Saira Bano: उत्तराखंड सरकार ने सायरा बानो को राज्य महिला आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। सायरा बानो वही महिला हैं, जिन्होंने तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ऐतिहासिक कानूनी लड़ाई लड़ी थी। उनकी याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने 2018 में इस प्रथा को खत्म करने के लिए कानून बनाया था।
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Saira Bano: तीन तलाक के खिलाफ कानूनी लड़ाई से बनीं पहचान
सायरा बानो उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर की रहने वाली हैं। उनकी शादी 2002 में प्रयागराज के रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर रिजवान अहमद से हुई थी। शादी के कुछ सालों बाद ही उनके वैवाहिक जीवन में समस्याएं आनी शुरू हो गईं। सायरा ने अपने पति पर घरेलू हिंसा और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था। साल 2015 में उनके पति ने उन्हें टेलीग्राम के जरिए तीन तलाक दे दिया। इस अन्याय के खिलाफ उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया और 2016 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
Saira Bano: तलाक, हलाला और बहुविवाह प्रथा को दी थी चुनौती
उनकी याचिका में तीन तलाक के साथ-साथ निकाह हलाला और मुस्लिम समाज में प्रचलित बहुविवाह प्रथा को भी चुनौती दी गई थी। उन्होंने दलील दी थी कि यह प्रथाएं महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं। सायरा बानो के साहस और संघर्ष ने महिलाओं के हक में बड़ी जीत दिलाई। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया।
बीजेपी में शामिल होकर महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई जारी रखी
सायरा बानो ने 2020 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सदस्यता ग्रहण कर ली। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की नीतियों से प्रभावित होकर उन्होंने पार्टी जॉइन की। उनका कहना था कि वह महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करती रहेंगी और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए आगे भी काम करेंगी।
त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार में भी बनी थीं उपाध्यक्ष
सायरा बानो को 2020 में त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने उत्तराखंड महिला आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने उन्हें दोबारा यह जिम्मेदारी दी है। उनकी इस नियुक्ति पर उन्हें कई लोगों से बधाइयां मिल रही हैं।
Saira Bano: महिला सशक्तिकरण की दिशा में सक्रिय भूमिका
सायरा बानो ने तीन तलाक के मुद्दे पर सिर्फ कानूनी लड़ाई ही नहीं लड़ी, बल्कि वह महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में भी सक्रिय रही हैं। उन्होंने कई मंचों पर मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को लेकर अपनी बात रखी है। सायरा बानो का कहना है कि तीन तलाक के खिलाफ उनकी लड़ाई सिर्फ उनके लिए नहीं थी, बल्कि उन लाखों महिलाओं के लिए थी जो इस कुप्रथा का शिकार हो रही थीं। उनका मानना है कि महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए और किसी भी धार्मिक या सामाजिक कुप्रथा के नाम पर उनके अधिकारों का हनन नहीं किया जाना चाहिए।
नियुक्ति के बाद सायरा बानो का बयान
उत्तराखंड महिला आयोग की उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद सायरा बानो ने अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, मैं सरकार का धन्यवाद करती हूं कि मुझे एक बार फिर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करने का मौका दिया गया है। मैं हर उस महिला के लिए आवाज उठाऊंगी, जिसे किसी भी प्रकार की हिंसा या भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में उत्तराखंड सरकार बेहतरीन काम कर रही है और वह भी अपनी नई भूमिका में महिलाओं के हक में काम करेंगी।
महिला आयोग की जिम्मेदारी और भविष्य की योजनाएं
उत्तराखंड महिला आयोग का मुख्य उद्देश्य राज्य में महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उनके साथ होने वाले किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना है। सायरा बानो के नेतृत्व में यह उम्मीद की जा रही है कि महिला आयोग और अधिक प्रभावी तरीके से महिलाओं की समस्याओं का समाधान करने में सफल रहेगा। सायरा बानो का कहना है कि वह घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, कार्यस्थल पर शोषण और महिलाओं से जुड़े अन्य मुद्दों पर खास फोकस करेंगी। उनका मकसद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें न्याय दिलाना है।
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