Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बुधवार को मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। शाम पांच बजे तक छह जिलों की 26 सीटों के लिए लगभग 54 फीसदी मतदान हुआ। मतदान में सबसे ज्यादा 71.81 फीसदी वोटिंग रियासी जिले में हुई, जबकि सबसे कम 27.31 फीसदी मतदान श्रीनगर जिले में दर्ज किया गया। कुल 54 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें रियासी में सबसे ज्यादा और श्रीनगर में सबसे कम मतदान हुआ। इस चरण में 25 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने हिस्सा लिया। कुल 239 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में बंद हो गया।
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पहले चरण में हुई थी 61.38 फीसदी वोटिंग
आपको बता दें कि इससे पहले 18 सितंबर को पहले चरण में 61.38 फीसदी मतदान हुआ था।
इस चुनाव में मतदाताओं का उत्साह साफ तौर पर दिखाई दिया, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी भागीदारी और विश्वास को दर्शाता है।
मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में ऊंचे पहाड़ी इलाकों से लेकर निचली घाटियों तक मतदाताओं में जोश साफ देखा गया। चाहे वह नौशेरा विधानसभा क्षेत्र का एलओसी का इलाका हो या आदिवासी पहाड़ी क्षेत्र कंगन, हर जगह मतदाताओं ने भयमुक्त माहौल में मतदान किया।
चुनाव आयोग की विशेष पहले
दिव्यांग और बुजुर्ग मतदाताओं के लिए चुनाव आयोग ने घर से मतदान की सुविधा दी थी।
इसके बावजूद, कई बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाता मतदान केंद्र पर पहुंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग करने आए। उनका कहना था कि लंबे समय के इंतजार के बाद चुनाव हो रहे हैं, और इस बार किसी प्रकार का डर नहीं है।
रियासी में 102 वर्षीय बुजुर्ग ने किया मतदान
रियासी विधानसभा क्षेत्र के 102 वर्षीय बुजुर्ग हाजी करमदीन भट्ट ने मतदान केंद्र पर जाकर मतदान करने का एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया। मतदान के बाद हाजी करमदीन ने कहा, मेरे पास मतदान से जुड़े अधिकारी आए थे और उन्होंने घर से ही वोट डालने की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया, लेकिन मैंने मना कर दिया। मेरी उम्र 102 साल है। जरूरी नहीं कि फिर से वोट डालने का मौका मिले। इसलिए मैं यह मौका खोना नहीं चाहता था। बहुत खुशी हो रही है कि इस उम्र में भी मतदान कर पाया।
डल झील के बीच भी बनाया मतदान केंद्र
डल झील के बीच स्थित नेहरू पार्क में बनाए गए विशेष मतदान केंद्र पर मतदाताओं ने नाव के जरिए पहुंचकर मतदान किया। झील के आसपास रहने वाले मतदाताओं ने इस अद्वितीय अनुभव का आनंद लेते हुए अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया। लोगों ने बताया कि पहले कश्मीर में चुनाव के दिन बाहर निकलना कठिन और असुरक्षित माना जाता था। लेकिन इस बार, माहौल बदला हुआ नजर आया। व्यवसायी पहले मतदान केंद्रों पर जाकर वोट डालने गए और फिर अपने प्रतिष्ठान खोले।