Harvard University: अमेरिका में पढ़ाई कर रहे अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। मैसाचुसेट्स की एक संघीय अदालत ने शुक्रवार को ट्रंप प्रशासन के उस विवादास्पद आदेश पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है, जिसके तहत हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विदेशी छात्रों को अमेरिका छोड़ने या किसी अन्य कॉलेज में स्थानांतरित होने के लिए मजबूर किया जा रहा था। अदालत के इस फैसले को अमेरिका में शिक्षा प्राप्त कर रहे हजारों विदेशी छात्रों के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है।
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Harvard University: आदेश का 780 भारतीय छात्रों पर असर
यह मामला तब शुरू हुआ जब अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एसईवीआईएस (SEVIS – Student and Exchange Visitor Information System) सिस्टम के उपयोग की अनुमति रद्द कर दी। इसके साथ ही डीएचएस ने आदेश दिया कि हार्वर्ड में पढ़ रहे विदेशी छात्र यदि किसी अन्य कॉलेज में स्थानांतरित नहीं होते हैं, तो उनका वीजा और छात्र दर्जा रद्द कर दिया जाएगा। इस आदेश का सीधा असर हार्वर्ड में पढ़ रहे लगभग सात हजार विदेशी छात्रों पर पड़ता, जिनमें 780 छात्र भारतीय हैं।
Harvard University: अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के बिना हार्वर्ड, हार्वर्ड नहीं रह जाएगा
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस आदेश के खिलाफ तुरंत अदालत का रुख किया और एक मुकदमा दायर किया, जिसमें कहा गया कि यह आदेश न केवल अवैध है, बल्कि विश्वविद्यालय के मिशन और मूल्यों के भी खिलाफ है। हार्वर्ड ने अपने मुकदमे में कहा, सरकार ने एक हस्ताक्षर के साथ हमारे लगभग एक-चौथाई छात्रों को बाहर करने की कोशिश की है। ये छात्र न केवल हमारे अकादमिक जीवन का हिस्सा हैं, बल्कि वैश्विक शिक्षा और शोध में अहम योगदान देते हैं। अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के बिना हार्वर्ड, हार्वर्ड नहीं रह जाएगा।
Harvard University: कॉलेज समुदाय ने प्रशासन के इस कदम की कड़ी निंदा
यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एलन एम. गार्बर ने कॉलेज समुदाय को लिखे पत्र में प्रशासन के इस कदम की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, यह कार्रवाई हार्वर्ड के हजारों छात्रों और स्कॉलर के भविष्य को खतरे में डालती है। यह उन अनगिनत छात्रों के लिए एक चेतावनी है, जो दुनिया भर से अमेरिका में पढ़ने और अपने सपनों को पूरा करने आते हैं।
शिक्षा संस्थानों पर लगातार राजनीतिक दबाव और हस्तक्षेप
गार्बर ने यह भी आरोप लगाया कि यह कदम ट्रंप प्रशासन की ओर से उच्च शिक्षा संस्थानों पर लगातार हो रहे राजनीतिक दबाव और हस्तक्षेप का हिस्सा है। विशेष रूप से हार्वर्ड जैसे प्रतिष्ठित आइवी लीग विश्वविद्यालयों को निशाना बनाया जा रहा है, जिन्होंने हाल के महीनों में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों और विश्वविद्यालय परिसरों पर बढ़ते तनाव को लेकर सरकार की आलोचना की थी।
यहूदी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल
ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालय पर यह आरोप भी लगाया था कि वह यहूदी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहा है। इसके आधार पर न केवल विश्वविद्यालय की कर-मुक्त स्थिति को रद्द करने की मांग की गई, बल्कि उसके सभी संघीय फंडिंग को भी निलंबित कर दिया गया है। यह कदम अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों जैसे कोलंबिया यूनिवर्सिटी के खिलाफ भी उठाया गया है।
आदेश से हजारों छात्रों के जीवन, भविष्य और शिक्षा पर गंभीर असर
इन सभी घटनाओं के बीच अदालत का यह फैसला उसी दिन आ गया, जब मुकदमा दायर किया गया था। अदालत ने ट्रंप प्रशासन के आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए कहा कि इस आदेश से हजारों छात्रों के जीवन, भविष्य और शिक्षा पर गंभीर असर पड़ सकता है। अदालत के अनुसार, सरकार का यह आदेश तर्कहीन, असंवैधानिक और छात्रों के मौलिक अधिकारों का हनन करता है।
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