Paper Leak Case: राजस्थान सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती परीक्षा 2021 के पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने चयनित उम्मीदवारों की ट्रेनिंग पर तत्काल रोक लगा दी है और राजस्थान हाईकोर्ट को इस मामले पर तीन महीने के भीतर अंतिम निर्णय देने का सख्त निर्देश दिया है। यह आदेश चयनित अभ्यर्थियों और प्रभावित उम्मीदवारों के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को शीघ्र सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
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Paper Leak Case: सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के 8 सितंबर 2025 के आदेश पर नाराजगी जताई, जिसमें चयनित उम्मीदवारों को ट्रेनिंग की अनुमति दी गई थी, लेकिन फील्ड पोस्टिंग पर रोक का प्रावधान था। जस्टिस के बेंच ने स्पष्ट किया कि जब तक हाईकोर्ट अंतिम फैसला न ले ले, तब तक ट्रेनिंग सहित कोई भी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़नी चाहिए। कोर्ट ने कहा, ट्रेनिंग को अनुमति देना उचित नहीं है, क्योंकि इससे प्रक्रिया की अखंडता पर सवाल उठेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह पूरे मामले की गहन जांच कर तीन महीने में फैसला सुनाए, ताकि अभ्यर्थियों की अनिश्चितता समाप्त हो।
Paper Leak Case: हाईकोर्ट की एकलपीठ का आदेश बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ के 28 अगस्त 2025 के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें एसआई भर्ती की पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द घोषित किया गया था। एकलपीठ ने पेपर लीक और गंभीर अनियमितताओं के आधार पर यह फैसला दिया था। कोर्ट ने पाया कि राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के पूर्व चेयरमैन बाबूलाल कटारा और सदस्य रामू रायका सहित कई अधिकारियों की संलिप्तता थी। जांच में सामने आया कि पेपर प्रिंटिंग से पहले ही लीक हो गया था, और ब्लूटूथ गैंग के जरिए इसे वितरित किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी बदलाव से इनकार करते हुए कहा कि एकलपीठ का आदेश तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक डिवीजन बेंच अंतिम निर्णय न ले।
Paper Leak Case: पेपर लीक का पूरा मामला
राजस्थान में 2021 की एसआई भर्ती परीक्षा 859 पदों के लिए आयोजित की गई थी। परीक्षा के दौरान पेपर लीक का मामला सामने आया, जिसकी जांच स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) को सौंपी गई। एसओजी ने 122 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें 54 ट्रेनी एसआई, 6 चयनित उम्मीदवार और 8 फरार आरोपी शामिल हैं। कोर्ट ने नोट किया कि आरपीएससी के सदस्यों ने साक्षात्कार में भी पक्षपात किया, और कई आरोपी अधिकारियों के रिश्तेदार थे। एकलपीठ ने फैसले में कहा कि भर्ती प्रक्रिया की गोपनीयता पूरी तरह भंग हो चुकी थी, इसलिए इसे रद्द करना आवश्यक था। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इन पदों को 2025 की भर्ती में शामिल किया जाए, और प्रभावित उम्मीदवारों को पुनः परीक्षा का अवसर मिले।
चयनित उम्मीदवारों की दलीलें
चयनित उम्मीदवारों ने डिवीजन बेंच में अपील की थी, जहां उन्होंने तर्क दिया कि केवल 68 उम्मीदवारों (54 ट्रेनी, 6 चयनित और 8 फरार) पर अनियमितताओं का आरोप है, जबकि बाकी ईमानदारी से चयनित हुए। उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया रद्द करने से हजारों योग्य अभ्यर्थियों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा। कई ने पूर्व नौकरियां छोड़ दी थीं। डिवीजन बेंच ने एकलपीठ के आदेश पर स्टे दिया और ट्रेनिंग शुरू करने की अनुमति दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे पलट दिया। अब चयनित उम्मीदवार ट्रेनिंग रुकने से नाराज हैं, और उनके वकील ने कहा कि यह अन्यायपूर्ण है।
सरकार और एसओजी की भूमिका
राजस्थान सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि केवल दोषी उम्मीदवारों पर कार्रवाई की जा सकती है, पूरी भर्ती रद्द करना अनुचित है। एसओजी के एडीजी वी.के. सिंह ने बताया कि कटारा ने परीक्षा से पहले पेपर की प्रतियां बांटीं, जबकि रायका ने अपने बच्चों की तैयारी कराई। 49 आरोपी बेल पर हैं, 50 ट्रेनी को बर्खास्त किया गया, और 4 निलंबित हैं। आठ के खिलाफ स्थायी वारंट जारी हैं। सरकार ने कहा कि जांच जारी है, लेकिन कोर्ट ने पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाए।
भर्ती प्रणाली पर सवाल
इस मामले ने हजारों उम्मीदवारों को प्रभावित किया है। पेपर लीक ने राजस्थान की भर्ती प्रणाली पर सवाल खड़े किए, और कई अभ्यर्थी कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट का फैसला उम्मीदवारों की स्थिति स्पष्ट करने में मददगार होगा, लेकिन ट्रेनिंग रुकने से चयनितों में असंतोष है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला भविष्य की भर्तियों में पारदर्शिता बढ़ाएगा।