35 C
New Delhi
Friday, September 20, 2024
spot_img
HomeदुनियाPatanjali case: बड़े साइज में विज्ञापन छपवाकर मांगे माफी, सुप्रीम कोर्ट ने...

Patanjali case: बड़े साइज में विज्ञापन छपवाकर मांगे माफी, सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को दिए आदेश

Patanjali case: सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए 'भ्रामक दावों' को लेकर अदालत की अवमानना करने के लिए कड़ी फटकार लगाई है। वहीं अदालत ने स्वास्थ्य मंत्रालय को भ्रामक सूचनाओं पर कार्रवाई करने के लिए नियमों में संशोधन करने के लिए जोरदर फाटकर लगाई।

Patanjali case: सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए ‘भ्रामक दावों’ को लेकर अदालत की अवमानना करने के लिए कड़ी फटकार लगाई है। इसके साथ ही 30 अप्रैल को अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण को फिर से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।

अदालत ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान रामदेव को आदेश दिया कि वह बड़े साइज में फिर से माफीनामा छपवाएं। अदालत की फटकार के दौरान, रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट से नया विज्ञापन छपवाने की मांग की, जिसे अदालत ने मंजूरी दी। मुकुल रोहतगी जो की रामदेव के वकील है उन्होंने अदालत को बताया कि हमने माफ़ीनामा पेश किया है| इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने इसे कल दायर करने का कारण पूछा।

कोर्ट ने पूछा माफीनामा कहां प्रकाशित हुआ:

सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि अदालत का पास इतना समय नहीं है की वे इन्हें अब बंडलों में देखें और यह भी कहा कि यह उन्हें पहले से ही मिलना चाहिए था। वहीं जस्टिस अमानुल्लाह ने रामदेव के वकील से पूछा कि यह माफ़ीनामा कहां प्रकाशित किया गया है।

इसका जवाब देते हुए मुकुल रोहतगी ने बताया कि यह माफीनामा 67 अखबारों में प्रकाशित हुआ है। जस्टिस कोहली ने पूछा कि क्या यह आपके पूर्ववर्ती विज्ञापनों की तरह उसी साइज का था। इस पर रामदेव के वकील ने कहा कि नहीं हमने इसे प्रकाशित करने में दस लाख रुपये खर्च किए हैं।

SC ने स्वास्थ्य मंत्रालय को भी लगाई फटकार:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें एक आवेदन प्राप्त किया है जिसमें आईएमए पर पतंजलि के खिलाफ ऐसी याचिका दायर करने के लिए 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की मांग की गई है। इस पर रामदेव के वकील, मुकुल रोहतगी ने कहा कि इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। परन्तु अदालत ने कहा कि वह पहले आवेदक की पूरी बात सुनना चाहती है उसके बाद ही उस पर जुर्माना लगाने पर विचार करेगी।

अदालत ने इस याचिका पर प्रॉक्सी याचिका होने का संदेह भी जताया। वहीं अदालत ने स्वास्थ्य मंत्रालय को भ्रामक सूचनाओं पर कार्रवाई करने के लिए नियमों में संशोधन करने के लिए जोरदर फाटकर लगाई। इस पर यूनियन से जस्टिस कोहली ने कहा कि आप अब नियम 170 वापस लेना चाहते हैं। अगर आप ऐसा करने का फैसला करते हैं, तो आपके साथ क्या हुआ? उन्होंने कहा की आप सिर्फ उत्तरदाताओं द्वारा “पुरातन” कहे गए अधिनियम के तहत कार्य करना क्यों चुनते हैं?

समाचार के साथ चल रहे पतंजलि के विज्ञापन:

जस्टिस अमानुल्ला ने सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि एक चैनल पर पतंजलि के ताजा मामले की खबरें दिखाई जा रही थीं और उस पर पतंजलि का विज्ञापन भी चल रहा था। IMA ने अदालत को बताया कि वह इस मामले में कंज्यूमर एक्ट भी याचिका में शामिल कर सकती है।

इसलिए सूचना प्रसारण मंत्रालय क्या करेगा? कोर्ट ने कहा कि उन्होंने टीवी चैनल पर देखा कि जिस वक़्त पतंजलि मामले को टीवी पर दिखाया जा रहा था और कोर्ट उस बारे में क्या कह रहा थी ठीक उसी वक़्त बीच में ही एक हिस्से में पतंजलि का विज्ञापन चल रहा था।

केन्द्र को उठाना चाहिए कदम:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र को बताना होगा कि विज्ञापन परिषद ऐसे विज्ञापनों से मुकाबला करने के लिए क्या कदम उठा रही हैं | अदालत ने कहा कि जिस तरह की कवरेज हमारे पास है,वो हमने देखी हैं जिसमें महिलाओं, बच्चों और शिशुओं को भी शामिल किया गया है। राइड में किसी को भी नहीं ले जाया जा सकता। इस पर केंद्र को कोई कदम उठाना चाहिए। अदालत ने कहा कि मामला पतंजलि के अलावा दूसरी कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों से भी जुड़ा है।

नियम 170 को वापस लेने पर मांगा जवाब:

सुप्रीम कोर्ट ने आयुष मंत्रालय और केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय के नियम 170 को वापस लेने के निर्णय पर सरकार से इसका जवाब माँगा| उन्होंने कहा कि नियम 170 राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण की मंजूरी के बिना यूनानी, सिद्ध और आयुर्वेदिक दवाओं के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता है। क्या आप मौजूदा नियम का पालन नहीं करने का आदेश दे सकते हैं? SC ने कहा कि यह एक मनमाना रंग-बिरंगा अभ्यास है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा की ऐसा लगता है कि आपको होने वाली चीज़ से ज़्यादा राजस्व के बारे में चिंता हैं |

सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव से क्या कहा ?

योग गुरु रामदेव और कंपनी के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को उच्चतम न्यायालय ने उनके चिकित्सकीय प्रभावों के विज्ञापनों से संबंधित अवमानना कार्यवाही के मामले में मंगलवार को व्यक्तिगत रूप से अपने समक्ष पेश होने के लिए कहा था। कंपनी और बालकृष्ण को पहले जारी किए गए अदालत के नोटिसों का जवाब दाखिल नहीं करने पर न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

उन्हें नोटिस भेजा गया था और सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने रामदेव को इस नोटिस जारी कर पूछा था कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए| सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने रामदेव को नोटिस भेजा और उनसे कहा कि उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाए। शीर्ष अदालत ने रामदेव पर आधुनिक दवाओं और कोविड रोधी टीकाकरण अभियान चलाने के आरोप पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा दाखिल की गयी एक याचिका पर सुनवाई भी की|

RELATED ARTICLES
New Delhi
haze
35 ° C
35 °
33.1 °
55 %
3.1kmh
40 %
Fri
34 °
Sat
36 °
Sun
38 °
Mon
39 °
Tue
39 °

Most Popular