PF Fund : कर्मचारी जरूरत पड़ने पर अपने ईपीएफ खाते में जमा धनराशि की आंशिक निकासी कर सकते हैं। यह आंशिक निकासी टैक्स-फ्री होती है, बशर्ते आपने ईपीएफ में कम से कम 5 साल तक योगदान किया हो। यदि आप 5 साल से आंशिक निकासी करते हैं तो निकासी योग्य राशि पर 10 प्रतिशत टीडीएस चुकाना होगा। ईपीएफ सदस्य अब खुद या अपने परिवार के किसी सदस्य के इलाज के लिए अपने ईपीएफ अकाउंट से अधिकतम एक लाख रुपए तक की निकासी कर सकते हैं, जबकि पहले इसकी अधिकतम सीमा 50,000 रुपए थी। यह बदलाव 10 अप्रेल से ही लागू हो गए हैं। आंशिक निकासी की इस सुविधा के लिए योगदान की अवधि को लेकर कोई बाध्यता नहीं है। इसे एक से अधिक बार निकाला जा सकता है।
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शादी-पढ़ाई के लिए भी कर सकते हैं निकासी
कम से कम 7 साल तक पीएफ में योगदान किया है तो अपनी शादी, अपने बेटे, बेटी, भाई या बहन की शादी या बच्चों की दसवीं के बाद की पढ़ाई के लिए अपने कुल योगदान प्लस ब्याज का अधिकतम 50 फीसदी हिस्सा निकाल सकते हैं। यह निकासी पूरे सेवाकाल के दौरान अधिकतम तीन बार किया जा सकता है।
घर की खरीद
अगर आपने कम से कम 3 साल तक पीएफ में कंट्रीब्यूट किया है तो आप घर/फ्लैट/प्लाट की खरीदारी या घर के निर्माण के लिए अपने कुल पीएफ फंड का अधिकतम 90 प्रतिशत तक निकाल सकते हैं। इस सुविधा के लिए घर/फ्लैट या प्लाट कर्मचारी पर या उसकी पत्नी के नाम पर होना चाहिए। इस सुविधा का इस्तेमाल पूरे सेवाकाल में सिर्फ एक बार किया जा सकता है।
फ्लैट का रेनोवेशन
अगर आपने 5 साल तक पीएफ में कंट्रीब्यूट किया है तो आप घर की मरम्मत के लिए अपनी मंथली सैलरी (बेसिक डीए) का 12 गुना तक निकाल सकते हैं। इस सुविधा का इस्तेमाल सेवाकाल के दौरान अधिकतम दो बार किया जा सकता है। पहली बार इस सुविधा को लेने के 10 साल बाद ही दूसरी बार यह सुविधा लिया जा सकता है।
होम लोन रिपेमेंट
अगर आपने कम से कम 10 साल तक पीएफ में कंट्रीब्यूट किया है तो आप होम लोन के रिपेमेंट के लिए अधिकतम 36 महीने की सैलरी (बेसिक डीए) की निकासी कर सकते हैं। इस सुविधा का इस्तेमाल सेवाकाल के दौरान सिर्फ एक ही बार किया जा सकता है।
रिटायरमेंट से एक साल पहले
ईपीएफ मेंबर अपने रिटायरमेंट से ठीक एक साल पहले कुल पीएफ बैलेंस का अधिकतम 90 प्रतिशत तक निकाल सकते हैं। लेकिन उस समय उनकी उम्र 54 साल से कम नहीं होनी चाहिए।
पूरी निकासी
पीएफ फंड की पूरी निकासी एक तो रिटायरमेंट के बाद की जा सकती है। वहीं नौकरी खोने के एक महीने बाद कुल ईपीएफ बैलेंस का अधिकतम 75 फीसदी हिस्सा निकाल सकते हैं। इसके बाद अगले दो महीने भी बेरोजगार रहने की सूरत में बाकी 25 फीसदी हिस्से को भी निकाल सकते हैं। दोनों स्थितियों में पूरी निकासी टैक्स-फ्री होती है।