Prashant Kishor: बिहार की राजनीति में उस समय नया मोड़ आ गया जब राज्य के वरिष्ठ मंत्री अशोक चौधरी ने जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के खिलाफ पटना सिविल कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया। यह मुकदमा एक प्रेस वार्ता में दिए गए बयान को लेकर दायर किया गया है जिसमें प्रशांत किशोर ने अशोक चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए थे। प्रशांत किशोर ने कहा कि हमें मानहानि, मुकदमा और एफआईआर से डराने वाला कोई पैदा नहीं हुआ है।
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Prashant Kishor: अशोक चौधरी ने दर्ज कराया केस
प्रशांत किशोर ने कथित तौर पर यह कहा था कि अशोक चौधरी ने अपनी बेटी को सांसद बनवाने के लिए टिकट खरीदा था। इस बयान को लेकर अशोक चौधरी ने पहले कानूनी नोटिस भेजा था, लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं होने पर उन्होंने मंगलवार को कोर्ट का रुख किया।
Prashant Kishor: प्रशांत किशोर पर लगाए ये आरोप
अशोक चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा, प्रशांत किशोर ने जो बयान दिया है, वह न केवल मुझे व्यक्तिगत रूप से अपमानित करता है, बल्कि यह दलित और पिछड़े समाज के प्रति उनकी मानसिकता को भी उजागर करता है। उन्होंने जानबूझकर मेरी छवि को धूमिल करने की कोशिश की है। मैंने पहले उन्हें नोटिस भेजा था, लेकिन जब उनका जवाब भी अपमानजनक निकला, तब मैंने यह मुकदमा दर्ज कराने का निर्णय लिया।
Prashant Kishor: सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे मामला
उन्होंने आगे कहा, या तो प्रशांत किशोर अपने बयान को साबित करें या फिर सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। यह सिर्फ मेरी लड़ाई नहीं है, बल्कि पूरे समाज की लड़ाई है। अगर आज हम चुप रहे, तो कल समाज के कमजोर वर्ग के लोग कैसे अपनी आवाज उठा पाएंगे? चौधरी ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो वह सुप्रीम कोर्ट तक भी जाएंगे और प्रशांत किशोर को उनके शब्दों के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ व्यक्तिगत हमले की बात नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सम्मान और राजनीतिक शुचिता का भी सवाल है।
प्रशांत किशोर ने दी ये सफाई
दूसरी ओर, प्रशांत किशोर ने अपनी सफाई में कहा था कि वह न तो किसी राजनीतिक दल से विधायक हैं, न सांसद, न ही किसी माफिया के संपर्क में हैं। उन्होंने दावा किया कि उनका धन उनकी मेहनत और बुद्धि का नतीजा है और वह इसका इस्तेमाल बिहार के गरीब लोगों की भलाई के लिए कर रहे हैं, ताकि वे भी राजनीति में भागीदारी कर सकें। प्रशांत किशोर ने यह भी कहा था कि बिहार की राजनीति में उनके ऊपर कोई यह आरोप नहीं लगा सकता कि उन्होंने एक रुपये की भी अवैध कमाई की है। उनका कहना था कि उन्होंने जो कुछ कहा, वह बिहार के मतदाताओं को सच्चाई बताने के लिए था।
राजनीतिक माहौल गरमाया
बहरहाल, इस विवाद ने बिहार की राजनीति को गर्मा दिया है, खासकर जब राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। जहां एक ओर विपक्ष इस विवाद को लेकर सत्तारूढ़ दल पर निशाना साध सकता है, वहीं सत्ता पक्ष इसे प्रतिष्ठा का सवाल मानते हुए पूरा कानूनी और राजनीतिक जवाब देने को तैयार है।
अब देखना यह है कि कोर्ट में यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है और क्या प्रशांत किशोर अपने बयान के लिए माफी मांगते हैं या इसके लिए कानूनी लड़ाई लंबी खिंचती है। बिहार की राजनीति में यह विवाद चुनावी समर से पहले एक बड़े राजनीतिक संग्राम का संकेत देता है।
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