Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान इसे असंवैधानिक और गैर-कानूनी करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून का शासन यह सुनिश्चित करता है कि किसी की संपत्ति को बिना उचित प्रक्रिया और कारण के नहीं छीना जा सकता। यह सभी नागरिकों का मूलभूत अधिकार है, और राज्य को इसका सम्मान करना चाहिए। दोषियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई को शीर्ष अदालत ने असंवैधानिक बताया। न्यायालय ने कहा कि कोई भी कार्रवाई न्यायपालिका या संबंधित प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन किए बिना नहीं की जा सकती। समाजवादी पार्टी (सपा) की मैनपुरी सांसद डिंपल यादव ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है।
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आपराधिक पृष्ठभूमि के आधार पर कार्रवाई अवैध
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने बुलडोजर एक्शन के संदर्भ में महत्वपूर्ण और स्पष्ट निर्णय दिया है। अदालत ने कहा कि कानून के शासन के तहत किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को केवल इसलिए ध्वस्त करना कि वह आपराधिक पृष्ठभूमि से है, असंवैधानिक है। यह कानून के दायरे से बाहर की कार्रवाई है और इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कार्यपालिका जज नहीं बन सकती
अदालत ने स्पष्ट किया कि कार्यपालिका को यह अधिकार नहीं है कि वह जज की भूमिका निभाए और यह तय करे कि कौन दोषी है और उसे क्या सजा दी जानी चाहिए। यह न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है और संवैधानिक मर्यादा का हनन है। कार्यपालिका द्वारा ऐसे कदम उठाना, जो न्यायिक प्रक्रिया और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, लक्ष्मण रेखा पार करने जैसा है। यह कार्रवाई न्यायिक आदेश और कानूनी प्रक्रिया के बिना नहीं होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर अपनी टिप्पणी के साथ ही इसके संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का पालन न करने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान रखा गया है।
पूर्व नोटिस की अनिवार्यता
किसी भी संपत्ति को ध्वस्त करने से पहले लिखित नोटिस जारी करना अनिवार्य होगा। नोटिस में कार्रवाई का स्पष्ट कारण, समय-सीमा, और कानूनी प्रावधान का उल्लेख होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि नोटिस के 15 दिनों के अंदर कोई भी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इस बीच, संबंधित पक्ष को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका दिया जाना चाहिए।
कानूनी प्रक्रिया का पालन
बुलडोजर एक्शन से पहले, यह सुनिश्चित करना होगा कि संबंधित मामले में न्यायिक आदेश प्राप्त हुआ हो। बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी भी संपत्ति को ध्वस्त करना अवैध माना जाएगा। कार्रवाई में भेदभाव या पक्षपात नहीं होना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी विशेष वर्ग, जाति, या समुदाय को निशाना न बनाया जाए।
कार्रवाई की निगरानी
ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की स्थानीय प्रशासन और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निगरानी की जाएगी।
प्रशासनिक रिकॉर्ड में पूरे प्रकरण का विस्तृत दस्तावेजीकरण अनिवार्य है। जिनकी संपत्तियों पर कार्रवाई हो रही है, उन्हें अपनी बात रखने का उचित मौका दिया जाना चाहिए। संपत्ति के वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए।
जिम्मेदारी तय करना
कार्रवाई में शामिल अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय होगी। यदि दिशा-निर्देशों का उल्लंघन पाया गया, तो उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यदि कार्रवाई अवैध पाई जाती है, तो प्रभावित पक्ष को मुआवजा देना प्रशासन की जिम्मेदारी होगी।
अधिकारियों के लिए सख्त चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। यदि किसी अधिकारी द्वारा इसका उल्लंघन होता है। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। मामले की गंभीरता के आधार पर आपराधिक कार्रवाई भी हो सकती है।
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