Jharkhand: झारखंड में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण से पहले सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को बड़ा झटका लगा है। संथाल परगना प्रमंडल की लिट्टीपाड़ा सीट के झामुमो विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया। दिनेश विलियम मरांडी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए नाइंसाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनके पिता साइमन मरांडी ने शिबू सोरेन को दुमका लाकर संथाल परगना में उतारा था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें पार्टी द्वारा सौतेला सलूक किया गया। झारखंड में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण को लेकर माहौल गर्म है। संथाल परगना झामुमो का गढ़ माना जाता है, और ऐसे में यह बदलाव चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। यह राजनीतिक घटनाक्रम झारखंड के चुनावी परिदृश्य में बड़ा बदलाव ला सकता है।
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शिवराज सिंह ने किया दिनेश विलियम का स्वागत
झारखंड में लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के हिरणपुर में भाजपा की चुनावी सभा के दौरान एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया। झारखंड भाजपा के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में दिनेश विलियम मरांडी ने झामुमो छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का ऐलान किया। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा के चुनाव चिन्ह वाला पट्टा पहनाकर दिनेश मरांडी का पार्टी में स्वागत किया। उन्होंने मरांडी के भाजपा में शामिल होने को झारखंड के विकास और क्षेत्रीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण बताया।
झामुमो के लिए झटका
दिनेश विलियम मरांडी का भाजपा में जाना झामुमो के लिए एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है, खासकर संथाल परगना क्षेत्र में जहां झामुमो का परंपरागत प्रभाव रहा है। यह कदम चुनाव से ठीक पहले झामुमो की सियासी ताकत पर असर डाल सकता है। बता दे कि दिनेश संथाल परगना इलाके से झामुमो के तीसरे विधायक हैं, जो भाजपा में शामिल हुए है। उनसे पहले जामा सीट की विधायक रहीं सीता सोरेन और बोरियो सीट के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने भी भाजपा की सदस्यता ली थी।
भाजपा को लाभ
भाजपा के लिए यह क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूती का संकेत है। दिनेश मरांडी जैसे स्थानीय नेता का जुड़ना भाजपा को संथाल परगना में अपना आधार बढ़ाने में मदद करेगा। विपक्ष इस मुद्दे को झामुमो के नेतृत्व के खिलाफ भुनाने की कोशिश कर सकता है, जबकि झामुमो को अब क्षेत्र में अपने प्रभाव को बचाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
दिनेश विलियम मरांडी का बयान
भाजपा में शामिल होते हुए उन्होंने कहा कि वह क्षेत्र के विकास के लिए काम करना चाहते हैं और उन्हें विश्वास है कि भाजपा के नेतृत्व में संथाल परगना के लिए बेहतर काम किया जा सकता है। दिनेश विलियम मरांडी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से टिकट कटने के बाद पार्टी नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन परिवार के अलावा झामुमो में किसी अन्य नेता को टिकट नहीं मिल रहा है।
परिवारवाद का आरोप
मरांडी ने कहा कि झामुमो में अब केवल हेमंत सोरेन का परिवार ही पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर परिवार के चार सदस्य पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, तो बाकी कार्यकर्ताओं और नेताओं का क्या कसूर है? उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर आरोप लगाया कि यह पारिवारिक राजनीति के कारण उनके जैसे पुराने और मेहनती कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया।
चुनावी समीकरण हो सकता है प्रभावित
मरांडी की नाराजगी और पार्टी के प्रति असंतोष से झामुमो के भीतर दूसरे नेताओं का असंतोष भी उभर सकता है। यह घटनाक्रम झामुमो के लिए चुनावी चुनौती बढ़ा सकता है, खासकर संथाल परगना जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में, जहां मरांडी का प्रभाव था। दिनेश मरांडी का भाजपा में शामिल होना और इसके बाद उनका यह बयान झारखंड में परिवारवाद और पार्टी की आंतरिक राजनीति पर गंभीर सवाल खड़े करता है, जो चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
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