Sheikh Hasina Sentenced To Death: बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (आईसीटी-1) ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई। यह फैसला 2024 के छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए खूनी दमन से जुड़ा है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 1,400 से अधिक लोग मारे गए। हसीना, जो अगस्त 2024 में सत्ता से हटने के बाद भारत में निर्वासन में हैं, को अनुपस्थिति में दोषी ठहराया गया। ट्रिब्यूनल ने उन्हें “मास्टरमाइंड” घोषित किया, लेकिन अपील के विकल्पों की सीमाओं ने राजनीतिक संकट को और गहरा दिया है।
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Sheikh Hasina Sentenced To Death: छात्र आंदोलन से सत्ता का पतन
मुकदमा जुलाई 2024 में शुरू हुए छात्र आंदोलन से उपजा, जो सरकारी नौकरियों में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के वंशजों के लिए आरक्षण नीति के खिलाफ था। प्रदर्शनकारियों पर दबाव डालने के लिए हसीना सरकार ने सेना, पुलिस और चट्टग्राम लीग जैसे गुटों का सहारा लिया। इंटरनेट ब्लैकआउट, हेलीकॉप्टरों से गोलीबारी और ड्रोनों के इस्तेमाल से हिंसा भड़की। अभियोजन पक्ष ने फोन रिकॉर्डिंग, ड्रोन लॉग, अस्पताल दस्तावेज और 200 से अधिक गवाहों के बयानों के आधार पर हसीना पर आरोप लगाया कि उन्होंने घातक बल का आदेश दिया। मुकदमा 1 जून 2025 को शुरू हुआ और देशव्यापी लाइव प्रसारित किया गया। पांच आरोपों में से तीन पर दोष सिद्ध: उकसावा, हत्याओं का आदेश और रोकथाम में विफलता। पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी मौत की सजा मिली, जबकि सह-आरोपी अल-ममून को पांच साल की कैद।
Sheikh Hasina Sentenced To Death: फैसले की प्रतिक्रियाएं
फैसले के बाद ढाका की सड़कों पर जश्न का माहौल था। पीड़ित परिवार, छात्र संगठन और विपक्षी दल जैसे बीएनपी व जमात-ए-इस्लामी ने इसे ‘न्याय की जीत’ बताया। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने कहा, ‘यह ऐतिहासिक फैसला है, लेकिन शांति बनाए रखें।’ हालांकि, हसीना ने वीडियो संदेश में कोर्ट को ‘कंगारू ट्रिब्यूनल’ कहा और अंतरिम सरकार पर ‘चरमपंथियों का आरोप’ लगाया। उनकी पार्टी अवामी लीग ने इसे ‘राजनीतिक बदला’ करार देते हुए हड़ताल की चेतावनी दी। हसीना के बेटे सज्जीब वाजेद जॉय ने कहा कि अपील तभी करेंगे जब लोकतांत्रिक सरकार बने।
Sheikh Hasina Sentenced to Death: जश्न और विवाद
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएं बंटीं। संयुक्त राष्ट्र ने न्याय का स्वागत किया लेकिन मौत की सजा का विरोध किया। ह्यूमन राइट्स वॉच ने निष्पक्षता पर सवाल उठाए, जबकि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे ‘बदला’ कहा। भारत ने फैसले को नोट किया लेकिन प्रत्यर्पण पर चुप्पी साधी। बांग्लादेश ने भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की, लेकिन 2013 की संधि राजनीतिक अपराधों को छूट देती है।
Sheikh Hasina Sentenced To Death: अपील के विकल्प: सुप्रीम कोर्ट या अंतरराष्ट्रीय अपील?
अब मुख्य सवाल: हसीना कहां अपील कर सकती हैं? आईसीटी कानून के तहत दोषी को सुप्रीम कोर्ट में अपील का अधिकार है, लेकिन कई स्रोतों के अनुसार, अपील के लिए बांग्लादेश लौटना या 30 दिनों के अंदर गिरफ्तारी अनिवार्य हो सकती है। हसीना के राज्य-नियुक्त वकील मोहम्मद अमीर हुसैन ने कहा, ‘अनुपस्थिति में अपील संभव नहीं।’ फिर भी, कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट अपील सुन सकता है।
हसीना के वकील संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत को निष्पक्षता पर अपील भेज चुके हैं। प्रत्यर्पण असफल होने पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) या यूरोपीय मानवाधिकार अदालत जैसे मंच विकल्प हो सकते हैं, लेकिन राजनीतिक अपराध होने से जटिलताएं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अपील प्रक्रिया बांग्लादेश की राजनीति को प्रभावित करेगी, खासकर 2026 के चुनावों से पहले।
राजनीतिक प्रभाव: अस्थिरता या सुलह की दिशा?
यह फैसला अवामी लीग पर प्रतिबंध के बीच आया, जिससे पार्टी की चुनावी भागीदारी संदिग्ध है। यूनुस सरकार की वैधता मजबूत हुई, लेकिन हिंसा की आशंका है। पीड़ितों के लिए मुआवजे का आदेश सकारात्मक है, लेकिन फंडिंग अस्पष्ट है। कुल मिलाकर, अपील के संकुचित रास्ते से संकट गहरा सकता है, लेकिन सच्चाई आयोग की मांग से शांति संभव है। हसीना का भारत में ठहरना जारी रह सकता है, लेकिन वैश्विक दबाव बढ़ेगा।
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