Assam Rifles: मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में शुक्रवार शाम अज्ञात सशस्त्र आतंकवादियों ने असम राइफल्स के एक वाहन पर घात लगाकर हमला कर दिया। इस घटना में दो जवान शहीद हो गए, जबकि पांच अन्य घायल हो गए। यह हमला राज्य में पिछले एक वर्ष से अधिक समय बाद सुरक्षा बलों पर पहला बड़ा लक्षित हमला है, जो संघर्षग्रस्त क्षेत्र में शांति प्रयासों को झटका दे सकता है। हमला बिष्णुपुर जिले के नाम्बोल सबल लेइकाई इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर हुआ, जो इंफाल एयरपोर्ट से मात्र 8 किमी दूर है। राज्य में राष्ट्रपति शासन के बावजूद बढ़ते उग्रवादी गतिविधियां चिंता का विषय बनी हुई हैं।
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Assam Rifles: अज्ञात सशस्त्र आतंकवादियों ने घात लगाकर किया हमला
रक्षा प्रवक्ता के अनुसार, 19 सितंबर 2025 को शाम करीब 5:50 बजे 33 असम राइफल्स की एक टुकड़ी अपने पटसोई कंपनी ऑपरेटिंग बेस (इंफाल वेस्ट) से नाम्बोल कंपनी ऑपरेटिंग बेस (बिष्णुपुर) की ओर जा रही थी। टुकड़ी एक 407 टाटा वाहन में सवार थी और अंधेरे का फायदा उठाकर बस्ती वाले इलाके से गुजर रही थी। मणिपुर के गैर-अधिसूचित (डिनोटिफाइड) क्षेत्र में राजमार्ग पर नाम्बोल सबल लेइकाई के सामान्य इलाके में अज्ञात आतंकवादियों ने अचानक घात लगाकर गोलीबारी शुरू कर दी। हमलावर भारी हथियारों से लैस थे, जिससे गोलीबारी की तीव्रता अधिक रही।
इसके बाद हुई जवाबी कार्रवाई में असम राइफल्स के दो जवान शहीद हो गए। शहीद जवानों की पहचान नायब सूबेदार श्याम गुरुंग (58 वर्ष) और राइफलमैन रंजीत सिंह कश्यप (29 वर्ष) के रूप में हुई है। पांच घायल जवानों को तत्काल इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (आरआईएमएस) में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। एक घायल जवान की हालत गंभीर बनी हुई है। घटनास्थल पर पहुंची असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस की संयुक्त टीम ने इलाके को घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू कर दिया।
Assam Rifles: राज्यपाल और पूर्व सीएम ने निंदा की, शहीदों को श्रद्धांजलि
मणिपुर के राज्यपाल अजय भल्ला ने हमले की कड़ी निंदा की और शहीदों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, ये बहादुर जवान राष्ट्र की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इसे राज्य के लिए क्रूर प्रहार बताते हुए हमलावरों को कड़ी सजा देने की मांग की। उन्होंने घायलों से आरआईएमएस अस्पताल में मुलाकात भी की। असम राइफल्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा ने शहीदों को सलामी दी और उनके परिवारों को सांत्वना दी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया मणिपुर दौरे (13 सितंबर) के ठीक एक सप्ताह बाद यह घटना हुई, जहां उन्होंने हिंसा त्यागने और शांति के लिए पुल बनाने की अपील की थी। हमला उसी राजमार्ग पर हुआ, जिसका इस्तेमाल पीएम ने चुराचंदपुर जिले जाने के लिए किया था।
Assam Rifles: जिम्मेदारी नहीं ली किसी ने, व्यापक सर्च ऑपरेशन जारी
अभी तक किसी उग्रवादी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि, बिष्णुपुर जिला मैतेई-बहुल घाटी क्षेत्र में आता है, जहां कुख्यात संगठनों जैसे कंगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (कंगलीपाक) की सक्रियता देखी जाती है। हमला गैर-अधिसूचित क्षेत्र में हुआ, जहां सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) लागू नहीं है। राज्य के पांच घाटी जिलों के 13 थाना क्षेत्रों में एएफएसपीए निलंबित है, जिसमें नाम्बोल भी शामिल है।रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि हमलावरों को पकड़ने के लिए असम राइफल्स, मणिपुर पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों का व्यापक तलाशी अभियान चल रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में संयुक्त टीमें जंगल और आसपास के इलाकों में सर्च कर रही हैं। घटनास्थल पर पहुंची बड़ी टुकड़ी ने इलाके को सील कर दिया है।
छह उग्रवादियों को किया गिरफ्तार
इस बीच, सुरक्षा बलों ने पिछले 24 घंटों में इंफाल घाटी के तीन जिलों से विभिन्न प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों के छह उग्रवादियों को गिरफ्तार किया। प्रतिबंधित कंगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (पीडब्ल्यूजी) के तीन कट्टर कार्यकर्ताओं को इंफाल पश्चिम जिले में उनके घरों से पकड़ा गया। उनकी पहचान 34 वर्षीय लीशांगथेम टंडन सिंह, 34 वर्षीय लीशांगथेम आनंद सिंह और 41 वर्षीय हेइखम हेमचंद्र सिंह के रूप में हुई।
हथियार और विस्फोटक बरामद
पुलिस बयान के अनुसार, उनके कब्जे से दो सेल्फ-लोडिंग राइफलें, दो संशोधित .303 राइफलें, एक इंसास राइफल, नौ मैगजीन और 99 कारतूस जब्त किए गए। अन्य तीन गिरफ्तारियां इंफाल ईस्ट और थौबल जिलों से हुईं, जहां हल्के हथियार और विस्फोटक बरामद हुए। ये गिरफ्तारियां हमले के बाद सुरक्षा अभियान की तीव्रता को दर्शाती हैं।
मणिपुर संकट
मणिपुर में मई 2023 से चली आ रही मैतेई-कुकी समुदायों के बीच हिंसा में अब तक 220 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है, लेकिन उग्रवादी गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रही। सितंबर 2024 में जिरिबाम में सीआरपीएफ जवान की हत्या के बाद यह पहला बड़ा हमला है।
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