Home Temple: हिन्दू धर्म में घर में मंदिर होना शुभ माना गया है| मान्यता है कि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए एक मंदिर होना आवश्यक होता है | अक्सर कई लोग घर में मंदिर बनाते समय वास्तु नियमों का पालन नहीं करते है। जिसकी परिणामस्वरूप घर में सकारात्मक ऊर्जा की जगह नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगती है। आज हम आपको कुछ ऐसे वास्तु शास्त्र के नियमों के बारे में बताने जा रहे है जिससे आपके घर के मंदिर में भी सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे|
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मंदिर में पर्दा लगाना अनिवार्य:
जिस प्रकार से हम सभी रात को विश्राम करते है| उसी प्रकार कहा जाता है कि दोपहर और रात दोनों समय में भगवान भी विश्राम करते हैं | हमारे धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवान के विश्राम के समय मंदिर में पर्दा डालने की परंपरा का पालन किया जाता है | ठीक उसी प्रकार से घर के मंदिर में स्थापित सभी भगवानों के विश्राम के समय घर के मंदिर में पर्दा लगाना चाहिए|
मंदिरों में पर्दा लगाना सम्मान का प्रतीक:
मंदिर में ईश्वर का सम्मान करने के लिए हम सिर ढक लेते हैं। ठीक उसी तरह, मंदिर में रात को पर्दा लगाना भगवान को सम्मान देने का ही एक तरीका है। इसलिए मुख्य मंदिरों में रात के समय मंदिर के कपाट बंद करने की प्रथा है। जैसे हमारे दिनचर्या में नियम हैं उसी प्रकार घर के मंदिर में मूर्तियों के लिए भी दिनचर्या का पालन करना चाहिए | जिस प्रकार हमारी दिनचर्या का पहला चरण स्नान होता है उसी तरह भगवान की शयन आरती के बाद मंदिर का पर्दा लगाना आखिरी चरण होता है।
मंदिर के पर्दे के लिए इन रंगों का चयन करें:
पीला रंग घर के मंदिर के पर्दे के लिए बहुत शुभ माना जाता है। यह कहते हैं कि यह रंग घर के लोगों में भक्ति का भाव पैदा करता है। साथ ही आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि पीला रंग का पर्दा लगाने से परिवार में धार्मिक भावना बढ़ती है। गुलाबी या क्रीम रंग का पर्दा भी मंदिर में लगाया जा सकता है।
मंदिर पूजा नियम:
घर में मंदिर बनाते समय इसके नियमों का खास ध्यान रखना चाहिए| घर का मंदिर सही दिशा में बनाना अनिवार्य होता है| यह घर का सबसे पवित्र स्थान होता है। इसलिए वास्तु के हिसाबे से मंदिर को घर में स्थापित करने की सही दिशा उत्तर पूर्व या ईशान कोण होती है।
घर के मंदिर को बनवाते समय इसकी ऊंचाई देना चाहिए| यह फर्श से उचित दूरी पर होना चाहिए, जहां आसानी से पूजा की जा सके। पूजा करते समय मंदिर की ऊचाई आपसे कम नहीं होनी चाहिए | आप मंदिर को दीवार पर भी लगा सकते है।
घर का मंदिर छोटा हो या बड़ा हो, आपको नियमित रूप से देवताओं को स्नान करा कर उनका पूजा-पाठ करना चाहिए। नियमित रूप से मंदिर में स्थापित देवताओं को भोग भी लगाना चाहिए।
घर में मंदिर क्यों होना चाहिए?
यद्यपि हम ईश्वर को सर्वव्यापी मानते हैं, लेकिन ईश्वर का ध्यान करते समय मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने के लिए घर में एक सुरक्षित जगह का होना जरूरी होता है । इसलिए घर में पूजा कक्ष ये मंदिर बनाया जाता है। यह स्थान ध्यान, पूजा, जप और प्रार्थना के लिए एक आदर्श स्थान होता है। यह भी कहा जाता है कि घर का मंदिर देवताओं का स्वागत करने और उन्हें अपने दिल और घर में प्रतिस्थापित करने का एक तरीका भी है।
परिवार को बुराई और नुकसान से बचाने के लिए घर में मंदिर या पूजा का एक समर्पित स्थान होने से ईश्वर के प्रति विश्वास बना रहता है और वह हमेशा हमारे साथ मौजूद रहते है। घर के मंदिर में कुछ समय बिताने किसी भी तरह की परेशानी से मन को शांति मिलती है। घर में मंदिर रखने से बुरी ऊर्जाओं को दूर कर सकारात्मक वातावरण बनाया जा सकता है। यदि हम मंदिर के नियमों का पालन करते हैं तो घर में मंदिर रखने से वहां से बुरी ऊर्जाओं को दूर रखा जा सकता है और सकारात्मक वातावरण बनाया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सभी जानकारियाँ सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। विभिन्न माध्यमों से एकत्रित करके ये जानकारियाँ आप तक पहुँचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज़ सूचना पहुँचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज़ सूचना समझकर ही लें। किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि का होना संयोग मात्र है। Bynewsindia. com इसकी पुष्टि नहीं करता है।