Shivraj Patil Passes Away: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और भारत के पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। 90 वर्ष की आयु में उन्होंने लातूर स्थित अपने आवास ‘देववर’ में अंतिम सांस ली। पिछले कई दिनों से वह गंभीर रूप से बीमार थे और स्वास्थ्य लगातार बिगड़ने के बाद उन्हें घर पर ही चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया था। परिवार, पार्टी और राजनीतिक जगत ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
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Shivraj Patil Passes Away: राजनीति में छह दशक लंबी यात्रा
शिवराज पाटिल भारतीय राजनीति के उन विरले नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने अपने सुशील स्वभाव, संतुलित व्यवहार और प्रशासनिक दक्षता की वजह से हर स्तर पर सम्मान अर्जित किया। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र से आने वाले पाटिल 1973 में पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे। 1973 से 1980 के बीच वे दो बार विधायक रहे और इसी दौरान उन्होंने विधानसभा के डिप्टी स्पीकर और स्पीकर की अहम जिम्मेदारियाँ संभालीं।
Shivraj Patil Passes Away: लगातार छह बार लोकसभा के लिए चुने गए
1980 में वे सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए और इसके बाद एक लंबी जीत का सफर शुरू हुआ। पाटिल ने 1984, 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में लगातार लोकसभा चुनाव जीते। अपने संसदीय जीवन के दौरान वे कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का हिस्सा रहे और अपनी सूझबूझ के कारण कांग्रेस नेतृत्व के विश्वसनीय सहयोगी बने।
लोकसभा के स्पीकर के रूप में उनका कार्यकाल आज भी आदर्श माना जाता है। सदन की गरिमा और अनुशासन बनाए रखने में उनकी भूमिका को सभी दलों के नेताओं ने सराहा। उनकी जीत का सिलसिला 2004 में टूटा, जब वे भाजपा उम्मीदवार रूपाताई पाटिल निलंगेकर से चुनाव हार गए। बावजूद इसके, उनका राजनीतिक प्रभाव और सम्मान कम नहीं हुआ।
Shivraj Patil Passes Away: पूर्व गृह मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका
2004 में मनमोहन सिंह सरकार ने उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री बनाया। इस अवधि में उन्होंने आंतरिक सुरक्षा और प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान दिया। हालांकि, 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। उस समय उनका इस्तीफा राजनीतिक मर्यादा और जवाबदेही का दुर्लभ उदाहरण माना गया।
Shivraj Patil Passes Away: शिक्षा और निजी जीवन
शिवराज पाटिल ने उस्मानिया विश्वविद्यालय से साइंस की पढ़ाई की थी और उसके बाद मुंबई विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। अपने शांत और सन्धि-सुलझाऊ स्वभाव के कारण वे सभी राजनीतिक दलों में सम्मानित थे। उनकी कार्यशैली में सादगी और संवाद की क्षमता झलकती थी, जो आज की राजनीति में कम ही दिखाई देती है।
अंतिम दिनों में स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता गया
बीते कई महीनों से पाटिल गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें अस्पताल के बजाय आवास पर ही मेडिकल सपोर्ट उपलब्ध कराया गया था। शुक्रवार सुबह अचानक उनकी तबीयत और बिगड़ी और उन्होंने जग छोड़ दिया।
राजनीतिक जगत में शोक की लहर
कांग्रेस नेतृत्व, वरिष्ठ नेताओं, कार्यकर्ताओं और विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। कांग्रेस ने उन्हें “पार्टी की विरासत को मजबूत करने वाला कद्दावर और मर्यादित नेता” बताया। उनके परिवार के प्रति राजनेताओं ने संवेदनाएँ व्यक्त कीं और उनके योगदान को अविस्मरणीय बताया।
शिवराज पाटिल का जाना भारतीय राजनीति के एक शांत, संतुलित और अनुभवी युग का अंत है। उनके द्वारा निभाई गई भूमिकाएं—विधानसभा स्पीकर से लेकर लोकसभा स्पीकर, केंद्रीय मंत्री और गृह मंत्री तक—देश के प्रशासनिक इतिहास में हमेशा दर्ज रहेंगी।
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