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Sunday, November 2, 2025
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भारत-पाक तनाव के बीच मॉक ड्रिल स्थगित, ब्लैकआउट और ड्रोन हमले से निपटने की तैयारी टली

Mock Drill: गुजरात, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और चंडीगढ़ समेत केंद्र शासित प्रदेशों के कई जिलों में गुरुवार शाम 5 बजे से मॉकड्रिल होनी थी, लेकिन अब ये स्थगित हो गई है।

Mock Drill: भारत और पाकिस्तान के बीच जारी सीमा तनाव के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने गुरुवार, 29 मई 2025 को ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत पाकिस्तान सीमा से लगे राज्यों- राजस्थान, गुजरात, पंजाब और जम्मू-कश्मीर -में एक व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित करने की योजना बनाई थी। इस अभ्यास का उद्देश्य युद्ध या आपातकालीन स्थिति में नागरिकों और प्रशासन की प्रतिक्रिया का परीक्षण करना था। हालांकि, अब इस मॉक ड्रिल को प्रशासनिक कारणों से स्थगित कर दिया गया है।

Mock Drill: मॉक ड्रिल स्थगित, ब्लैकआउट की योजना भी टली

इस मॉक ड्रिल में हवाई हमले, ब्लैकआउट, इमरजेंसी एग्जिट, मेडिकल सहायता और ड्रोन हमले के सिमुलेशन जैसे अभ्यास किए जाने थे। इसके तहत रात 8:00 से 8:15 बजे तक ब्लैकआउट किया जाना था, जिसमें आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी इलाकों की बिजली काटी जाती। इसका उद्देश्य था कि अगर दुश्मन हमला करे तो अंधेरे में उसका नेविगेशन बाधित हो सके। लेकिन अब यह प्रक्रिया नहीं होगी।

Mock Drill: मॉकड्रिल के स्थगन की पुष्टि की

गुजरात सूचना विभाग, राजस्थान गृह विभाग और चंडीगढ़ प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि आज कोई मॉक ड्रिल या ब्लैकआउट नहीं किया जाएगा। अब इन सभी गतिविधियों की अगली तारीख तय की जाएगी। पंजाब प्रशासन ने मॉक ड्रिल के लिए संभावित नई तारीख के रूप में 3 जून का प्रस्ताव रखा है।

Mock Drill: क्या था ड्रिल का मकसद?

‘ऑपरेशन शील्ड’ एक सिविल डिफेंस आधारित व्यापक तैयारी योजना थी, जिसका उद्देश्य युद्ध या आतंकी हमले की स्थिति में नागरिक और प्रशासन की त्वरित और समन्वित प्रतिक्रिया को परखना था। मॉक ड्रिल के माध्यम से यह जांचना था कि आम लोग और सरकारी संस्थाएं आपातकालीन हालात में कैसे प्रतिक्रिया देती हैं, कितना समय लेती हैं और कहां सुधार की जरूरत है।

नागरिकों की थी भागीदारी

इस अभ्यास में नागरिक सुरक्षा वॉर्डन, स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी, एनसीसी (NCC), एनएसएस (NSS), नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS), भारत स्काउट्स और गाइड्स जैसे युवाओं की भागीदारी प्रस्तावित थी। ये सभी अलग-अलग ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए आम नागरिकों को जागरूक करते और प्रशासन की सहायता करते।

मॉक ड्रिल में रेस्क्यू ऑपरेशन की भी योजना थी जिसमें ड्रोन हमले के बाद सेना के स्टेशन से 20 लोगों को सुरक्षित निकालकर शेल्टर में ले जाने का अभ्यास किया जाना था। स्थानीय प्रशासन को इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी थी।

क्यों जरूरी है ऐसी ड्रिल?

युद्ध या आतंकी हमले जैसी अप्रत्याशित स्थितियों में आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस तरह की पूर्व तैयारी बेहद आवश्यक मानी जाती है। मॉक ड्रिल से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि संकट के समय नागरिक घबराएं नहीं, प्रशासनिक एजेंसियों को सहयोग करें और सुरक्षित स्थानों तक पहुंच सकें। इसी उद्देश्य से ब्लैकआउट जैसी प्रक्रियाएं भी शामिल की जाती हैं।

जल्द होगा ‘ऑपरेशन शील्ड’ की नई तारीख का ऐलान

सरकारी सूत्रों के अनुसार, मॉक ड्रिल की नई तारीख पर विचार किया जा रहा है और जल्द ही इसका ऐलान किया जाएगा। फिलहाल अभ्यास स्थगित किया गया है, लेकिन ‘ऑपरेशन शील्ड’ के उद्देश्यों को लेकर सरकार गंभीर है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में किसी भी खतरे की स्थिति में देश की सीमावर्ती जनता और प्रशासन पूरी तरह से तैयार रहें।

इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि भारत सरकार सीमावर्ती राज्यों की सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को लेकर गंभीर है, लेकिन किसी भी अभ्यास को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए प्रशासनिक समन्वय और तैयारी अनिवार्य है। नई तारीख के साथ ड्रिल दोबारा आयोजित की जाएगी और इस बार उससे और अधिक व्यापक और व्यावहारिक परिणामों की उम्मीद की जा रही है।

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