Loksabha election 2024: भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड से अपने सांसद जयंत सिन्हा को कारण बताओं नोटिस जारी किया था। दरअसल, जयंत सिन्हा झारखंड की हजारीबाग लोकसभा सीट से निवर्तमान सांसद हैं। बीजेपी ने जयंत सिन्हा को जो नोटिस जारी किया था, उसमें कहा गया था कि लोकसभा चुनाव 2024 के तहत हजारीबाग सीट से मनीष जायसवाल को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद से जयंत सिन्हा ने ना तो चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया और ना ही पार्टी के काम में रुचि ले रहे हैं।
साथ ही नोटिस में यह भी कहा गया कि जयंत सिन्हा ने अपने मताधिकार का भी उपयोग नहीं किया। पार्टी की ओर से इस मामले में नोटिस जारी करते हुए जयंत सिन्हा से दो दिन में जवाब मांगा था। अब जयंत सिन्हा ने इस कारण बताओ नोटिस का जवाब दे दिया है।
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जयंत सिन्हा ने दिया दो पन्नों का जवाब:
पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने राज्यसभा सांसद और झारखंड बीजेपी के महामंत्री आदित्य साहू को संबोधित करते हुए दो पन्नों का जवाब दिया है। अपने जवाब में जयंत सिन्हा ने नोटिस मिलने के साथ इसे मीडिया में जारी करने पर हैरानी जताई है। जयंत सिन्हा ने अपने जवाब में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ 2 मार्च को हुई बातचीत कार जिक्र करते हुए कहा कि सक्रिय चुनावी दायित्वों से दूर रहने का निर्णय लोकसभा चुनाव से काफी पहले ही लिया था।
साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि यह निर्णय इसलिए लिया गया कि जिससे जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकें। जयंत सिन्हा ने यह भी बताया कि उन्होंने एक ट्वीट के माध्यम से अपने इस निर्णय की सार्वजनिक घोषणा कर दी थी।
राजनीतिक मर्यादा और संयम बनाए रखी:
जयंत सिन्हा ने आगे बताया कि जेपी नड्डा से बातचीत के बाद जब इस निर्णय की घोषणा की थी तो कई लोग उनसे मिलने के लिए दिल्ली आए थे और इस निर्णय को वापस लेने का आग्रह भी किया था। सिन्हा ने कहा कि वह कठिन समय था क्योंकि जनभावनाएं उफान पर थीं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने राजनीतिक मर्यादा और संयम बनाए रखा।
वहीं बीजेपी के इस आरोप पर कि मनीष जायसवाल को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद सिन्हा ने चुनाव प्रचार और पार्टी के कार्यो में दिलचस्पी नहीं दिखाई, इस पर जवाब देते हुए लिखा कि जब पार्टी ने मनीष जायसवाल को हजारीबाग से उम्मीदवार घोषित किया तो उन्होंने 8 मार्च का जायसवाल को बधाई दी थी। यह इस बात का सूचक है कि वह पार्टी के निर्णय के साथ हैं।
किसी बैठक, रैली या कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया:
पार्टी के कारण बताओं नोटिस के जवाब में सिन्हा ने आगे लिखा कि अगर पार्टी चाहती थी कि वह चुनावी गतिविधियों में हिस्सा लें तो पार्टी के वरिष्ठ नेता उनसे संपर्क कर सकते थे। सिन्हा ने बताया कि जब 2 मार्च को उन्होंने अपने निर्णय का ऐलान किया तो उसके बाद से झारखंड के किसी भी बड़े नेता ने उनसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की।
साथ ही उनका कहना है कि उन्हें पार्टी की किसी भी रैली, बैठक या कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया। सिन्हा का कहना है कि अगर पार्टी चाहती तो बाबूलाल मरांडी उन्हें कार्यक्रमों में आमंत्रित कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
मनीष के घर गए थे मिलने:
वहीं मताधिकार का इस्तेमाल ना करने के आरोप पर जयंत सिन्हा ने कहा कि 29 अप्रैल को मनीष जायसवाल ने उन्हें अपने नामांकन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था, उस वक्त दिल्ली में था। 1 मई की सुबह जायसवाल को नामांकन भरना था लेकिन इतने कम वक्त में दिल्ली से हजारीबाग पहुंचना संभव नहीं था।
सिन्हा ने यह भी बताया कि वह 2 मई को मनीष जायसवाल से मिलने उनके आवास पर गए थे लेकिन उस वक्त मनीष वहां नहीं थे। ऐसे में सिन्हा ने अपनी शुभकामनाएं और संदेश मनीष जायसवाल के परिजनों को दे दी थी। इसके बाद से मनीष से उनका कोई संपर्क नहीं हुआ। 3 मई को सिन्हा दिल्ली लौट आए थे।
पोस्टल बैलेट से दिया था वोट:
साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि निजी कारणों की वजह से 10 मई को वह विदेश चले गए थे और इसकी जानकारी लोकसभा स्पीकर को दे दी थी। उनका कहना है कि किसी भी कार्यक्रम में पार्टी ने उन्हें आमंत्रित नहीं किया और इसके बाद वहां उन्हें रुकने की कोई जरूरत महसूस नहीं हुई।
वहीं वोट ना देने के आरोप पर सिन्हा ने कहा कि उन्होंने विदेश जाने से पहले अपना वोट पोस्टल बैलेट से दे दिया था। सिन्हा ने आगे कहा कि 25 साल से उन्होंने पार्टी के साथ हर जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाया है। उनका कहना है ये पत्र सार्वजनिक करना अनुचित है।