Bhima Koregaon case: भीमा-कोरेगांव केस में सुप्रीम कोर्ट ने आज महाराष्ट्र के एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि उन्हें हाईकोर्ट के जमानत के ऑर्डर पर स्टे की अवधि बढ़ाने का कोई कारण नजर नहीं आ रहा है।
साथ ही बेंच ने कहा कि कई साल बीत जाएंगे पूरे मामले की सुनवाई में। कोर्ट ने कहा कि गौतम नवलखा को जेल में 4 साल से ज्यादा हो गए हैं और अभी तक भी इनके खिलाफ आरोप तय नही किए गए हैं। दरअसल, गौतम नवलखा पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2017 में पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण दिया, जिसके कारण भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई थी। उस हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे।
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हाउस अरेस्ट के दौरान मिली सुरक्षा के लिए देने होंगे 20 लाख:
इससे पहले भीमा—कोरेगांव हिंसा मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को जमानत दे दी थी लेकिन एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका लगाई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया था।
आज सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले पर विस्तार से चर्चा किए बिना स्टे लगाने का कोई औचित्य नहीं है। ऐसे में बेंच ने नवलखा को जमानत दे दी। हालांकि कोर्ट ने कहा कि हाउस अरेस्ट के दौरान मिली सुरक्षा के लिए नवलखा को 20 लाख रुपए का भुगतान करना होगा।
नवलखा ने ही की थी हाउस अरेस्ट की मांग:
दरअसल, जब नवलखा को भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया था तो नवलखा ने ही हाउस अरेस्ट की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने नवलखा को ही इसकी सुरक्षा के लिए बिल भुगतान करने को कहा था। इसके बाद NIA की ओर से पिछली सुनवाई में 9 अप्रैल को नवलखा से 1 करोड़ 64 लाख रुपए के भुगतान कराने की मांग की थी।
पिछली सुनवाई में एनआईए के वकील ने कहा था नवलखा के हाउस अरेस्ट के वक्त बहुत से पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। इस पर नवलखा के वकील ने कहा था कि उन्हें भुगतान करने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन एनआईए द्वारा भुगतान में मांगे गए पैसे एक बड़ा मुद्दा है। इसके साथ ही वकील ने कहा था कि इससे पहले नवलखा ने 10 लाख रुपए का भुगतान किया है।
जानिए क्या है मामला:
दरअसल, वर्ष 2017 में पुणे के एल्गार परिषद के आयोजित कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण के बाद भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी। आरोप है कि यह भड़काऊ भाषण गौतम नवलखा ने दिया था। वहीं पुलिस का कहना है कि नक्सलियों से इस कार्यक्रम के आयोजकों का संबंध था। इसके बाद जनवरी 2018 में एक्टिविस्ट गौतम नवलखा के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था।
नवलखा के अलावा इस मामले में वरवरा राव, अरुण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज भी आरोपी पाए गए थे। दिसंबर 2013 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को इस मामले में जमानत दे दी थी। इसके बाद एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका लगाई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा की जमानत पर रोक लगा दी थी।
हाउस अरेस्ट की मांग की थी नवलखा ने:
नवलखा ने अपने बिगड़े हुए स्वास्थ्य का हवाला देते हुए मांग की थी उन्हें जेल भेजने की जगह हाउस अरेस्ट रखा जाए। इसके बाद 10 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी देते हुए नवलखा को 1 महीने के लिए हाउस अरेस्ट में रखने को कहा था। हाउस अरेस्ट के दौरान गौतम नवलखा 24 घंटे महाराष्ट्र पुलिस की सुरक्षा में थे। हाउस अरेस्ट की मांग करते हुए गौतम नवलखा ने कहा था कि उन्हें स्किन की एलर्जी है और दांत की समस्याएं भी हैं।
साथ ही उन्होंने कहा था कि इन संकेतों को देखते हुए वह कैंसर का टेस्ट कराना चाहते हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ हाउस अरेस्ट की मंजूरी दे दी थी। कोर्ट ने कहा था कि हाउस अरेस्ट के दौरान नवलखा मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं करेंगे। ना ही मीडिया से बात करेंगे और ना किसी अवैध गतिविधि में शामिल होंगे। केस से जुड़े लोगों और गवाहों से भी बात करने की इजाजत नहीं होगी। दिन में सिर्फ एक बार मोबाइल पर बात करने की इजाजत होगी, वह भी पुलिस की मौजूदगी में।