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Saturday, February 22, 2025
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बीजेपी अनुभवी लोगों की बजाय बार-बार नए मुख्यमंत्री क्यों चुनती है? समझिए मोदी-शाह के फैसलों का गणित | क्या यह रणनीति उल्टी पड़ सकती है?

Modi-Shah Strategy: सीएम के तौर पर नए चेहरे चुनने का बीजेपी का चलन जारी है। मोदी-शाह इस रणनीति पर क्यों चल रहे हैं और इससे पार्टी को फ़ायदा होगा या नुकसान? आइए जानते हैं -

Modi-Shah Strategy: बीजेपी बार-बार नए और कम पहचाने जाने वाले नेताओं को मुख्यमंत्री बनाकर सभी को चौंका देती है। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से यह सिलसिला शुरू हुआ और अब तक जारी है। ताजा उदाहरण दिल्ली की रेखा गुप्ता हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया।
लेकिन सवाल ये है कि बीजेपी सीएम के पद के लिए अनुभवी और बड़े नेताओं को नजरअंदाज क्यों करती है? क्या यह रणनीति पार्टी को और मजबूत बनाती है या आने वाले समय में इसका उल्टा असर भी हो सकता है? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं

बीजेपी ने नए मुख्यमंत्रियों को चुनने की रणनीति कब और कैसे शुरू की?

2014 में लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और अमित शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में पार्टी ने मुख्यमंत्री चुनने की अपनी पुरानी नीति में बदलाव किया और नए, कम पहचाने जाने वाले चेहरों को आगे बढ़ाना शुरू किया।

लोकसभा चुनाव के सिर्फ पांच महीने बाद बीजेपी ने महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की। लेकिन पार्टी ने सीएम के लिए किसी अनुभवी नेता को चुनने के बजाय पहली बार मुख्यमंत्री बनने वाले चेहरों को आगे किया—हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस। यह एक नया ट्रेंड था, जो आगे भी जारी रहा।

इसका ताजा उदाहरण दिल्ली में रेखा गुप्ता हैं, जो पहली बार विधायक बनीं और उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा जैसे वरिष्ठ नेताओं के मुकाबले में चुना गया।

Modi-Shah Strategy: बीजेपी ने कहां-कहां इस रणनीति को अपनाया?

बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों में इसी तरह के फैसले लिए:

  • उत्तर प्रदेश (2017): केशव प्रसाद मौर्य और मनोज सिन्हा जैसे वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाया गया।
  • मध्य प्रदेश (2023): चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जगह पहली बार सीएम बने मोहन यादव
  • राजस्थान (2023): दिग्गज नेता वसुंधरा राजे को छोड़कर पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया।
  • छत्तीसगढ़ (2023): पार्टी ने कम चर्चित विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री पद सौंपा।
  • हरियाणा (2024): चुनाव से कुछ महीने पहले ही नयाब सिंह सैनी को मनोहर लाल खट्टर की जगह सीएम बना दिया गया।

पिछले 11 साल में 13 राज्यों में नए मुख्यमंत्री

क्र.सं.राज्यवर्षमुख्यमंत्री
1हरियाणा2014मनोहर लाल खट्टर
2महाराष्ट्र2014देवेंद्र फडणवीस
3झारखंड2014रघुबर दास
4मणिपुर2017एन. बीरेन सिंह
5उत्तर प्रदेश2017योगी आदित्यनाथ
6गोवा2019प्रमोद सावंत
7असम2021हिमंत बिस्वा सरमा
8उत्तराखंड2021पुष्कर सिंह धामी
9मध्य प्रदेश2023मोहन यादव
10छत्तीसगढ़2023विष्णुदेव साय
11राजस्थान2023भजनलाल शर्मा
12हरियाणा2024नयाब सिंह सैनी
13दिल्ली2025रेखा गुप्ता
AMit Shah and PM Modi

Modi-Shah Strategy: भाजपा नए चेहरों को मुख्यमंत्री क्यों बना रही है?

