Kota Student Suicide: राजस्थान के कोटा में कोचिंग छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। मंगलवार को एक और कोचिंग छात्र ने आत्महत्या कर ली, जिससे शहर में शिक्षा प्रणाली और छात्रों पर बढ़ते मानसिक दबाव को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है। मृतक छात्र की पहचान अंकुश मीणा के रूप में हुई है, जो सवाई माधोपुर का निवासी था। वह कोटा के दादाबाड़ी के प्रताप नगर इलाके में रहकर मेडिकल प्रवेश परीक्षा (नीट) की तैयारी कर रहा था।
Table of Contents
पुलिस जांच में प्रथम दृष्टया आत्महत्या का मामला
पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत हो रहा है। हालांकि, इसके पीछे के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए विस्तृत जांच की जा रही है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि छात्र का शव एमबीएस अस्पताल के मुर्दाघर में रखा गया है और उसके परिजनों के पहुंचने के बाद पोस्टमार्टम किया जाएगा।
नीट की कर रहा था तैयारी
छात्र के परिजन मोजी राम मीणा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि अंकुश पिछले डेढ़ साल से कोटा में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था। उसके पिता खेती-किसानी करते हैं और परिवार को उम्मीद थी कि वह डॉक्टर बनेगा। परिजनों को फोन के माध्यम से इस घटना की सूचना मिली, जिससे पूरे परिवार में शोक की लहर दौड़ गई है।
कोटा में आत्महत्याओं का सिलसिला जारी
अंकुश मीणा की आत्महत्या से पहले, इसी साल 18 जनवरी को कोटा में जेईई की तैयारी कर रहे छात्र मनन जैन ने भी आत्महत्या कर ली थी। मनन जैन बूंदी जिले का रहने वाला था और कोटा में रहकर इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा था। मनन के परिजनों ने बताया था कि वह 22 जनवरी को होने वाली जेईई मेन्स परीक्षा की तैयारी कर रहा था और पिछले तीन सालों से कोटा में रह रहा था।
मनन के मामा महावीर जैन ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया था कि उन्होंने जब मनन को फोन किया तो उसने रिसीव नहीं किया। जब अन्य छात्रों से संपर्क किया गया, तो पता चला कि उसने आत्महत्या कर ली। मनन अपने नाना के मकान में अकेले रह रहा था। उसके नाना-नानी का पहले ही निधन हो चुका था। परिजनों के मुताबिक, वह एक ईमानदार, मेहनती और धार्मिक प्रवृत्ति का छात्र था, जो बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल था।
कोचिंग हब कोटा में मानसिक दबाव और आत्महत्याएं
कोटा देशभर में मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले संस्थानों का केंद्र है। हर साल लाखों छात्र यहां आकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में छात्रों पर बढ़ते मानसिक दबाव, प्रतिस्पर्धा, पढ़ाई के तनाव और अकेलेपन के कारण आत्महत्या के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों पर अत्यधिक दबाव, असफलता का डर और लगातार परीक्षा के तनाव के कारण वे मानसिक रूप से कमजोर पड़ जाते हैं। कई संस्थानों ने काउंसलिंग सुविधाएं शुरू की हैं, लेकिन अभी भी मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
समाधान की दिशा में उठते कदम
राजस्थान सरकार और कोटा प्रशासन ने इस गंभीर समस्या को लेकर कुछ कदम उठाए हैं। कोचिंग संस्थानों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की हिदायत दी गई है। इसके अलावा, तनाव प्रबंधन के लिए काउंसलिंग सत्र, योग और मेडिटेशन जैसी गतिविधियां भी बढ़ाई जा रही हैं। हालांकि, लगातार बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों से यह स्पष्ट है कि केवल काउंसलिंग ही पर्याप्त नहीं है। छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए परिवार, समाज और कोचिंग संस्थानों को मिलकर प्रयास करने होंगे, ताकि वे दबाव महसूस करने के बजाय आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सकें।
2025 में सातवां मामला
राजस्थान का कोटा शहर, जो प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग के लिए जाना जाता है, आत्महत्याओं की एक श्रृंखला से जूझ रहा है। कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध शहर में यह इस साल सातवां छात्र आत्महत्या है। अकेले जनवरी में, छह कोचिंग छात्रों- पांच जेईई और एक एनईईटी की तैयारी कर रहे थे- ने अपनी जान दे दी। 2024 में कोटा में कुल 17 कोचिंग छात्रों की आत्महत्या से मौत हो चुकी है।
यह भी पढ़ें:-
Manipur: मणिपुर हिंसा के 21 महीने बाद CM बीरेन सिंह ने दिया इस्तीफा, कांग्रेस ने गृह मंत्री से भी मांगा इस्तीफा