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Tuesday, October 14, 2025
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बहराइच में अवैध मदरसे पर छापा: बाथरूम में छिपी मिलीं 40 नाबालिग लड़कियां

UP Crime: उत्तर प्रदेश में अवैध मदरसों के संचालन से जुड़ा बड़ा मामला सामने आया है। बहराइच जिले की पयागपुर तहसील क्षेत्र में चल रहे अवैध मदरसे में 40 लड़कियां मिली हैं।

UP Crime: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में अवैध मदरसों के खिलाफ चल रही मुहिम में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। पयागपुर तहसील के पट्टीहाट चौराहे के पास स्थित एक अनधिकृत मदरसे में प्रशासनिक टीम ने छापा मारा, जहां 40 नाबालिग लड़कियां (उम्र 9 से 14 वर्ष) बाथरूम में छिपी मिलीं। यह कार्रवाई स्थानीय शिकायतों के आधार पर की गई थी, और मदरसा संचालक ने दस्तावेज पेश करने से इनकार कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सीमावर्ती जिलों में ऐसी कार्रवाइयों को तेज किया गया है, जो अवैध संस्थानों पर नकेल कसने का संकेत देती हैं।

UP Crime: छापेमारी का विवरण: संचालक का विरोध, फिर जबरन प्रवेश

पयागपुर उपजिलाधिकारी (एसडीएम) अश्वनी कुमार पांडे के नेतृत्व में बुधवार शाम को प्रशासनिक टीम ने फलहारा गांव में स्थित तीन मंजिला इमारत में चल रहे जामिया घाजिया गुलशन-ए-गौसुलवारा मदरसे का निरीक्षण किया। एसडीएम पांडे ने बताया कि टीम के पहुंचते ही मदरसा संचालक खलील अहमद ने गेट खोलने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, हमने तुरंत पयागपुर थाने से पुलिस बल बुलाया और जबरन प्रवेश कर जांच शुरू की। जांच के दौरान मदरसे के बाथरूम में करीब 40 लड़कियां लॉक करके छिपी हुई मिलीं, जिन्हें बाहर निकालकर पूछताछ की गई।

लड़कियों ने बताया कि वे तालीम हासिल करने के लिए मदरसे आती हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि देर शाम तक उन्हें बाथरूम में क्यों छिपाया गया? एसडीएम ने कहा कि संचालक के पास कोई वैध रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस या दस्तावेज नहीं मिले। केवल एक शिक्षिका तफसीन फातिमा (संचालक की बेटी) ने लड़कियों के एडमिशन फॉर्म दिखाए, लेकिन स्टाफ या प्रबंधन के अन्य रिकॉर्ड गायब थे। यह मदरसा पिछले तीन वर्षों से बिना किसी मान्यता के संचालित हो रहा था, जो 2023 की एक सर्वे में 495 अवैध मदरसों की सूची से चूक गया था।

मदरसा बंद, लड़कियां परिजनों को सौंपी गईं

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी (डीएमओ) मोहम्मद खालिद ने पुष्टि की कि मदरसे को तत्काल बंद करने का आदेश जारी कर दिया गया है। उन्होंने बताया, लड़कियों को सुरक्षित उनके अभिभावकों के हवाले कर दिया गया है। हमने जिलाधिकारी को पूरी रिपोर्ट भेज दी है। खालिद ने यह भी कहा कि मदरसे में फंडिंग का स्रोत संदिग्ध है। आशंका है कि बाहरी स्रोतों से बड़े पैमाने पर धन आ रहा था। इसकी गहन जांच चल रही है, जिसमें वित्तीय लेन-देन और संचालन के अन्य पहलुओं को शामिल किया जाएगा। लड़कियों की सुरक्षा और उनके मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य की जांच के लिए चाइल्ड वेलफेयर कमिटी को भी सूचित किया गया है।

सीएम योगी के निर्देश: सीमावर्ती जिलों में सतत कार्रवाई

यह घटना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस निर्देश का हिस्सा है, जिसमें भारत-नेपाल सीमा से सटे जिलों—बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर और सिद्धार्थनगर—में अवैध मदरसों, मस्जिदों और अतिक्रमणों पर सख्ती बरतने को कहा गया था। इस वर्ष राज्य सरकार ने सरकारी जमीन पर बने अवैध संस्थानों की पहचान कर उन्हें सील या ध्वस्त किया है। बहराइच में ही 2023 के सर्वे में 495 अनधिकृत मदरसे चिह्नित हुए थे, जिनमें से कई पर कार्रवाई हो चुकी है। प्रशासन का कहना है कि ऐसी संस्थाएं न केवल शिक्षा के नाम पर धोखा दे रही हैं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही हैं।

सुरक्षा चिंताएं और आगे की जांच

इस घटना ने अवैध मदरसों में लड़कियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बिना निगरानी के चलने वाले ऐसे संस्थान बाल श्रम, शोषण या कट्टरपंथी गतिविधियों का केंद्र बन सकते हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि मदरसा लंबे समय से संदेह के घेरे में था, लेकिन शिकायतों पर कार्रवाई में देरी हुई। अब जिला प्रशासन ने सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाने का फैसला लिया है।

डीएमओ खालिद ने अपील की कि अभिभावक केवल मान्यता प्राप्त संस्थानों में ही बच्चों को भेजें। उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षा को मजबूत करना है, न कि अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देना। पुलिस ने संचालक खलील अहमद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी की है, जिसमें अवैध संचालन और बच्चों को खतरे में डालने के आरोप शामिल हैं।

राज्यव्यापी अभियान का प्रभाव

उत्तर प्रदेश में अवैध मदरसों के खिलाफ यह अभियान 2023 से तेज हुआ है, जब सर्वे में हजारों ऐसी संस्थाएं पाई गईं। सीएम योगी ने स्पष्ट कहा था कि कोई भी अवैध गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस घटना ने न केवल बहराइच बल्कि पूरे राज्य में जागरूकता फैलाई है। शिक्षा विभाग ने अब सभी जिलों में रैंडम निरीक्षण बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। यह मामला बाल अधिकारों और शिक्षा की गुणवत्ता पर बहस छेड़ सकता है, जहां सरकार का फोकस पारदर्शिता और सुरक्षा पर है।

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