Pandit Chhannulal Mishra: मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025 को 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में सुबह अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि उनकी तबीयत लंबे समय से खराब थी। कुछ दिन पहले उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से स्वास्थ्य में सुधार के बाद उन्हें छुट्टी दी गई थी। हालांकि, घर लौटने के बाद भी उनकी सेहत में कोई खास सुधार नहीं हुआ और गुरुवार सुबह उनका निधन हो गया। उनके निधन की खबर से शास्त्रीय संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। पंडित छन्नूलाल मिश्र का अंतिम संस्कार गुरुवार शाम को बनारस में किया जाएगा।
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Pandit Chhannulal Mishra: प्रधानमंत्री ने जताया शोक, साझा कीं यादें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। पीएम ने आगे कहा, साल 2014 में वे वाराणसी सीट से मेरे प्रस्तावक भी रहे थे। शोक की इस घड़ी में मैं उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। ओम शांति!
Pandit Chhannulal Mishra: किराना और बनारस घराने के दिग्गज गायक
पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर में हुआ था। वे किराना और बनारस घराने के प्रमुख गायक थे। उन्होंने महज छह वर्ष की आयु में अपने पिता पंडित बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद नौ वर्ष की आयु में उन्होंने उस्ताद गनी अली साहब से खयाल गायकी की बारीकियां सीखीं। उनके दादा, गुदई महाराज शांता प्रसाद, एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, जिनसे उन्हें संगीत की समृद्ध विरासत मिली। पंडित छन्नूलाल मिश्र ने अपनी गायकी से शास्त्रीय संगीत को न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पहचान दिलाई। उनकी गायकी में रागों की शुद्धता, भावनात्मक गहराई और तकनीकी कौशल का अनूठा संगम देखने को मिलता था।
Pandit Chhannulal Mishra: संगीत के प्रति आजीवन समर्पण
पंडित छन्नूलाल मिश्र ने अपने लंबे करियर में कई पीढ़ियों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दी और इसे लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी गायकी में खयाल, ठुमरी, दादरा और भक्ति संगीत का अनूठा मिश्रण था, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता था। उन्होंने अपने प्रदर्शनों से भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा को जीवंत रखा। उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें पद्म भूषण और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार शामिल हैं।
Pandit Chhannulal Mishra: संगीत जगत में अपूरणीय क्षति
पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन से शास्त्रीय संगीत की दुनिया ने एक अनमोल रत्न खो दिया है। उनके प्रशंसक और शिष्य उन्हें एक ऐसे गुरु के रूप में याद करेंगे, जिन्होंने संगीत को न केवल कला के रूप में बल्कि जीवन के दर्शन के रूप में जिया। उनके निधन पर संगीत प्रेमियों, शिष्यों और सहकलाकारों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। बनारस, जो उनकी कर्मभूमि रही, वहां उनके अंतिम संस्कार के दौरान उनके चाहने वालों की भीड़ उमड़ने की उम्मीद है।
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