Manipur: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इंफाल स्थित राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंपा। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद बीजेपी मणिपुर की अध्यक्ष ए. शारदा देवी ने कहा कि बीरेन सिंह ने राज्य के हित को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है। उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य की अखंडता को बनाए रखने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।
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बीजेपी ने बताया राज्यहित में फैसला
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ए. शारदा देवी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य में शांति स्थापित करने और लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा, बीते दो वर्षों से राज्य में अस्थिरता बनी हुई है और मुख्यमंत्री चाहते थे कि हालात सामान्य हों। इस कारण उन्होंने यह निर्णय लिया। पार्टी में किसी प्रकार का मतभेद नहीं है, बल्कि राज्य की जनता की भलाई को प्राथमिकता दी गई है।
नए CM की नियुक्ति तक संभालेंगे पद
एन. बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा, मणिपुर के लोगों की सेवा करना मेरे लिए गर्व की बात रही है। मैं राज्य के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए सहयोग का आभारी हूं। हालांकि, राज्यपाल ने नई सरकार के गठन तक उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का निर्देश दिया है।
विपक्ष का केंद पर हमला
बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने कहा, मणिपुर में हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री को बहुत पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। कांग्रेस ने विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है। मणिपुर की स्थिति को देखते हुए वहां एक साल पहले ही राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए था।
कांग्रेस ने गृह मंत्री से भी मांगा इस्तीफा
कांग्रेस ने यह भी मांग की कि गृह मंत्री अमित शाह को भी अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि राज्य में हिंसा को रोकने में केंद्र सरकार विफल रही है। कांग्रेस नेताओं ने यह भी उम्मीद जताई कि सर्वदलीय बैठक आयोजित कर मणिपुर में शांति बहाल करने की दिशा में ठोस प्रयास किए जाएंगे।
जातीय हिंसा और सरकार पर उठे सवाल
मणिपुर में बीते 21 महीनों से जातीय हिंसा जारी है। राज्य में कुकी और मैतेयी समुदाय के बीच संघर्ष की घटनाएं सामने आईं, जिनमें कई लोगों की जान गई और हजारों लोग बेघर हो गए। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर हिंसा को नियंत्रित करने में असफल रहने के आरोप लगते रहे हैं। पिछले वर्ष उन्होंने हिंसा के कारण जनता से माफी भी मांगी थी। उन्होंने कहा था, यह पूरा साल राज्य के लिए कठिन रहा। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया और कई लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। मुझे इस हिंसा का गहरा दुख है और उम्मीद है कि 2025 में राज्य में शांति बहाल होगी।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी ने राज्य की स्थिति को देखते हुए यह बदलाव किया है। एनसीपी सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा, मुख्यमंत्री पार्टी का प्रतिनिधि होता है और पार्टी नेतृत्व इस प्रकार के फैसले राज्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर लेता है। इसमें बहुत ज्यादा आश्चर्य की बात नहीं है। बीजेपी ने मणिपुर की स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया होगा। अब मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता के बीच नए मुख्यमंत्री के चयन की प्रक्रिया शुरू होगी। बीजेपी के भीतर संभावित उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा शुरू हो चुकी है।
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