Election Commission: चुनाव आयोग ने देश में मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए दूसरे चरण के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की घोषणा की। इस चरण में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, पुडुचेरी, मध्य प्रदेश, लक्षद्वीप, केरल, गुजरात, गोवा, छत्तीसगढ़ और अंडमान निकोबार शामिल हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सोमवार रात से इन सभी 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मतदाता सूची फ्रीज कर दी जाएगी।
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Election Commission: दो दशक बाद SIR की जरूरत
सीईसी ने एसआईआर की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आखिरी बार 2000 से 2004 के बीच देश में विशेष गहन पुनरीक्षण हुआ था। करीब दो दशक बाद मतदाता सूची में जमा हुई अशुद्धियों को दूर करने के लिए यह कवायद जरूरी हो गई है। ज्ञानेश कुमार ने कहा, हर चुनाव से पहले इलेक्ट्रोरल रोल का रिवीजन अनिवार्य है। विगत वर्षों में कई राजनीतिक दलों ने मतदाता सूची में गड़बड़ियों की शिकायत की है। इसलिए चुनाव आयोग ने पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से एसआईआर कराने का फैसला लिया है।
Election Commission: बिहार मॉडल की तारीफ, जीरो आपत्ति का रिकॉर्ड
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीईसी ने बिहार में संपन्न पहले चरण के एसआईआर की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि बिहार के 7.4 करोड़ मतदाताओं ने इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी दिखाई। सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि शून्य आपत्तियां दर्ज की गईं। सीईसी ने गर्व से कहा, बिहार में एसआईआर का फेज-1 सफलतापूर्वक पूरा हुआ। सभी राजनीतिक दलों ने कोई अपील नहीं की, जो साबित करता है कि बिहार की मतदाता सूची अब तक की सबसे शुद्ध और विश्वसनीय है। बिहार का यह मॉडल अब अन्य राज्यों के लिए आदर्श बन गया है।
Election Commission: मतदाता सूची फ्रीज: क्या होगा असर?
सोमवार रात से 12 राज्यों में मतदाता सूची फ्रीज होने का मतलब है कि अब इन क्षेत्रों में नए नाम जोड़ने, हटाने या संशोधन की प्रक्रिया अस्थायी रूप से बंद हो जाएगी। यह कदम एसआईआर के दौरान पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। फ्रीज अवधि में केवल विशेष मामलों में ही बदलाव संभव होंगे, जैसे मृत मतदाताओं के नाम हटाना या डुप्लिकेट एंट्रीज को सुधारना।
Election Commission: राजनीतिक दलों की भूमिका अहम
चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से एसआईआर में सक्रिय सहयोग की अपील की है। बिहार में सफलता का मुख्य कारण राजनीतिक दलों का सहयोग और जन भागीदारी रहा। सीईसी ने कहा, हम चाहते हैं कि हर राज्य में बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs), मतदाता और राजनीतिक दल मिलकर इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएं। आयोग ने राज्यों में हाउस-टू-हाउस वेरिफिकेशन, डोर-टू-डोर सर्वे और डिजिटल वेरिफिकेशन की व्यवस्था की है।
Election Commission: किन गड़बड़ियों पर फोकस?
एसआईआर का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची में मौजूद डुप्लिकेट नाम, मृत मतदाताओं की एंट्री, स्थानांतरण के बाद पुरानी एंट्री, गलत उम्र या पता जैसी त्रुटियों को दूर करना है। साथ ही, 18 साल पूरे कर चुके नए मतदाताओं को सूची में शामिल करना और महिला, दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाना भी प्राथमिकता है।
डिजिटल और पारंपरिक तरीके का मिश्रण
आयोग इस बार डिजिटल प्लेटफॉर्म का भरपूर इस्तेमाल कर रहा है। मतदाता Voter Helpline App, NVSP पोर्टल और ERONET के जरिए अपनी जानकारी चेक कर सकते हैं। साथ ही, पारंपरिक बूथ लेवल सर्वे और कैंप मोड में दस्तावेज जमा करने की सुविधा भी उपलब्ध है। लक्षद्वीप और अंडमान जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में विशेष टीमें तैनात की गई हैं।
दूसरे चरण के एसआईआर की विस्तृत समयसीमा जल्द जारी की जाएगी। प्रारंभिक ड्राफ्ट मतदाता सूची जनवरी 2026 में प्रकाशित होगी, जिसके बाद दावे-आपत्तियां दर्ज की जा सकेंगी। अंतिम सूची फरवरी-मार्च 2026 तक तैयार होने की संभावना है। यह प्रक्रिया 2026-27 में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए आधार बनेगी।
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