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Vaishakh month: शुरू हुआ वैशाख का पवित्र माह, जानिए इसका महत्व और नियमों के बारे में

Vaishakh month: इस महीने में अधिकांश लोग भगवान विष्णु, परशुराम और देवी की पूजा करते हैं। इसी महीने में श्रीबांके बिहारी जी के चरण दर्शन भी वर्ष में एक बार होते हैं। इस महीने गंगा या सरोवर स्नान बहुत महत्वपूर्ण है। यह आम तौर पर मंगल कार्यों की शुरुआत है। स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने वैशाख मास को सभी मासों से बेहतर बनाया है।

Vaishakh month: 24 अप्रैल यानी आज से वैशाख का महीना शुरू हो गया है। वैशाख माह इस बार 24 अप्रैल से 23 मई तक रहेगा। इसका नाम वैशाख है क्योंकि यह विशाखा नक्षत्र से संबंधित है। इस महीने आप धन और पुण्य प्राप्त करने के कई अवसर मिलेंगे। इस महीने में अधिकांश लोग भगवान विष्णु, परशुराम और देवी की पूजा करते हैं।

इसी महीने में श्रीबांके बिहारी जी के चरण दर्शन भी वर्ष में एक बार होते हैं। इस महीने गंगा या सरोवर स्नान बहुत महत्वपूर्ण है। यह आम तौर पर मंगल कार्यों की शुरुआत है। स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने वैशाख मास को सभी मासों से बेहतर बनाया है। मान्यताओं के अनुसार, वैशाख महीने में महीरथ नामक राजा ने वैशाख स्नान से ही बैकुंठधाम पाया था। पुराणों में इस महीने को जप, तप और दान का महीना बताया गया है।

वैशाख महीने के प्रमुख त्योहार:

वैशाख के शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा की पूजा की जाती है। बुद्ध और परशुराम भी वैशाख के महीने में ही पैदा हुए थे। इस महीने भगवान ब्रह्मा ने तिलों को बनाया था। इसलिए तिलों का भी विशेष उपयोग होता है। इस महीने अक्षय तृतीया भी आती है, जो धन और संपत्ति का महापर्व है। इस महीने मोहिनी भी एकादशी है, इसलिए श्री हरी भगवान विष्णु से विशेष कृपा मिल सकती है।

Vaishakh month का महत्व:

वैशाख मास में सभी देवताओं ने धर्म, अर्थ, यज्ञ, क्रिया और तपस्या का सार पूरा किया है। वह माता की तरह सदा सब जीवों को आवश्यक वस्तु देने वाला है। धार्मिक मान्यता है कि सतयुग, वेद, गंगा और वैशाख महीने समान नहीं हैं। जैसे विद्या में वेद विद्या, मंत्रों में प्रणव, वृक्षों में कल्पवृक्ष, धेनुओं में कामधेनु, देवताओं में विष्णु, वर्णों में ब्राह्मण, प्रिय वस्तुओं में प्राण, नदियों में गंगाजी, तेजों में सूर्य, अस्त्र-शास्त्रों में चक्र, धातुओं में सुवर्ण, वैष्णवों में शिव तथा रत्नों में कौस्तुभमणि हैं, वैशाख मास धर्म के साधन के लिए सबसे उत्तम भगवान विष्णु को इतना प्रसन्न करनेवाला कोई दूसरा मास नहीं है।

वैशाख की पौराणिक कथा:

वैशाख मास की एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा अंबरीश एक बार बहुत देर तक तप करने गंगा किनारे चले गए। रास्ते में उन्होंने देवर्षि नारद को देखा। राजा ने विनयपूर्वक देवर्षि से पूछा, ‘देवर्षि! ईश्वर ने प्रत्येक वस्तु में श्रेष्ठ कोटी बनाई है। लेकिन सबसे अच्छा मास कौन सा है?’ इस पर नारदजी ने जवाब देते हुए कहा कि जब समय विभाजन हो रहा था तो ब्रह्माजी ने वैशाख मास को अत्यंत पवित्र घोषित किया था। वैशाख मास में हर जीव की इच्छा पूरी होती है।

वैशाख के नियम:

—इस महीने भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए। पुराणों में कहा गया है कि वैशाख महीने में भगवान विष्णु ने जनकल्याण के लिए जल में सभी देवताओं का निवास किया था।

—वैशाख में स्नान का विशेष महत्व है। इसलिए इस महीने जलदान करने से व्यक्ति को बहुत लाभ मिलता है और जीवन में आने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

—इस महीने गर्मी चरम पर होगी। इसलिए इस मास में देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किसी व्यक्ति को छायादार वृक्ष की सेवा करना, गर्मी से पीड़ित व्यक्ति की मदद करना या चप्पल, प्याऊ आदि दान करना शुभ माना जाता है।

—यह महीना संयम, अहिंसा, आध्यात्मिकता, स्वाध्याय और जनसेवा का महीना है। इसलिए सेवा को किसी भी रूप में अधिक से अधिक करना चाहिए।

—इस महीने धूम्रपान, मांसाहार, मद्यपान और परनिंदा से बचना चाहिए। हमें भगवान विष्णु की सेवा करनी चाहिए और उनके सगुण या निर्गुण स्वरूप का ध्यान रखना चाहिए।

वैशाख महीने में करें ऐसा भोजन:

वैशाख माह में गर्मी लगातार बढ़ती है। इससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस महीने तेल का सेवन कम करना चाहिए और जल अधिक पीना चाहिए। जहां तक संभव हो, सत्तू, रसदार फलों का सेवन करें और देर तक सोने से बचना चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सभी जानकारियाँ सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। विभिन्न माध्यमों से एकत्रित करके ये जानकारियाँ आप तक पहुँचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज़ सूचना पहुँचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज़ सूचना समझकर ही लें। किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि का होना संयोग मात्र है। Bynewsindia. com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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