2014 के बाद से भाजपा ने अपनी राजनीतिक रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पहले जहां राज्यों में अनुभवी और कद्दावर नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया जाता था, अब पार्टी नए और कम चर्चित चेहरों को आगे ला रही है। इस बदलाव के पीछे कई कारण हैं, जिनमें मोदी-शाह की केंद्रीय पकड़ मजबूत करना, युवा नेतृत्व को मौका देना और जातीय व क्षेत्रीय संतुलन साधना शामिल हैं।

1. मोदी का प्रभाव बनाए रखना

2014 से पहले भाजपा के पास कई मजबूत क्षेत्रीय नेता थे, जो अपने-अपने राज्यों में बहुत प्रभावी थे। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान में वसुंधरा राजे, उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत और कर्नाटक में बी.एस. येदियुरप्पा जैसे नेता अपनी लोकप्रियता और अनुभव के चलते लंबे समय तक सत्ता में बने रहे। लेकिन जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और अमित शाह ने भाजपा का संगठनात्मक ढांचा संभाला, तो पार्टी ने एक नया मॉडल अपनाया।

इस मॉडल में भाजपा राज्य के नेताओं की बजाय केंद्र के नेतृत्व को अधिक प्राथमिकता देती है। पार्टी नहीं चाहती कि कोई भी मुख्यमंत्री इतना ताकतवर हो जाए कि वह मोदी या शाह की नीति से अलग अपनी अलग राजनीतिक पहचान बना ले। इसलिए, नए और कम चर्चित चेहरों को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा सुनिश्चित कर रही है कि सत्ता की कमान पूरी तरह से पार्टी हाईकमान के हाथ में रहे।

2. युवा नेतृत्व को मौका देना

भाजपा की यह रणनीति सिर्फ केंद्रीय नियंत्रण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका दूसरा बड़ा उद्देश्य नई पीढ़ी को तैयार करना भी है। हाल के वर्षों में भाजपा द्वारा नियुक्त किए गए मुख्यमंत्री आमतौर पर 50 साल के आसपास के हैं। इससे पार्टी को भविष्य के लिए नए नेता तैयार करने का मौका मिलता है, जो अगले 15-20 साल तक पार्टी को आगे ले जा सकें।

भाजपा चाहती है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन धीरे-धीरे हो और नई पीढ़ी तैयार होती रहे। यह रणनीति पार्टी के दीर्घकालिक भविष्य को सुरक्षित करने की योजना का हिस्सा है, ठीक उसी तरह जैसे मोदी, वसुंधरा राजे और बीएस येदियुरप्पा जैसे नेताओं ने दशकों तक अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया था।

3. जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधना

भाजपा की चुनावी सफलता का एक बड़ा कारण उसकी सकारात्मक सोशल इंजीनियरिंग है। पार्टी अपने पारंपरिक सवर्ण हिंदू समर्थकों के साथ-साथ अन्य जातियों और समुदायों को भी जोड़ना चाहती है।

उदाहरण के लिए:

  • हरियाणा में नायब सिंह सैनी (ओबीसी समुदाय) से आते हैं, जो राज्य में एक बड़ा वोट बैंक है।
  • छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया, क्योंकि वे आदिवासी समुदाय से आते हैं और भाजपा राज्य में एसटी वोटरों को मजबूत करना चाहती है।

इसी तरह, अन्य राज्यों में भी भाजपा यह सुनिश्चित कर रही है कि मुख्यमंत्री का चयन क्षेत्रीय और जातीय गणित को ध्यान में रखकर किया जाए, ताकि पार्टी का जनाधार और मजबूत हो।

4. पार्टी के प्रति वफादारी

भाजपा हमेशा से अपने अनुशासन और संगठित नेतृत्व के लिए जानी जाती रही है। पार्टी चाहती है कि मुख्यमंत्री ऐसा हो जो पूरी तरह से संगठन के निर्देशों का पालन करे और हाईकमान के फैसलों पर सवाल न उठाए।

