29.2 C
New Delhi
Sunday, July 13, 2025
HomeदेशDefamation Case: मेधा पाटकर को 5 महीने की जेल, 10 लाख का...

Defamation Case: मेधा पाटकर को 5 महीने की जेल, 10 लाख का जुर्माना, जानिए क्या है 23 साल पुराना मामला

Defamation Case: देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 23 साल पुराने मानहानि के मामले में पांच महीने के कारावास की सजा सुनाई है।

Defamation Case: देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 23 साल पुराने मानहानि के मामले में पांच महीने के कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने उनके खिलाफ दर्ज कराया था। उस समय वे गुजरात में एक एनजीओ के प्रमुख थे। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने अपने समक्ष मौजूद साक्ष्यों और इस तथ्य पर विचार करने के बाद कि मामला दो दशक से अधिक समय तक चला, अब पाटकर को सजा सुनाई गई है। हालांकि, कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता पाटकर को आदेश के खिलाफ अपील दायर करने का मौका देने के लिए एक महीने के लिए सजा निलंबित कर दी।

मेधा पाटकर को पांच महीने की जेल व 10 लाख का जुर्माना

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की परिवीक्षा की शर्त पर उन्हें रिहा करने की प्रार्थना को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि तथ्यों, क्षति, उम्र और आरोपी की बीमारी को देखते हुए, मैं अत्यधिक सजा देने के पक्ष में नहीं हूं। इस अपराध के लिए अधिकतम दो साल तक के साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। कोर्ट ने नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की नेता मेधा पाटकर को 2001 में वर्तमान में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराए आपराधिक मानहानि मामले में पांच महीने के कारावास 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

जानिए कोर्ट ने क्या कहा

24 मई को कोर्ट ने कहा था कि पाटकर द्वारा सक्सेना को कायर कहने तथा हवाला लेन-देन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाने वाले बयान न केवल अपने आप में मानहानिकारक थे, बल्कि उनके बारे में नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी गढ़े गए थे। इसके साथ ही यह आरोप कि शिकायतकर्ता गुजरात के लोगों तथा उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहा है, उनकी ईमानदारी तथा सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला है।

23 साल से चल रही है कानूनी लड़ाई

कोर्ट में सजा पर बहस 30 मई को पूरी हो गई थी। इसके बाद सजा की अवधि पर निर्णय 7 जून को सुरक्षित रखा गया था। पाटकर तथा सक्सेना के बीच वर्ष 2000 से कानूनी लड़ाई चल रही है। जब पाटकर ने उनके तथा नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के विरुद्ध विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पाटकर के विरुद्ध मुकदमा दायर किया था। शिकायतकर्ता सक्सेना ने पाटकर को अधिकतम सजा देने की मांग की थी। उन्होंने दलील दी थी कि पाटकर अक्सर कानून की अवहेलना करती रहती हैं। सक्सेना ने कोर्ट में पाटकर का आपराधिक इतिहास भी पेश किया। उन्होंने बताया कि झूठी दलीलों के लिए एनबीए को सुप्रीम कोर्ट भी फटकार लगा चुका है।

सक्सेना ने दर्ज कराए थे दो मामले

वी के सक्सेना उस समय अहमदाबाद स्थित ‘काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ नामक एनजीओ के प्रमुख थे, ने वर्ष 2001 में पाटकर के विरुद्ध एक टीवी चैनल पर उनके विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करने तथा मानहानिकारक प्रेस वक्तव्य जारी करने के लिए दो मामले भी दर्ज किए थे।

- Advertisement - Advertisement - Yatra Swaaha
RELATED ARTICLES
New Delhi
overcast clouds
29.2 ° C
29.2 °
29.2 °
50 %
3kmh
100 %
Sun
34 °
Mon
37 °
Tue
34 °
Wed
37 °
Thu
36 °

Most Popular