Mahadev App Scam: छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ महादेव एप मामले में रायपुर की आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्लू ने अपराध दर्ज कर लिया है। आईपीसी की धारा 120बी, 34, 406, 420, 467, 468 और 471 के तहत दर्ज किया गया है। लेकिन भूपेश बघेल का नाम एफआईआर में छठवें नंबर पर है, यही नहीं उनके साथ 20 नामजद आरोपी हैं, जबकि इस खेल में शामिल ब्यूरोक्रेट्स और आला पुलिस अफसरों को बचाने के लिए 21वें नंबर पर सिर्फ संबंधित ब्यूरोकेटस, पुलिस अधिकारीगण, ओएसडी गण लिखकर छोड़ दिया गया। ऐसा ही 22वें नंबर पर अज्ञात निजी व्यक्ति लिखा गया है। कानून के जानकारों का कहना है कि इस तरह एफआईआर के जरिए फंसाने, बचाने और बाद में उलझाने की कहानी का पूरा प्लान तैयार किया गया है।
एफआईआर 4 मार्च को दर्ज, छह दिन दबाए रखा मामला
इसे सरकार का खेल कहें या जांच एजेंसी का, लेकिन सच तो यह है कि एफआईआर 4 मार्च को दर्ज कर ली गई थी। इस एफआईआर के बाद मामले को दबाकर रखा गया। जब चारों तरफ से छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार पर सवाल उठने लगे। गृहमंत्री अपने बयान में उलझ गए तो इस सब से निकलने के लिए एफआईआर को उजागर किया गया। करीब छह दिन बाद मालूम चला कि ईओडब्लू ने भूपेश समेत 20 नामजद व दो अन्यों के आधार पर प्रकरण दर्ज किया है।
एएसआई ने कबूला – 65 करोड़ रु लिए, जो कई अफसरों में बंटे
पहले ईडी ने छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में एएसआई चद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर, कारोबारी सुनील और अनिल दम्मानी को गिरफ्तार कर जेल भेजा। इसके बाद एएसआई चंद्रभूषण वर्मा के परिजनों का कथन लिया। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और फैमिली कंपनी के संचालक और परिवार से पूछताछ की।
बता दें कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने कथित तौर पर 65 करोड़ रुपए रिश्वत ली और छत्तीसगढ़ प्रशासन और पुलिस विभाग के अधिकारियों के बीच रकम को बांटा गया। यह कोई आरोप नहीं है, उसने खुदने ईडी की पूछताछ में यह राज खोला है। तब जाकर ईडी ने लगातार समन जारी कर कार्रवाई शुरू की।
ईडी की टीम को पूछताछ के दौरान जो सुराग मिले उसके आधार पर महादेव ऐप के कोलकाता स्थित इवेंट मैनेजर विकास छपाडिय़ा और शेयर कारोबारी गोविंद खेडिय़ा के घर पर दबिश दी गई। दोनों को दबोचा गया। ईडी ने 13 करोड़ का सोना जब्त किया। विकास छपाडिय़ा मुंबई में रहता है। उसने वनवाडू का सिटीजनशिप लिया है। ईडी ने इवेंट मैनेजर के घर मुंबई और भोपाल में दबिश देकर इवेंट मैनेजर को पकड़ा।
ईडी ने जिन अफसरों के बयान लिए उनकी अनदेखी कर रही सरकार
प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए के तहत धारा 50 में आरोपियों के बयान दर्ज किए थे। ईओडब्लू को सौंपी रिपोर्ट में यह बयान शामिल किए थे। अदालत ने ईडी को धारा 50 में किसी व्यक्ति को समन जारी करने, डाक्यूमेंट की जांच और बयान दर्ज करने का विशेषाधिकार दिया है। इसी कानून में धारा 19 के तहत किसी को गिरफ्तार करने का भी अधिकार है।
बहरहाल, धारा 50 के बयान को अदालत के समक्ष धारा 164 के बयान के समान ही वैध माना जाता है। फिर भी इसकी अनदेखी करते हुए रिपोर्ट में शामिल अफसरों के बयान को छुपाने और उनकी भूमिका पर पर्दा डालने का काम किया गया। ईडी की रिपोर्ट में जिन आरोपियों, गवाहों और अफसरों के बयान लिए गए अब छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री उनको नजरअंदाज करने में जुटे हैं।
आरोपियों में पूर्व सीएम भूपेश छठे नंबर पर हैं, अफसरों के नाम छुपाने को 21वां नंबर
- रवि उप्पल
- शुभम सोनी उर्फ पिंटू
- चंद्रभूषण वर्मा
- असीमदास
- सतीश चंद्राकर
- भूपेश बघेल
- नीतिश दीवान
- सौरभ चंद्राकर
- अनिल कुमार अग्रवाल उर्फ अतुल अग्रवाल
- विकास छापरिया
- रोहित गुलाटी
- विशाल आहुजा
- धीरज आहुजा
- अनिल कुमार दम्मानी
- सुनील कुमार दम्मानी
- भीम सिंह यादव
- हरीशंकर तिबरवाल
- सुरेंद्र बागड़ी उर्फ जुनीयर कोलकता
- सूरज चोखानी
- संबंधित ब्यूरोक्रेटस, पुलिस अधिकारीगण, ओएसडी गण
- अज्ञात निजी व्यक्तिगण