Ayodhya: अयोध्या एक बार फिर रामभक्ति में सराबोर हो गया जब श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भगवान राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन हुआ। यह ऐतिहासिक क्षण भारतीय संस्कृति, श्रद्धा और अध्यात्म का जीवंत उदाहरण बन गया। मंदिर की पहली मंजिल पर स्थापित राम दरबार में भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी की संगमरमर की सुंदर मूर्तियों को विधिपूर्वक प्रतिष्ठित किया गया।
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Ayodhya: अभिजीत मुहूर्त में हुआ पूजन
3 जून से प्रारंभ हुए विशेष अनुष्ठानों का समापन 5 जून को प्राण प्रतिष्ठा के साथ हुआ। यह धार्मिक कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11:25 से 11:40 के बीच संपन्न हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम दरबार की मूर्तियों की पूजा-अर्चना की और इस पावन कार्य की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। वे अयोध्या में लगभग 6 घंटे तक मौजूद रहे और राम दरबार के अलावा सात अन्य उपमंदिरों में स्थापित मूर्तियों की भी प्राण प्रतिष्ठा में भाग लिया।
Ayodhya: आभूषणों का भव्य दान
राम दरबार को सजाने के लिए भव्य और दुर्लभ आभूषणों का दान सूरत के ग्रीन लैब डायमंड कंपनी के मालिक मुकेश पटेल द्वारा किया गया। इनमें एक हजार कैरेट का हीरा, 30 किलो चांदी, 300 ग्राम सोना और 300 कैरेट रूबी से तैयार किए गए 11 मुकुट शामिल हैं। इसके अलावा तिलक, कानों के कुंडल, गले के हार, धनुष-बाण, गदा, तुणीर और चांवर भी शामिल हैं। ये सभी आभूषण चार्टर्ड प्लेन से अयोध्या लाए गए और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दान किए गए।
विहिप के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश नेवादिया ने दान की जानकारी साझा करते हुए बताया कि मुकेश पटेल इससे पहले 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए भी मुकुट दान कर चुके हैं, जिसे रामलला ने धारण किया था।
Ayodhya: 350 श्रद्धालु बने साक्षी
इस पवित्र आयोजन में करीब 350 लोगों को आमंत्रित किया गया था, जिनमें श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के पदाधिकारी, साधु-संत, धार्मिक प्रतिनिधि और कुछ विशिष्ट अतिथि शामिल रहे। यह आयोजन पिछली बार की तुलना में छोटा जरूर रहा, लेकिन भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से उतना ही विशाल और प्रभावशाली था।
जयपुर में बनीं मूर्तियां, मकराना का संगमरमर
राम दरबार की सभी मूर्तियां जयपुर में बनी हैं और इनमें मकराना के सफेद संगमरमर का उपयोग किया गया है। भगवान राम और माता सीता को सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया गया है, जबकि लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न उनके समीप हैं। हनुमानजी भगवान राम के चरणों में विराजमान हैं। इन सभी मूर्तियों की कलाकारी और भव्यता दर्शनीय है।
उपमंदिरों और सप्त मंडपम में भी प्रतिष्ठा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्य सात उपमंदिरों – शिवलिंग, श्रीगणेश, हनुमानजी, सूर्यदेव, मां भगवती, माता अन्नपूर्णा और नंदी – में भी विग्रह प्रतिष्ठित की। वहीं सप्त मंडपम में महर्षि वाल्मीकि, विश्वामित्र, अगस्त्य, वशिष्ठ, निषादराज, अहिल्या और शबरी की मूर्तियों की स्थापना की गई, जो भारतीय संस्कृति के महान आदर्शों और लोकगाथाओं को मूर्त रूप देती हैं।
संस्कृति और श्रद्धा का अद्भुत संगम
यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि यह भारत की आस्था, संस्कृति और सनातन परंपरा का गौरवपूर्ण उत्सव बन गया। अयोध्या ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि यह नगरी केवल इतिहास नहीं, बल्कि जीवंत आस्था का केंद्र है। राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा के इस ऐतिहासिक दिन ने श्रद्धालुओं के मन में गहन भक्ति का संचार किया और देश-विदेश के रामभक्तों के लिए अयोध्या एक बार फिर आराधना का केंद्र बन गया।
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