Paper Leak Case: राजस्थान सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती परीक्षा 2021 के चर्चित पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आरपीएससी के पूर्व सदस्य रामूराम राईका के बेटे देवेश राईका और बेटी शोभा राईका को नियमित जमानत प्रदान कर दी है। दोनों पर परीक्षा में अवैध तरीकों से बेहतर रैंक हासिल करने का आरोप था। शोभा ने पांचवीं और देवेश ने 40वीं रैंक प्राप्त की थी। इस फैसले से मामले में नया मोड़ आ गया है, जबकि राजस्थान हाईकोर्ट ने अगस्त में पूरी भर्ती को रद्द कर दिया था।
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Paper Leak Case: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, अंतरिम से नियमित जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए दोनों की अंतरिम जमानत को नियमित जमानत में बदल दिया। इससे पहले, राजस्थान हाईकोर्ट ने 19 मई 2025 को दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। कोर्ट ने फौरी राहत देते हुए शोभा को 2 जून और देवेश को 5 जून को अंतरिम जमानत दी थी। जस्टिस की बेंच ने फैसले में कहा कि जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल हो गई है, इसलिए हिरासत की जरूरत नहीं। हालांकि, कोर्ट ने शर्तें लगाईं कि दोनों जांच में सहयोग करेंगे और कोर्ट की हर सुनवाई में हाजिर होंगे। यह फैसला एसआई भर्ती घोटाले में आरोपी परिवार को बड़ी राहत है, लेकिन पिता रामूराम राईका अभी भी जेल में हैं।
Paper Leak Case: पिता की गिरफ्तारी और परिवार पर आरोप
इस मामले में स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) ने अगस्त 2024 में राजस्थान पुलिस अकादमी (आरपीए) से देवेश और शोभा को गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया कि दोनों ने पिता रामूराम राईका के माध्यम से लीक पेपर प्राप्त किया था। अगले ही दिन, 1 सितंबर 2024 को एसओजी ने रामूराम राईका को भी गिरफ्तार कर लिया। रामूराम को 2018 में तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने आरपीएससी का सदस्य बनाया था और वे जुलाई 2022 तक इस पद पर रहे। आरोप है कि उन्होंने पूर्व सदस्य बाबूलाल कटारा के साथ मिलकर पेपर लीक किया और बच्चों को उपलब्ध कराया। एसओजी ने दावा किया कि राईका परिवार ने संगठित तरीके से धांधली की, जिससे अन्य उम्मीदवारों का भविष्य बर्बाद हुआ।
Paper Leak Case: एसआई भर्ती 2021, पेपर लीक का काला अध्याय
राजस्थान पुलिस कांस्टेबल एसआई भर्ती 2021 में 859 पदों के लिए परीक्षा 31 अक्टूबर 2021 को आयोजित की गई थी। लाखों उम्मीदवारों ने भाग लिया, लेकिन परिणाम आने के बाद डमी उम्मीदवारों, पेपर लीक और बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों के आरोप लगे। फरवरी 2024 में स्कैंडल उजागर होने पर राजनीतिक हंगामा मच गया। राज्य सरकार ने एसओजी को जांच सौंपी, जिसने 125 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें 53 ट्रेनी एसआई शामिल थे। जांच में पता चला कि पेपर परीक्षा से एक सप्ताह पहले लीक हो गया था और ब्लूटूथ गैंग तक पहुंचा। छह आरपीएससी सदस्यों की संलिप्तता सामने आई, जिससे भर्ती की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए। अब तक तीन चार्जशीट दाखिल हो चुकी हैं।
हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: भर्ती पूरी तरह रद्द
28 अगस्त 2025 को राजस्थान हाईकोर्ट ने जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने भर्ती को पूरी तरह रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि धांधली इतनी व्यापक थी कि सही-गलत को अलग करना असंभव है। फैसले में आरपीएससी सदस्यों की भूमिका पर कड़ी टिप्पणी की गई और नई भर्ती की सिफारिश की। कोर्ट ने 23 आरोपियों को जमानत दी, जिसमें रामूराम राईका भी शामिल हैं, लेकिन 30 अन्य, जैसे पोरव कलर और तुलछाराम कलर (मास्टरमाइंड), को जमानत न देने का आदेश दिया। इस फैसले का स्वागत कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने किया, जिन्होंने आंदोलनों का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा, सत्य की जीत हुई है। वहीं, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने पटाखे फोड़कर जश्न मनाया।
राजनीतिक रंग और उम्मीदवारों का आक्रोश
यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है। विपक्ष ने भाजपा सरकार पर आरपीएससी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, जबकि सत्ताधारी दल ने पूर्व सरकार की कमियों को जिम्मेदार ठहराया। उम्मीदवार संगठनों ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया, लेकिन नई भर्ती में देरी पर चिंता जताई। एक प्रभावित उम्मीदवार ने कहा, तीन साल की मेहनत बर्बाद हो गई। न्याय मिला, लेकिन नौकरी कब मिलेगी? एसओजी ने अब तक 106 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से 30 ट्रेनी एसआई जमानत पर हैं। अधिकांश को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
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