34.1 C
New Delhi
Tuesday, September 16, 2025
Homeधर्मPradosh Vrat Katha: प्रदोष व्रत में पढ़ना ना भूलें ये कथा, बरसेगी...

Pradosh Vrat Katha: प्रदोष व्रत में पढ़ना ना भूलें ये कथा, बरसेगी भगवान शिव की कृपा

Pradosh Vrat Katha: आज 23 जनवरी को साल का दूसरा प्रदोष व्रत है। इसे भौम प्रदोष भी कहते हैं। प्रदोष व्रत में पूजा के बाद ये कथा अवश्य पढ़नी चाहिए -

Pradosh Vrat Katha: हिन्दू धर्म में भगवान शिव को समर्पित व्रत में से एक प्रदोष व्रत भी है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। आज 23 जनवरी को साल का दूसरा प्रदोष व्रत है। मंगलवार को पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत भी कहते हैं। मान्यता है कि जो कोई इस व्रत को रखता है और विधि-विधान से शिव जी की पूजा करता है उसके सब मनोरथ पूर्ण होते हैं। प्रदोष व्रत की पूजा के बाद प्रदोष की कथा पढ़ने का भी विधान है। इस कथा को पढ़ने से भगवान शिव की कृपा से जीवन के दोषों का नाश होता है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की कथा –

प्रदोष व्रत की कथा –

पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में एक ब्राम्हणी रहती थी, जो विधवा थी। वह अपना जीवनयापन भिक्षा मांगकर किया करती थी। हर दिन की तरह ही एक दिन जब वह ब्राह्मणी भिक्षा मांग कर अपने घर वापस लौट रही थी, तब उसे रास्ते में दो बच्चे दिखे। वे बच्चे अकेले थे। उनका कोई नहीं था। उन बेसहारा बच्चों को इस तरह देखकर ब्राम्हणी उन्हें अपने घर ले आई और स्वयं ही उनका पालन-पोषण करने लगी। फिर जब वे दोनों बालक बड़े हो गए तो ब्राह्मणी उन्हें लेकर एक ऋषि के आश्रम में गई। उन ऋषि का नाम शांडिल्य था।

दोनों बालकों के आश्रम में पहुँचने पर ऋषि शांडिल्य ने अपने तपोबल से उन दोनों के बारे में जानकर ब्राह्मणी से कहा कि, हे देवी! ये दोनों लड़के कोई साधारण बालक नहीं हैं। ये दोनों विदर्भ राज्य के राजकुमार हैं। गंदर्भ राजा के आक्रमण से इनके पिता का राज्य छिन गया था। यह सुनकर ब्राम्हणी ने ऋषि शांडिल्य से निवेदन किया कि, हे ऋषि! कृपया कर कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे इन दोनों बालकों को इनका परिवार और पाज-पाट वापस मिल जाए।

इसके बाद ऋषि शांडिल्य ने कहा कि, तुम तीनों ​को विधि-विधान से प्रदोष व्रत करना चाहिए। इससे तुम्हारी सभी मनोकामना पूर्ण होंगी। इसके बाद ब्राह्मणी के साथ दोनों राजकुमारों ने भी भक्ति और विधि-विधान से प्रदोष व्रत किया। फिर एक दिन बड़े राजकुमार की मुलाकात एक लड़की अंशुमती से हुई। वे दोनों ही एक-दूसरे को पसंद करने लगे। तब अंशुमती के पिता ने बड़े राजकुमार की के साथ उसकी विवाह कर दिया। फिर दोनों राजकुमारों ने अंशुमती के पिता की सहायता से गंदर्भ राज्य पर हमला किया और उनकी युद्ध में दोनों राजकुमारों की जीत हुई। जीत के बाद दोनों राजकुमारों को अपना राज्य और सम्मान वापस मिल गया। साथ ही उन राजकुमारों ने गरीब ब्राम्हणी को भी एक खास स्थान दिया। इसके बाद उन सबके सभी दुख खत्म हो गए। प्रदोष व्रत के कारण उन तीनों के जीवन में ये खुशहाली आई और उन्हें अपनी खोई संपत्ति मिली।


- Advertisement - Advertisement - Yatra Swaaha
RELATED ARTICLES
New Delhi
haze
34.1 ° C
34.1 °
34.1 °
49 %
2.1kmh
20 %
Tue
34 °
Wed
36 °
Thu
37 °
Fri
37 °
Sat
38 °

Most Popular