Waqf Bill: संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने वक्फ संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसे अगस्त 2024 में 14 बदलावों के साथ संसद के पटल पर रखा गया था। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के नियमतीकरण, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसी समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से प्रस्तावित किया गया था। जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि समिति ने 44 संशोधनों पर विस्तृत चर्चा की और 6 महीने तक चली चर्चा के बाद सभी सदस्यों से संशोधन मांगे गए थे। उन्होंने कहा, यह हमारी अंतिम बैठक थी, और बहुमत के आधार पर समिति ने 14 संशोधनों को मंजूरी दी है।
Table of Contents
समर्थन में 10 वोट पड़े, विरोध में 16
हालांकि, विपक्षी दलों ने विधेयक में किए गए संशोधनों को लेकर विरोध जताया। पाल ने यह भी बताया कि विपक्ष द्वारा सुझाए गए संशोधनों पर भी मतदान हुआ, लेकिन उन पर समर्थन में केवल 10 वोट पड़े, जबकि विरोध में 16 वोट पड़े, जिससे विपक्षी संशोधनों को मंजूरी नहीं मिल सकी।
विधेयक के उद्देश्यों और विपक्ष के आपत्तियां
वक्फ एक्ट 1995 को संशोधित करने के उद्देश्य से प्रस्तुत इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों की देखरेख और प्रशासन में सुधार की कोशिश की गई है। वक्फ संपत्तियों के मिस-मैनेजमेंट, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों पर उठती आलोचनाओं को ध्यान में रखते हुए इस विधेयक को लाया गया है। जेपीसी की 24 जनवरी को दिल्ली में हुई बैठक के दौरान विपक्षी सदस्य इस विधेयक पर अपना विरोध दर्ज करवा रहे थे। उनका आरोप था कि उन्हें ड्राफ्ट में प्रस्तावित बदलावों पर रिसर्च करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया।
इमरान मसूद ने दी तीखी प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था, यह विधेयक पूरी तरह से समय के खिलाफ है और यह वक्फ की संपत्तियों को हड़पने की एक साजिश प्रतीत हो रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी दिल्ली चुनावों को ध्यान में रखते हुए इस विधेयक पर रिपोर्ट को जल्दी संसद में पेश करने पर जोर दे रही है। उनका कहना था, संसदीय परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा और इस तरह की जल्दबाजी से सभी पक्षों को अपनी बात रखने का उचित समय नहीं मिलेगा।
जेपीसी की कार्यशैली और विपक्षी हंगामा
विपक्षी सांसदों का कहना है कि उन्हें इस विधेयक पर गंभीरता से चर्चा करने का पूरा समय नहीं दिया गया। खासकर जेपीसी की बैठक के दौरान हुई हंगामे के बाद उनका आरोप था कि बीजेपी इस विधेयक को जल्द से जल्द पारित कराना चाहती है, ताकि दिल्ली चुनावों में इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया जा सके। इस बीच, 24 जनवरी को हुई जेपीसी की बैठक में हंगामा बढ़ने पर 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था। निलंबित किए गए सांसदों में कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए. राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह नदवी, एम. अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक और इमरान मसूद शामिल थे।
आगे की प्रक्रिया और संसद में रिपोर्ट पेश करना
वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी को बजट सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करनी है। शीतकालीन सत्र के दौरान जेपीसी का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था, ताकि विधेयक पर अधिक समय तक चर्चा की जा सके। हालांकि, विपक्षी दलों का कहना है कि इस समय सीमा में सभी पक्षों को अपनी राय रखने का अवसर नहीं मिलेगा, और जल्दबाजी में पारित होने वाला यह विधेयक न्यायपूर्ण नहीं होगा।
विपक्षी दलों ने बताया साजिश
विपक्ष ने इस विधेयक को लेकर पहले भी आलोचना की है और अब तक की घटनाओं से यह साफ हो गया है कि वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद में आने वाले समय में और भी विवाद होने की संभावना है। इस विधेयक का उद्देश्य जहां वक्फ संपत्तियों की व्यवस्था को सुधारने का है, वहीं विपक्षी दल इसे एक साजिश के रूप में देख रहे हैं, जो वक्फ संपत्तियों के नियंत्रण को लेकर एक बड़ा विवाद उत्पन्न कर सकता है।
यह भी पढ़ें:-