Uttarakhand: उत्तराखंड के चमोली जिले में माणा के निकट हुए हिमस्खलन के कारण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के श्रमिकों के लिए बचाव अभियान तेजी से जारी है। भारतीय सेना ने अब तक 14 और मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हालात का जायजा लेने के लिए आपदा नियंत्रण कक्ष का दौरा किया और अधिकारियों को राहत एवं बचाव कार्यों को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए।
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मुख्यमंत्री धामी ने किया आपदा नियंत्रण कक्ष का दौरा
मुख्यमंत्री धामी ने शुक्रवार को राज्य में चल रहे राहत एवं बचाव कार्यों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों से लगातार अपडेट लेने के निर्देश दिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा कर जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य में चल रहे रेस्क्यू अभियान की जानकारी ली है और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
मुख्यमंत्री धामी ने अपने पोस्ट में लिखा, प्रातःकाल मैंने माणा के निकट हुए हिमस्खलन में फंसे श्रमिकों के बचाव अभियान की विस्तृत जानकारी ली। गंभीर रूप से घायल श्रमिकों को हायर सेंटर भेजने के लिए एयरलिफ्ट करने हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। मैं स्वयं भी चमोली के लिए रवाना हो रहा हूं। मौसम साफ होते ही राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाई जाएगी।
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद फोन करके माणा में फंसे मजदूरों की स्थिति के बारे में जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता का भरोसा दिया।
हेली रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
माणा में चल रहे एवलांच रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत जोशीमठ बेस कैंप से हेलीकॉप्टरों के जरिए बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है। अब तक दो निजी हेलीकॉप्टरों को बद्रीनाथ धाम की ओर भेजा गया है। भारी हिमपात के कारण सड़क मार्ग बाधित हो गया है, जिसके चलते प्राथमिकता हवाई मार्ग से रेस्क्यू ऑपरेशन पर दी जा रही है।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने जानकारी दी कि खराब मौसम के चलते बचाव कार्यों में चुनौतियां आ रही हैं। पहले खबर थी कि 57 मजदूर फंसे हुए हैं, लेकिन बाद में स्पष्ट हुआ कि दो मजदूर छुट्टी पर थे, जिससे कुल 55 मजदूर हिमस्खलन की चपेट में आए हैं।
श्रमिकों के परिवारों के लिए हेल्पलाइन शुरू
राज्य सरकार ने उन मजदूरों के परिवारों के लिए एक हेल्पलाइन भी शुरू की है, जो विभिन्न राज्यों से आए थे। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, ये मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों के रहने वाले हैं। हालांकि, 10 मजदूरों के गृह राज्य की जानकारी अब तक उपलब्ध नहीं हो पाई है।
मुख्यमंत्री ने कहा, हम बस यही प्रार्थना कर रहे हैं कि सभी लोग सुरक्षित बाहर आ जाएं। सरकार और सेना लगातार प्रयास कर रही हैं कि जल्द से जल्द सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकाला जाए।
बचाव कार्यों में मौसम बना बड़ी बाधा
क्षेत्र में लगातार हो रही बर्फबारी और भारी हिमस्खलन के कारण बचाव अभियान में बाधाएं आ रही हैं। लामबगड़ के आगे सड़क मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया है, जिससे जमीन से राहत सामग्री पहुंचाने में परेशानी हो रही है। प्रशासन पूरी तरह से हवाई मार्ग से रेस्क्यू ऑपरेशन को प्राथमिकता दे रहा है, ताकि जल्द से जल्द सभी मजदूरों को बाहर निकाला जा सके।
आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से लगातार स्थिति की निगरानी की जा रही है। प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि माणा क्षेत्र में हिमस्खलन की संभावना बनी रहती है, लेकिन इस बार भारी बर्फबारी के कारण स्थिति और गंभीर हो गई है।
सेना और बीआरओ के संयुक्त प्रयास जारी
भारतीय सेना और बीआरओ की टीमों ने मिलकर अब तक 14 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया है। बाकी फंसे हुए मजदूरों को बचाने के लिए ऑपरेशन लगातार जारी है। सेना के जवान अत्यधिक ठंड और बर्फबारी के बीच भी अपनी जान जोखिम में डालकर बचाव कार्यों में लगे हुए हैं।
प्रशासन ने नागरिकों से की ये अपील
स्थानीय प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस कठिन समय में अफवाहों पर ध्यान न दें और सरकारी हेल्पलाइन नंबरों पर ही जानकारी लें। उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त सहायता की मांग की है ताकि ऑपरेशन को और तेज किया जा सके।
अब तक 14 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला
उत्तराखंड के माणा क्षेत्र में हुए हिमस्खलन के बाद राज्य सरकार और भारतीय सेना की ओर से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। अब तक 14 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, जबकि बाकी फंसे मजदूरों को बचाने के लिए अभियान जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। सेना, बीआरओ और आपदा प्रबंधन टीमों के संयुक्त प्रयासों से जल्द ही सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने की उम्मीद की जा रही है।
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