2015 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। 2020 में उन्होंने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा, हालांकि वह जेल में बंद थे, लेकिन फिर भी उन्होंने चुनाव जीतकर मोकामा पर अपनी राजनीतिक पकड़ बनाई।

आपराधिक मामले और जेल की सजा

हालांकि, 2022 में अनंत सिंह को एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया और उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी पत्नी ने राजद के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की। अनंत सिंह के खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं और उनका राजनीतिक प्रभाव अब भी बिहार की राजनीति में कायम है।

सुरक्षा बल की तैनाती और जांच

इस बीच, मोकामा में हुए गैंगवार के बाद पुलिस ने इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया है। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर गोलीबारी करने वालों की पहचान करने की कोशिश की है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना बनाई है। पुलिस का कहना है कि इस गैंगवार के कारणों की जांच की जा रही है और मामले को जल्द ही सुलझाने की कोशिश की जाएगी।

बिहार की राजनीति और आपराधिक प्रभाव

बिहार में आपराधिक तत्वों का राजनीति में घुसपैठ एक गंभीर समस्या बन चुकी है। अनंत सिंह जैसे नेताओं का आपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद राजनीति में प्रभाव बनाए रखना, बिहार की राजनीति में एक अहम सवाल खड़ा करता है। इस तरह के घटनाक्रम राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाते हैं, और यह मांग की जा रही है कि राज्य सरकार इस पर कड़ी कार्रवाई करे।

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