Wakf Bill: केंद्र सरकार द्वारा संसद में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 अब न्यायिक समीक्षा के घेरे में आ गया है। इस विधेयक के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका बिहार के किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने दायर की है, जिन्होंने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है। मोहम्मद जावेद ने याचिका में कहा है कि संशोधित वक्फ कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को प्रभावित करता है। उनका कहना है कि यह विधेयक संविधान द्वारा प्रदत्त अल्पसंख्यकों के अधिकारों के विपरीत है और इससे वक्फ संपत्तियों पर सरकार का सीधा नियंत्रण स्थापित हो जाएगा।
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Wakf Bill: संसद से पारित, लेकिन विवाद गहराया
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – में बहुमत से पारित किया गया है। राज्यसभा में गुरुवार रात को इस विधेयक पर लंबी चर्चा हुई, जो शुक्रवार तड़के 2:30 बजे तक चली। इसके बाद वोटिंग हुई, जिसमें 128 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में और 95 ने विरोध में मतदान किया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी थी। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन कर वक्फ बोर्डों के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करना और विवादों का शीघ्र समाधान सुनिश्चित करना बताया गया है। सरकार का तर्क है कि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा और जरूरतमंद मुस्लिमों को अधिक लाभ मिलेगा।
Wakf Bill: विपक्ष का विरोध, सरकार का बचाव
राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने जमकर विरोध जताया। कई विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और स्वशासन के अधिकारों को सीमित करता है। हालांकि, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि “विपक्ष मुसलमानों को गुमराह और भयभीत करने का प्रयास कर रहा है। इस विधेयक का मकसद समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि उनके हित में है। उन्होंने यह भी कहा कि “सरकार का लक्ष्य वक्फ संपत्तियों का पारदर्शी और जनकल्याणकारी उपयोग सुनिश्चित करना है।
Wakf Bill: मुस्लिम संगठनों की नाराज़गी
विधेयक पारित होने के बाद मुस्लिम समुदाय के विभिन्न संगठनों और धार्मिक नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठनों ने इसे धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करार दिया है और केंद्र सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है।
जानिए आगे क्या होगा
अब जबकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है, तो संभव है कि आने वाले हफ्तों में अदालत इस विधेयक की संवैधानिक वैधता पर विचार करेगी। कोर्ट से क्या निर्णय आता है, यह देखना दिलचस्प होगा, लेकिन इतना स्पष्ट है कि वक्फ संशोधन विधेयक आने वाले समय में राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बना रहेगा। इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के रुख और मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया के चलते यह मामला अब केवल कानूनी ही नहीं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक विमर्श का भी हिस्सा बन चुका है।
भाजपा का लोकतंत्र में विश्वास नहीं – तारिक अनवर
कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विपक्ष के सामूहिक प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी का लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने संविधान और संसदीय परंपराओं की अनदेखी कर केवल राजनीतिक लाभ और वोटों के ध्रुवीकरण के उद्देश्य से यह विधेयक पारित कराया। अनवर ने कहा कि विपक्ष के विरोध के बावजूद विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित कर दिया गया, जो भाजपा की तानाशाही प्रवृत्ति को दर्शाता है।
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