यही कारण है कि वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान जैसे वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया गया और उनकी जगह कम चर्चित नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया गया। इन नए चेहरों की केंद्र से नजदीकी ज्यादा होती है और वे बिना किसी प्रतिरोध के केंद्रीय नेतृत्व के आदेशों का पालन करते हैं। इससे राज्य सरकारों पर पार्टी का पूरा नियंत्रण बना रहता है।

5. पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश देना

जब भाजपा किसी नए और कम चर्चित नेता को मुख्यमंत्री बनाती है, तो यह कार्यकर्ताओं को एक मजबूत संदेश देता है कि किसी भी सामान्य कार्यकर्ता को आगे बढ़ने का मौका मिल सकता है

इससे पार्टी के अंदर कोई भी गुट बहुत ताकतवर नहीं बनता और संगठन में अनुशासन बना रहता है। यह रणनीति पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाती है और उन्हें भविष्य में बड़े पद पाने की प्रेरणा देती है।

क्या यह रणनीति पहले भी अपनाई गई है?

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। इंदिरा गांधी के दौर में भी कांग्रेस ने इसी तरह की रणनीति अपनाई थी। उन्होंने 1970 और 1980 के दशक में मजबूत क्षेत्रीय नेताओं को दरकिनार कर कमजोर मुख्यमंत्रियों को नियुक्त किया, ताकि पार्टी हाईकमान की पकड़ बनी रहे।

हालांकि, इस नीति का दीर्घकालिक असर यह हुआ कि कांग्रेस की जमीनी पकड़ कमजोर पड़ गई और क्षेत्रीय नेताओं के अभाव में पार्टी कई राज्यों में सिमट गई। यही कारण है कि कई राजनीतिक विश्लेषक भाजपा की मौजूदा रणनीति की तुलना इंदिरा गांधी के दौर से कर रहे हैं और यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या भाजपा को भी इसी तरह के नकारात्मक प्रभावों का सामना करना पड़ेगा?

क्या यह भाजपा के लिए फायदेमंद रहेगा?

भाजपा की यह रणनीति अब तक सफल रही है, लेकिन इसके कुछ संभावित जोखिम भी हैं:

  1. मजबूत क्षेत्रीय नेतृत्व की कमी:
    अगर भाजपा लगातार अनुभवी नेताओं की जगह नए चेहरों को लाती रही, तो पार्टी की स्थानीय पकड़ कमजोर हो सकती है। यह ठीक वैसा ही होगा जैसा कांग्रेस के साथ हुआ था, जब उसके पास कोई मजबूत क्षेत्रीय नेता नहीं बचा था।
  2. राज्य सरकारों का प्रदर्शन:
    अगर नए मुख्यमंत्री जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते, तो भाजपा को राज्य चुनावों में नुकसान हो सकता है। जनता अनुभवी नेताओं को पसंद कर सकती है और नए नेताओं के कामकाज को नकार सकती है।
  3. बगावत का खतरा:
    भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो पार्टी के अंदर आंतरिक असंतोष बढ़ सकता है, जिससे गुटबाजी बढ़ सकती है।

आगे क्या होगा?

भाजपा की यह रणनीति फिलहाल उसके लिए फायदेमंद साबित हो रही है। पार्टी राज्य सरकारों पर अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल रही है और मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत स्थिति में बनी हुई है।

लेकिन क्या यह रणनीति लंबे समय तक सफल रहेगी, या फिर भाजपा को भी कांग्रेस जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा!

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Giriraj Sharma
Giriraj Sharmahttp://hindi.bynewsindia.com
ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता में। राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर लेखन, पर्यावरण, नगरीय विकास, अपराध, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विषयों में रूचि। Ex Editor (M&C) Zee Regional Channels, ETV News Network, Digital Content Head Patrika. com, ByNewsIndia.Com Content Strategist, Consultant
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