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Monday, October 20, 2025
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ट्रंप के एच-1बी वीजा शुल्क पर यूएस चैंबर का मुकदमा: अमेरिकी कंपनियों को भारी नुकसान, ‘अवैध नीति’ का आरोप

H-1B Visa: अमेरिका के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन ‘यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स’ ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया है। यह मुकदमा एच-1बी वीजा आवेदन शुल्क को लेकर है

H-1B Visa: अमेरिका के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के खिलाफ वाशिंगटन की जिला अदालत में मुकदमा दायर कर दिया है। यह मुकदमा 19 सितंबर को जारी एच-1बी वीजा आवेदन पर लगाए गए 1,00,000 डॉलर (लगभग 84 लाख रुपये) के शुल्क को चुनौती देता है। चैंबर ने इसे स्पष्ट रूप से अवैध बताते हुए कहा कि यह शुल्क अमेरिकी कंपनियों को वैश्विक प्रतिभाओं से वंचित कर देगा, जिससे अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान होगा। यह ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में चैंबर का प्रशासन के खिलाफ पहला कानूनी कदम है। चैंबर के कार्यकारी उपाध्यक्ष नील ब्रैडली ने कहा, यह शुल्क अमेरिकी कंपनियों के लिए कुशल विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करना लगभग असंभव बना देगा, जबकि अर्थव्यवस्था को अधिक कामगारों की सख्त जरूरत है। व्हाइट हाउस ने इसे कानूनी और आवश्यक सुधार बताया है।

H-1B Visa: मुकदमे का आधार: शुल्क को ‘अवैध और आर्थिक हानि’ का कारण

याचिका में ट्रंप के कार्यकारी आदेश को अमेरिका के आर्थिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए लाभदायक करार दिया गया है। चैंबर का तर्क है कि राष्ट्रपति के पास गैर-नागरिकों के प्रवेश पर अधिकार है, लेकिन यह कांग्रेस द्वारा पारित इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट (INA) के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। INA के अनुसार, वीजा शुल्क केवल सरकारी प्रसंस्करण लागत पर आधारित होने चाहिए, न कि मनमाने रूप से। वर्तमान में अधिकांश एच-1बी आवेदनों की फीस 3,600 डॉलर से कम है, जो 2,000-5,000 डॉलर के बीच होती है। नया शुल्क 25 गुना अधिक है, जो छोटी और मध्यम कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से घातक साबित होगा। याचिका में कहा गया, कंपनियों को या तो श्रम लागत नाटकीय रूप से बढ़ानी पड़ेगी या कुशल कर्मचारियों की संख्या घटानी पड़ेगी, जिनके लिए घरेलू विकल्प आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। चैंबर ने अदालत से शुल्क को लागू करने पर रोक लगाने और इसे असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है।

H-1B Visa कार्यक्रम का महत्व: टेक इंडस्ट्री पर असर

एच-1बी वीजा 1990 में कांग्रेस द्वारा बनाया गया था, जो उच्च कुशल विदेशी कार्यकर्ताओं (जैसे इंजीनियर, प्रोग्रामर) को अस्थायी रूप से अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है। यह मुख्य रूप से टेक्नोलॉजी सेक्टर पर निर्भर है, जहां भारतीय और चीनी पेशेवरों की बड़ी संख्या आती है। इस वर्ष अमेज़न को 10,000 से अधिक, टाटा कंसल्टेंसी, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल और गूगल को हजारों वीजा मिले। चैंबर ने कहा कि अमेरिका की वैश्विक प्रतिभा आकर्षित करने की अनूठी क्षमता इस कार्यक्रम पर टिकी है। शुल्क से स्टार्टअप्स और वेंचर-फंडेड कंपनियां सबसे अधिक प्रभावित होंगी, जो पहले से ही लॉटरी सिस्टम से जूझ रही हैं। ब्रैडली ने बयान में कहा, यह शुल्क अमेरिकी नवाचार को चीन और भारत जैसे प्रतिद्वंद्वियों के हवाले कर देगा। व्हाइट हाउस प्रवक्ता टेलर रॉजर्स ने जवाब दिया कि यह अमेरिकी मजदूरों की मजदूरी को कम करने वाली विदेशी प्रतिस्थापन को रोकने का कदम है।

H-1B Visa: ट्रंप प्रशासन का तर्क, अमेरिकी रोजगारों की रक्षा

ट्रंप ने 19 सितंबर को आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था कि इसका उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों को अधिक रोजगार उपलब्ध कराना है। वाणिज्य सचिव हावर्ड लूटनिक ने समर्थन देते हुए कहा, यह शुल्क कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को रखने से हतोत्साहित करेगा, जिससे अमेरिकी श्रमिकों को फायदा होगा। प्रशासन का दावा है कि एच-1बी का दुरुपयोग हो रहा है, जो आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। शुल्क मौजूदा वीजा धारकों पर लागू नहीं होगा और छूट के लिए फॉर्म उपलब्ध है। यह एक वर्ष के लिए है, लेकिन विस्तार संभव है। हालांकि, चैंबर ने इसे भ्रामक नीति कहा, जो कांग्रेस के कानूनों का सीधा उल्लंघन है।

दूसरी कानूनी चुनौतियां: यूनियनों और विशेषज्ञों का विरोध

यह मुकदमा ट्रंप के एच-1बी नियमों के खिलाफ दूसरी बड़ी चुनौती है। 3 अक्टूबर को स्वास्थ्य समूहों, श्रम यूनियनों, शिक्षा विशेषज्ञों और धार्मिक संस्थाओं की गठबंधन ने भी मुकदमा दायर किया था। उनका आरोप था कि आदेश गलतियों से भरा है और एच-1बी के अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मिलने वाले लाभों (जैसे नवाचार और रोजगार सृजन) को नजरअंदाज करता है। यूनियनों ने कहा कि यह गरीब देशों के कुशल मजदूरों को बाहर कर अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर करेगा। चैंबर, जो 3 लाख प्रत्यक्ष सदस्यों और अप्रत्यक्ष रूप से 30 लाख से अधिक कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है, ने मुकदमे में इन समूहों का समर्थन किया। विशेषज्ञों का मानना है कि अदालत में यह मामला लंबा चलेगा, लेकिन रोक लग सकती है।

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