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Sunday, June 8, 2025
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Temple: दोपहर के समय क्यों बंद होते हैं मंदिर के पट, जानिए क्या हैं इसके कारण

Temple: आपने अक्सर देखा होगा की ज्यादातर सभी मंदिरों के पट दोपहर के वक़्त बंद होते हैं| हिन्दू धर्म शास्त्रों में मंदिर में भगवान के दर्शनों के लिए कुछ समय निर्धारित किया गया है। शास्त्रों के अनुसार मंदिर में भगवान की पूजा अर्चना के लिए सबसे अच्छा समय सुबह और शाम का होता है। हिन्दू शास्त्र कहता है कि दोपहर का समय भगवान के दर्शन करने के लिए अच्छा नहीं होता है।

Temple: सनातन धर्म में 36 करोड़ देवी-देवताओं का वर्णन किया गया है| भारत में ही नहीं पूरे विश्व में भी इन देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करने के लिए लोग मंदिर बनवाते हैं| हिन्दू संस्कृति में मंदिर में पूजा करना शुभ माना गया है| ऐसी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन मंदिर जाकर देवी-देवताओं के दर्शन करता है तो उसे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है| तथा उसे जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है|

आपने अक्सर देखा होगा की ज्यादातर सभी मंदिरों के पट दोपहर के वक़्त बंद होते हैं| यह इसलिए होता है क्योंकि हिन्दू धर्म शास्त्रों में मंदिर में भगवान के दर्शनों के लिए कुछ समय निर्धारित किया गया है। शास्त्रों के अनुसार मंदिर में भगवान की पूजा अर्चना के लिए सबसे अच्छा समय सुबह और शाम का होता है। हिन्दू शास्त्र कहता है कि दोपहर का समय भगवान के दर्शन करने के लिए अच्छा नहीं होता है। बता दें कि हिंदू धर्म के अनुसार में दोपहर में मंदिर जाना अशुभ माना जाता है, आइए जानते है क्या वो कारण-

इस वजह से बंद होते हैं दोपहर में Temple के पट:

हिन्दू धर्म में दोपहर के समय मंदिर में भगवान का दर्शन करना वर्जित माना गया है। इसके 3 प्रमुख कारण बताए गए हैं| दरअसल, दोपहर के वक़्त हर कोई भोजन ग्रहण करने के बाद थोड़ा आराम करना पसंद करता है| इसलिए व्यक्ति का दिमाग और शरीर दोनों ही दिन के समय थके हुए होते हैं| ऐसे में अगर वो मंदिर भी चला जाता है तो उसका मन भगवान की पूजा अर्चना में नहीं लग पाता है| बिना श्रद्धा-भाव से की गई पूजा का कोई अर्थ नहीं होता है इसलिए ज्योतिष कहते हैं कि दोपहर के वक़्त मंदिर में नहीं जाना चाहिए।

भगवान के आराम का समय:

जिस तरह मनुष्य दोपहर के समय आराम करना पसंद करते है ठीक उसी तरह यह समय भगवान के भी आराम का होता है| ऐसे में यदि आप मंदिर जाते है तो एक तरह से आप भगवान की निंद्रा में बाधा डाल रहे होते हैं| ऐसा करने से भगवान रुष्ट हो जाते हैं और आपको कई कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।

यह भी है एक कारण:

सनातन धर्म के अनुसार एक पूरे दिन को चार भागों में बांटा गया है। कहा जाता है कि जहां सुबह और शाम का समय सजीव यानि मनुष्य ,पशु-पक्षियों आदि का होता है| वहीं दोपहर और देर रात्रि का समय पितरों, प्रेतों और अतृप्त शक्तियों का समय माना जाता है। ऐसी मान्यताएं हैं कि दोपहर के समय यह अदृश्य शक्तियां अपनी योनि से मुक्ति पाने की लालसा में भगवान के मंदिर में प्रवेश कर जाती हैं|

कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति इस दौरान मंदिर में प्रवेश करता है तो यह शक्तियां उसे नुकसान भी पहुंचा सकती हैं| यही कारण है कि हिन्दू धर्म में दोपहर के वक़्त मंदिरों के पट बंद रहते है और किसी को भी इस वक़्त भगवान के दर्शन प्राप्त करने की मनाही होती है |

मंदिर में रखें इस बात का ध्यान:

आपने देखा होगा कि जब लोग मंदिर जाते हैं तो कई लोग परिक्रमा भी करते हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में कई लोग गलत तरफ से परिक्रमा करते हैं। ऐसा करना सही नहीं होता है। हमेशा ध्यान रखें कि भगवान की परिक्रमा हमेशा बाएं हाथ से शुरु करनी चाहिए और परिक्रमा घूमकर दाएं हाथ की तरफ खत्म करनी चाहिए। वहीं शिवलिंग की परिक्रमा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जिस स्थान से जल बह रहा हो उसे कभी भी लांघना नहीं चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं| विभिन्न माध्यमों से एकत्रित करके ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि का होना संयोग मात्र है| Bynewsindia.com इसकी पुष्टि नहीं करता है|

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