Mahakumbh Stampede: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर संगम तट पर हुए भगदड़ हादसे के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सुरक्षा और प्रबंधन में कई अहम बदलाव किए हैं। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 60 से अधिक घायल हो गए। घटना के बाद सरकार ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए, बल्कि भगदड़ की न्यायिक जांच के आदेश भी जारी किए हैं।
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महाकुंभ क्षेत्र पूरी तरह से बना नो-व्हीकल जोन
महाकुंभ क्षेत्र में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने इसे पूरी तरह से नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया है। अब किसी भी प्रकार के वाहन को इस क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। यह निर्णय श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और भीड़ प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए लिया गया है। इसके अलावा, वीवीआईपी पास को भी रद्द कर दिया गया है, जिससे किसी भी प्रकार की विशेष सुविधाओं वाले वाहनों को मेला क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी।
यातायात और भीड़ नियंत्रण के लिए कड़े नियम लागू
सरकार ने एकतरफा यातायात व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है, जिससे श्रद्धालुओं की आवाजाही सुचारू हो सके। भीड़भाड़ को कम करने के लिए मेला क्षेत्र में प्रवेश करने वाले वाहनों को प्रयागराज जिले की सीमाओं पर ही रोका जा रहा है। इसके अतिरिक्त, चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर 4 फरवरी तक पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे मेला क्षेत्र के भीतर भीड़ और ट्रैफिक की समस्या को कम किया जा सकेगा।
प्रबंधन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती
भगदड़ के मद्देनजर, राज्य सरकार ने आईएएस अधिकारियों आशीष गोयल और भानु गोस्वामी को तत्काल प्रयागराज पहुंचने का निर्देश दिया है। ये दोनों अधिकारी 2019 अर्धकुंभ के सफल आयोजन में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं। उस समय आशीष गोयल प्रयागराज के आयुक्त थे, जबकि भानु गोस्वामी जिला मजिस्ट्रेट और कुंभ मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे। इसके अलावा, महाकुंभ के सुचारू संचालन के लिए पांच विशेष सचिव स्तर के अधिकारियों को भी नियुक्त किया गया है, जिनके पास बड़े आयोजनों के प्रबंधन का अनुभव है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश
भगदड़ की घटना के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित किया और मेला क्षेत्र में भीड़ नियंत्रण और यातायात प्रबंधन को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। उन्होंने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को महाकुंभ व्यवस्थाओं की समीक्षा करने का आदेश दिया। इसके अलावा, प्रयागराज के एडीजी और जिला मजिस्ट्रेट को भी श्रद्धालुओं की सुरक्षित विदाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
किसी भी स्थिति में भीड़ का दबाव अनियंत्रित नहीं होना
सीएम योगी ने कहा कि किसी भी स्थिति में भीड़ का दबाव अनियंत्रित नहीं होना चाहिए और श्रद्धालुओं को अनावश्यक असुविधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सड़क किनारे लगे रेहड़ी-पटरी वालों को वैकल्पिक स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए ताकि यातायात में किसी प्रकार की बाधा न आए।
भगदड़ की न्यायिक जांच के आदेश
राज्य सरकार ने हादसे के कारणों की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया है। इस आयोग में न्यायमूर्ति हर्ष कुमार, पूर्व डीजीपी वी.के. गुप्ता और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी वी.के. सिंह शामिल हैं। यह आयोग घटना की पूरी जांच करेगा और तय समय सीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।
मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण हादसा’ करार देते हुए मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि न्यायिक जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रेल और परिवहन विभाग को विशेष निर्देश
मुख्यमंत्री ने रेल अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करने के भी निर्देश दिए, ताकि श्रद्धालुओं की आवाजाही सुगम हो सके। परिवहन निगम को भीड़ को देखते हुए अतिरिक्त बसें चलाने के निर्देश दिए गए हैं।
सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की नियमित निगरानी
सरकार अब आगामी शाही स्नानों और अन्य प्रमुख आयोजनों के दौरान सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त उपाय कर रही है। प्रयागराज में सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की नियमित निगरानी की जा रही है। महाकुंभ मेले में हुई भगदड़ के बाद राज्य सरकार ने त्वरित कदम उठाते हुए कई अहम फैसले लिए हैं। नो-व्हीकल जोन, वीवीआईपी पास की समाप्ति, एकतरफा यातायात व्यवस्था, वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति और न्यायिक जांच जैसे उपायों से भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने की कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि आगामी आयोजनों में ऐसी कोई त्रासदी न हो।
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