Retail Inflation: इस साल अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई दर मामूली वृद्धि के साथ 3.65 प्रतिशत पर रही, जो पिछले पांच वर्षों में दूसरा सबसे निचला स्तर है। जुलाई में यह दर 3.6 प्रतिशत और पिछले साल अगस्त में 6.83 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर भी जुलाई के 5.42 प्रतिशत से बढ़कर 5.66 प्रतिशत हो गई, जो जून 2023 के बाद का दूसरा निचला स्तर है।
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खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी
अगस्त 2024 में खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि दर्ज की गई है। दालों और उनके उत्पादों के दाम 13.60 प्रतिशत बढ़े हैं, जबकि सब्जियों की कीमतों में 10.71 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अनाजों की महंगाई दर 7.31 प्रतिशत और अंडों की 7.14 प्रतिशत रही। फलों की कीमतें भी एक साल पहले की तुलना में 6.45 प्रतिशत बढ़ी हैं। इन आंकड़ों से खाद्य वस्तुओं में लगातार महंगाई का संकेत मिलता है, जो उपभोक्ताओं पर वित्तीय दबाव डाल रही है।
खाने पीने की चीजें हुई महंगी, मसाले-ईंधन ओर बिजली हुई सस्ती
अन्य खाद्य पदार्थों की महंगाई दर इस प्रकार रही, मांस एवं मछली: 4.30 प्रतिशत, दूध एवं डेयरी उत्पाद: 2.98 प्रतिशत, चीनी एवं कंफेक्शनरी उत्पाद: 4.70 प्रतिशत दर्ज की गई है।
इसके विपरीत, मसालों की कीमतों में 4.40 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। ईंधन एवं बिजली वर्ग में भी कीमतों में 5.31 प्रतिशत की कमी आई है। इन आंकड़ों से विभिन्न खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतों में असमान बढ़ोतरी और कमी की प्रवृत्तियों का पता चलता है।
कई महीनों तक ऊंची महंगाई दर से आम लोग परेशान
हाल के महीनों में महंगाई दर में कुछ राहत देखने को मिली है। लगातार कई महीनों तक ऊंची महंगाई दर से परेशान आम लोगों को इस साल जुलाई के बाद अगस्त में लगातार दूसरे महीने राहत मिली है। इससे पहले, खुदरा महंगाई दर लगातार पांच प्रतिशत के आसपास या उससे ऊपर बनी हुई थी। खाद्य महंगाई दर भी अक्टूबर 2023 के बाद पहली बार जुलाई में आठ फीसदी से नीचे आई थी। यह संकेत देता है कि महंगाई में कुछ स्थिरता और सुधार आ रहा है, जो उपभोक्ताओं के लिए राहत का कारण हो सकता है।
रिजर्व बैंक के टारगेट के दायरे में महंगाई दर
केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को मध्यम अवधि में औसत खुदरा महंगाई दर को चार प्रतिशत के आसपास रखने का लक्ष्य दिया है। यह लक्ष्य विकास और महंगाई दर के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए है, ताकि आर्थिक विकास का लाभ आम लोगों को भी मिल सके। इस नीति का उद्देश्य स्थिर महंगाई दर के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करना है, जिससे आर्थिक संतुलन और समाज के सभी वर्गों को लाभ मिल सके।